पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/११८

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हँटनी उडी . भा० २४३० हटनी उडी---सशा स्री० [हिं० हटना + उडना] मालखभ की एक हटायो, कब तक यह काम लिए बैठे रहोगे। (ख) बखेडा कसरत जिसमे पीठ के बल होकर ऊपर जाते हैं । हटायो । ५ किसी को नौकरी या पद मे अलग करना । हटपणि, हटपर्णी f-मज्ञा स्त्री॰ [म०] शैवाल । सेवार [को०) । वर्खास्त करना। पदमुक्त करना । ६ पिसी व्रत, प्रतिज्ञा आदि मे विचलित करना । वात पर दृढ न रहने दना । हटवया -सज्ञा पुं० [हि० हाट + वया] [स्त्री॰ हटाई] हाट या बाजार डिगाना। मे बैठकर सौदा वेचनेवाला । दूकानदार । विक्रेता। हटरी-मज्ञा स्त्री० [सं० अस्थि, हड्ड, प्रा० अट्ठि, हड्डि, सं० हट्ट + हटुई --सा स्त्री० [हि हाट ] दूकानदारी । अप० डी (प्रत्य॰)] १ दे० 'ठरी' । २ दे० 'हाट' या हटुवा ---मज्ञा पुं० [ हि० हाट + उवा (प्रत्य०) ] १ दूकानदार । 'हट्टी' । उ०-हटरी छोडि चला वनिजारा। इस हटरी वित्र दूकान पर सीदा या अनाज तोलनेवाला । बया। मानिक मोती, कोई विरला परखनहारा ।-मतवाणी०, हटैत-- 1--मज्ञा पुं० [हिं० हाट] १ दूकानदार । हाटवाला। २ सामान । २, पृ० ८। माल | सौदा। हटवा-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० हाट] वह जो हाट पर बैठकर सौदा वेवता हो। हटौती --मज्ञा स्त्री॰ [हिं० हाड + प्रीती (प्रत्य॰)] देह की गठन । हाटवाला। दूकानदार । उ०-जैसे हाट लगावे, हवा सौदा शरीर का ढाँचा । जैसे,—उसको हटौती बहुत अच्छी है । बिन पछतावोगे।-कवीर श०, भा० १, पृ० २१ । हटवाई- हट्ट-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ बाजार । हाट । २ दूकान । ई-सज्ञा स्त्री० [हिं० हाट + वाई (प्रत्य॰)] मौदा लेना या वेचना । क्रय विक्रय। खरीद फरोख्त । उ०--माधो। करी यो०-चौहट्ट = वाजार का चीक । हट्टचौरक । हट्टवाहिनी = हटवाई हाट उठि जाई ।-कबीर (शब्द०),। जल के निकास के लिये वाजार में बनी हुई नाली। हट्ट- हटवाडा@+-सज्ञा पुं॰ [ हिं० हटवा +डा (प्रत्य०) या हटवार] विलासिनी । हट्टवेश्माली = बाजार मे दूकानो की कतार । १ दे० 'हटवार' । २ पण्यवीथिका। बाजार । विपणि । उ०- हट्टचौरक-सझ' पु० [स०] वाजार मे घूमकर चोरी करने या माल जग हटवाडा स्वाद ठग, माया वसा लाइ। रामचरन नीका उचकनेवाला । चाई। गिरहकट । गही, जिनि जाइ जनम ठगाइ।-कवीर ग्र०, पृ० ३२ । हट्टविलासिनी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ वारवधू । वारागना । वेश्या । हटवाना-क्रि० स० [हिं० हटाना का प्रेरणा०] हटाने का काम दूसरे २ नख नाम का एक प्रसिद्ध गध द्रव्य । विशेष दे० 'नख'-२। कराना। हटाने मे प्रवृत्त करना । दूसरे से स्थानातरित कराना । ३. हरिद्रा । हल्दी [को०] । हटवानी -सज्ञा पुं० [हिं० हट ( = हाट) + वानी (प्रत्य॰)] दे० हट्टाकट्टा-वि० [स० हृष्ट + काष्ठ ] [वि॰ स्त्री० हट्टीकट्टी ] हप्ट- 'हटवार'। उ०-घर घर दर दर दिए कपाट । हटवानी नहि पुष्ट । मोटाताजा । मजबूत । दृढाग । बैठे हाट ।-अर्ध०, पृ० २४ । मुहा०—हटेकट्टे पाना = हृष्टपुष्ट होकर वापस हटवार+१-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० हाट + वारा (वाला) ] वाजार मे उ०-हजारो यादमी नीचे से वहाँ जाते हैं और खासे हट्टे- बैठकर सौदा बेचनेवाला । दूकानदार । कट्टे आते है ।-सैर०, पृ० १६ । हटवार-वि० [हिं० हटना] स्थानातरित करनेवाला। हटाने का काम हट्टाध्यक्ष-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] वाजार का निरीक्षण करनेवाला। करनेवाला । हटानेवाला। अधिकारी [को०] । हटवैया -वि० [हिं० हटाना+ वैया] दे० 'हटवार । हट्टी--सज्ञा स्त्री॰ [ म० ] छोटी हाट। चीजो के विकने की जगह । हटा-सज्ञा पुं० [हिं० हटकना, हटका ] वारण। वर्जन। निपेध । दूकान । (पश्चिम)। उ०—कोउ काहु को हटा न माना। झूठा खसम कवीर न हठ-सज्ञा सी०, पुं० [स०] [ वि० हठी, हठीला ] १ किसी बात के जाना ।—कवीर बी० (शिशु०), पृ० ७३ । लिये अडना। किसी बात पर जम जाना कि ऐसा हो हो । हटाना-क्रि० स० [हिं० हटना का सक० रूप] १ एक स्थान से दूसरे टेक । जिद । दुराग्रह । जैसे,—(क) नाक कटी, पर हठ न स्थान पर करना। एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाना। हटी । (ख) तुम तो हर वात के लिये हठ करने लगते हो । सरकाना । खिसकाना । किसी ओर चलाना या वढाना। (ग) वच्चो का हठ ही तो है । उ०-जी हठ करहु प्रेम वस जैसे,-चौकी बाईं ओर हटा दो। बामा । तो तुम्ह दुख पाउव परिनामा।-मानस, २।६२ । सयो० क्रि०--देना।-लेना। यौ०-हठधर्म । हठधर्मी । २. किसी स्थान पर न रहने देना । दूर करना । जैसे,-(क) मुहा०-'हठ पकडना=किसी बात के लिये अड जाना । जिद चारपाई इस कोठरी मे से हटा दो। (ख) इस आदमी को करना । दुराग्रह करना। हठ रखना = जिस बात के लिये कोई यहां से हटा दो। ३ आक्रमण द्वारा भगाना । म्यान छोडने पर अडे, उसे पूरा करना। हठ मे पडना = हठ करना । उ०—मन विवश करना । जैसे,—थोडे से वीरो ने शत्रु की सारी सेना हठ परा न मान सिखावा । —तुलसी (शब्द०)। हठ बांधना = हठ हटा दी। ४ किसी काम का करना या किसी बात का विचार पकडना । हठ मांडना = हठ ठानना । उ०-क्यो हठ मांडि रही या प्रसग छोड़ना । जाने देना । जैसे,—(क) खतम करके री सजनी टेरत श्याम सुजान ।—सूर (शब्द०)। आना। 1