पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 10.djvu/९९

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सचावट ४९१७ सच्चा सचावट --सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं सच+प्रावट (प्रत्य॰)] सच्चापन । सचाई । मध्य शुक सैना, वैजयति सम तूल। पुरइनि कपिण निचोल सत्यता। विविध रंग विहँसत सचु उपजावै । सूर श्याम मानद कद की सचिंक-वि० [स० सचिङ्क| चेतनायुक्त । शोभा कहत न पावै ।—सूर (शब्द०)। (ख) अंखियन ऐसी धरनि धरी । नदनँदन देने सचु पावै या सो रहति डरी। -सूर सचित--वि० [म० सचिन्त] [वि॰ स्त्री० सचिंता] जिमे चिंता हो। (शब्द०)। २ प्रसन्नता । खुशी । फिक्रमद। सचेत-व० [स० सचेनन] १ चेतनायुक्त । दे० 'मचेतन' । २ सज्ञान । सचि'--सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ सखा । दोस्त । मित्र । २ मैत्री । दोस्ती। समझदार । ३ सजग । सावधान । होशियार । जैसे,—जब वह घनिष्ठता [को०] । ग्राया करे, तव तुम सचेत रहा करो। सचि'-सज्ञा स्त्री० इद्र की पत्नी । णची (को०] । सचेतक-पक्षा पु० [स० सचेत+क] ससद् वा विधान सभा का वह सचिक्करण--वि० [म.] अत्यत चिकना। बहुत अधिक चिकना । अधिकारो जो सदस्यो को आवश्य 6 सूचना देने, अनुशासन का जैसे--सचिक्कण केश। पालन कराने, मतदान के निमित्त बुलाने प्रादि को व्यवस्था सचिक्कन ---वि० [स० सचिकण] अत्यत चिकना । अत्यत स्निग्ध । करता है । (ग्र० ह्विप)। उ०--सहज सचिक्कन स्याम रुचि, सुचि मुगध मुकुमार । गनत सचेतन'-पना पुं० [म०] १ वह प्राणो जिमे चेतना हो । विवेकयुक्त न मन पथ अपथ लखि विथुरे सुथरे वार ।--विहारी प्राणो । २ वह वस्तु जो जड न हो । चेतन । (शब्द०)। सचेतन-वि० १ चैतन्य । चेतनायुक्त । २ सावधान । होशियार । सचित् --वि० [स०] चित् से युक्त। जिसे ज्ञान या चेतना हो । ३ समझदार । चतुर । सचित्क--पला पुं० [स०] चितन । विचारना । मनन [को॰] । सचेता-वि० [स० सचेनस्] १ एक मत होनेवाला । एक राय होने- सचित्त'--मज्ञा पुं० [स०] वह जिसका ध्यान एक ही ओर वाला। सहमत। २ वुद्धि या समझ रखनेवाला। ३ सचेत। लगा हो। भावनायुक्त । भावुक को०] । सचित्त-वि० १ समान चित्तवाला। २ सावधान । सचेत । ३. सचेती-सज्ञा श्री० [हिं० मचेत+ई (प्रत्य॰)] १ सचेत होने का भाव । २ सावधानी । होशियारी । प्रज्ञायुक्त । बुद्धिमान् । ४ जिसका चित्त किसी एक तरफ लगा हो [को०] । सचेल-वि० [स०] वस्त्रयुक्त। जो कपड़ा पहने हुए हो। परिधानयुक्त। वस्त्राच्छादित [को०] । सचिन--वि० [सं०] १ चित्रो से शोभित । चिनो से सजा हुअा या यो०-सचेलस्नान = वस्त्र पहने हुए स्नान करना । अलकृत । २ जिसमे चिन्न हो । चिनो से गुक्त । ३. शवलित । रगविरगा। चित्रित [को०] । सचेष्ट'-वि० [स.[१ जिसमे चेष्टा हो । २ जो चेष्टा करे । सचिल्लक-रचा पुं० [स०] १ क्लिनचक्षु । २ जिसकी दृष्टि सचेष्ट'-पञ्चा पु० [म०) आम्रवृक्ष । आम का पेट । खराव हो। सचैयता -मद्या श्री० [हिं० सच्च + ऐयत (प्रत्य॰)] सचावट । सच्चाई । सत्यता। सच्चापन । सचिव-सज्ञा पुं० [स०] १ मित्र । दोस्त । सखा । २ मनी । वजीर । (अ. सेक्रेटरी) । ३ सहायक । मददगार । ४ काला धतूरा या सचोर-सञ्ज्ञा १० [श०] गुजरातो वा प्रणो को एक जाति । काले धतूरे का वृक्ष । ५ किसी सघटन या संस्था के सचालन सच्चरित'-वि० [स०] जिमका चरित अच्छा हो । सच्चरित्र । उ०- का उत्तरदायित्व वहन करनेवाला व्यक्ति । सब सुखी सब पच्चरित सु दर नारि नर सिसु जरठ जे।- सचिवता–चा स्त्री॰ [स०] सचिव होने का भाव या धर्म । मानस, ७।२८ । सच्चरित'–पञ्चा पु० १ सत्पुरुपो का चरित्र या वृत्त । २ सत् सचिवत्व-सबा पुं० [स०] दे० 'सचिवता' [को०] । आचरण । सदाचरण [को०] । सचिवामय -सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ पाडु रोग । पीलिया। २ विसर्प रोग। सच्चरिव-वि०, सज्ञा पुं० [स०] दे॰ 'सच्चरित' । सचिवालय -सज्ञा पुं० [स० मचिव + प्रालय] वह स्थान या भवन सच्चर्या -सज्ञा प्री० [स०] उत्तम आचरण । अच्छी चाल चलन । जहाँ किसी राज्य के विभिन्न विभागीय मनियो तथा सर्वोच्च सच्चा-वि० [स० सत्य, प्रा० सत्त, अप० सच्च] [वि॰ स्त्री० सच्ची] अधिकारियो के कार्यालय हो (अ० सेक्रेटरियट)। १ सच बोलनेवाला । जो कभी झूठ न बोलता हो । सत्यवादी। सची-मज्ञा स्त्री० [स०] १ इद्र की स्त्री का नाम । इद्राणी। दे० ईमानदार । २ जिसमे झूठ न हो। यथार्थ । ठीक । 'शची'। २ अगर । अगर । वास्तविक । जैसे,—सच्चा मामला। ३ असली। विशुद्ध । यो०-सचीनदन = सचीसुत । जैसे,-सच्चा मोना। सच्चा घो। ४. बिलकुल ठीक और सचोसुत-पझा पु० [स०] १. शची का पुन, जयत । २ श्रीचैतन्यदेव । पूरा। जितना या जैसा चाहिए, उतना या वैसा । जैसे,- सचु-पज्ञा पु० [म० / सच्] १ सुख । आनद । उ०—(क) (क) तमने भी उसपर खूब सन्चा हाथ मारा। (ख) यह तसवीर वहुत सच्ची जडी गई है। मुक्तामाल बाल बग पगति करत कुलाहल कूल । सारस हस हिं० श०-११ 1 -