पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१२०

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१७५। हठिक ५४३२ हटना हठिक-वि० [स०] अतकित । आकस्मिक [को०) । हडक-मज्ञा स्त्री॰ [अनु०] १ पागल कुत्ते के काटने पर पानी के लिये हठिका [-मन्ना स्त्री॰ [स०] कोलाहल । शोर । हल्ला गुल्ला गहरी याकुलता। हठिल-वि० [ स० हठ + हिं० इला (प्रत्य॰)] हठ करनेवाला। क्रि० प्र०--उटना ।—होना । जिद्दी । हठीला । उ०---जव हम रहली हठिन दिवानी, तब २ किमी वस्तु को पाने की गहरी झक । पागल करनेवाली चाह । पिय मुखहु न बोले ।-कवीर श०, भा० १, पृ० २६ । उत्कट इच्छा । ट। धुन । जमे,--तुम्हें ता उम किताब की हठी-वि॰ [स० हठिन्] हठ करनेवाला । अपनी बात पर अडनेवाला। हटक मी लग गई है। जिद्दी। टेकी । उ०--हठी तपी केते बनवासी ।-- क्रि० प्र०-लगना।---होना। प्राण०, पृ०२१६। हडकत--पझा स्त्री॰ [हिं० हाड] ३० 'हडजोड' । हठील-वि० [म० हठ + हिं० ईला (प्रत्य॰)] ही। युक्त । हडकना-नि० अ० [हिं० हटक] विसो वन्तु के प्रभाव से दुखी हठीला । उ०—पडित पूत अपाठ असत है जग मे ग्रादर । होना । तरमना। हयगति होय हठील मोल के समै वेनादर ।-राम० वर्म०, पृ० हडका'--सशा पु० [अनु०] हडकने का भाव । उ०--एक हडका हुया कुत्ता पाया था, मार दिया । -गुलेरी हठीला-वि० [सं० हछ + ईला (प्रत्य०)] [वि० स्त्री॰ हठीली] १ हठ जी०, पृ० ४७ । करनेगला। हठी । जिद्दी । उ०-त् अजहूँ तजि मान हठीलो हडका--वि० बावुला । पागल । दे० 'हडकाया' । कही तोहि समुझाय ।—सूर (शब्द०)। २ दृढप्रतिज्ञ। वात हडकाना-क्रि० स० [देश॰] १ प्रासमग करने, घेग्ने, तग करने आदि का पक्का । अपने सकल्प या वचन को पूरा करनेवाला। के लिय पीछे लगा देना । ल हमारना। पीछे छोडना । २ किमी ३ लडाई मे जमा रहनेवाला । घोर । उ०-ऐमो तोहि न वस्तु के अभार का दुख देना । तरनाना । जैसे--ययो वच्चे को बूझिए हनुमान हठीले । —तुलसी (शब्द॰) । जरा जरा सी चीज के लिये हसाते हो। ३ उत्माह को दबा हड-सज्ञा पी० [म० हरीतको] १ वडा पेड जिसके पत्ते महुए देना । हतोत्साह करना । ८ गोई वस्तु मांगनेवाले को न देकर चौडे चौडे होते हे और शिशिर मे झड जाते हैं । भगा देना । नाही करके हटा देना। उ०-हडकाचा भला, विशेष—यह उत्तर भारत, मध्य प्रदेश, बगाल और मद्रास के परकाया नही मला। (कहा०) । जगलो में पाया जाता है । इसकी लकडी बहुत चिकनी, साफ, हडकाया--वि० [हिं० हटकाना] [वि० सी० हडकाई] १ पागल । मजबूत और भूरे रग की होती है जो इमारत मे लगाने और वावला । (कुत्ते के लिये) । जैसे-हडयाई कुतिया । २ किसी खेती तथा सजावट के सामान बनाने के काम मे पाती है। वस्तु के निये उतावला । पवगया हुया। इसका फल व्यापार की एक बडी प्रसिद्ध वस्तु हे और अत्यत हडगिल्ल-मशा पु- [हि० हाड] एक पक्षो। दे० 'हगीला' । उ०-गिद्ध, प्राचीन काल से ग्रीपध के रूप मे काम में लाया जाता है। गरुड, हडगिल मजत लखि निकट भयद रव ।-भारतेंदु वैयक मे हड के बहुत अधिक गुण तिखे गए हैं । हड भेदक ग्र०, भा० १, पृ० २६८। और कोष्ठ शुद्ध करनेवाली प्रौपधो मे प्रधान है और सकोचक हडगीला-स पुं० [हिं० हाड + गिलना] एक चिडिया का नाम । होने पर धी पाचक चूणों मे इसका योग रहा करता है । हड वगले की जाति का एक पक्षी जिसकी टांगें और चोच लवी की कई जातियां होती है जिनमे मे दो सर्वमाधारण में प्रसिद्ध होती है । दस्ता । विशेप दे० 'चनियारी' । हे-छोटी हड और वडी हड या हरी । छोटी 'जोगी हड' हडगोड-गज्ञा पु० [हिं० हाड + जोडना] एक प्रकार की लता । वज्रागी। कहलाती है। वैद्य क मे हड शीतल, कमैली, मूत्र लानेवानी विशेप--यह भीतरी चोट के स्थान पर लगाई जाती है। इसमे और रेचक मानी जाती है । पाचक, चूर्ण आदि मे छोटी हड थोडी थोडी द्र पर गाँठ, होती है। कहते हैं इससे टूटी हुई का ही अधिकतर व्यवहार होता है। त्रिफला मे बडी हड हड्डी भी जड जाती है। (हर्रा) ली जाती है। बडी हड का व्यवहार चमडा सिझाने, हडताल सप्ला सी० [८० हट्ट ( = दूकान या बाजार) + ताला] कपडा रँगने आदि मे बहुत अधिक होता है । हड मे वसाब- किसी कर या महसूल से प्रयवा और किसी बात से असतोष सार बहुत अधिक होता है, इससे यह सकोवक होती है । वैद्यक प्रकट करने के लिये दूकानदारो का दूकान का बद कर देना या मे हड सात प्रकार की कही गई है--विजया, रोहिणी, पूतना, काम करनेवालो का काम बंद कर देना । हटतार । अमृता, अभया, जीवती और चेतकी । क्रि० प्र०--करना ।—होना । २ एक प्रकार का गहना जो हड के गाकार का होता है और नाक हडताल-सज्ञा सी० [सं० हरिताल] एक खनिज पदार्थ । विशेप दे० मे पहना जाता है । लटकन । 'हरताल'। हडकप-सचा पुं० [देश ० या धनुध्व०] भारी हलचल या उथल पुथल । हडना-कि० अ० [हि० धडा] तौल मे जांचा जाना। तहलका । जैसे,—-गन्नु की सेना के पहुँचते ही किले मे हडकप सयो० क्रि०--जाना। हडना'--क्रि० अ० [सं० हण्डन, हिण्डन] भटकना । उ०-बाहर निकलता क्रि० प्र०-मचना । —होना । है होर हडता फिरता है ।-दक्खिनी०, पृ० ४३६ । बहुत मच गया।