पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१४२

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५४५४ हरामजादी घाव लगने से घाव फिर हरा हो गया। ५ दाना या फल जो हराम'-- ---सा पुं० १ वह वस्तु या वात जिसका धर्मशास्त्र में निषेध पका न हो। जैसे-हरा दाना, हरे अमरुद, हरे बूट । हो । वजित वात या वस्तु । २ शूकर। मृग्रर जिसके छून गाने आदि का इनाम मे निवेध है। 30-~-यांवरी, अधम, मुहा०-हरा करना = तरोताजा करना । खुश कर देना। हग दिखाई पडना या सूझना = भूठी आशा करना । व्यथ की जड जाजरो जग जगन, मूकर ये मावर टकाटके यो मग में। करपना करना । हरा बाग - केवल अभी लुभानेवाली पर पीछ गिरी हिय हरि हराम हो हराम हन्यो हाय हाय उरत कुछ न ठहरनेवाली बात । व्यर्थ अाशा बंधानेवाली बात । परीगो काल फेंग मे ।-तुनमी (गन्द०) । हरा भरा = (१) जो हरे पेड पौधो और घाम प्रादि से मुहा०--(कोई वात) हगम करना = पिमी वात पा पन्ना भरा हो । (३) जो बाल बच्चो से भरी पूरी हो । जिसको मुश्किान कर देना । ऐमा करना हि कोई नाम ग्राम में न गोद मे शिश किलकते हो । जैसे,—तेरी गोद हरी भरी रहे । कर सके । जैसे,—तुमने तो काम के मारे जाना पीना हगम हरे मे आँखे होना या पूलना - हरियाली सूझना । मन वढा कर दिया । (काई पात) हगम होना - पिनी बात का करना रहना और पागम का ध्यान न रहना । मुश्किल हो जाना। कोई बात न करने पाग । जैगे-रात भर इतना शोर सुना कि नीद हगम हो गई। हरा--सा पुं० १ घास या पत्ती का सा रग। हरित वर्ण । जैसे,-- नीला और पीला मिलाने से हरा बन जाता है । २ चौपायो ३ बेईमानी । अधर्म । बुराई। पाप । जैसे,—(4) हम का को खिलाने का ताजा चारा । रुपया हम नहीं लेते । (ख) हगम की छूना बुरा है । (ग) हराम यो कमाई याते शर्म नहीं पाती। हरा-सज्ञा पुं० [ स० हार ] हार। माला । उ॰--(क) अपने कर मोतिन गुह्मो मयो हरा हरहार।-विहारी (शन्द०) । (ख) मुहा०-हराम का या हराम का पाना= (१) जो ईमानी से कुच दु दन को पहिराय हरा मुख सोधी सुरा महकावति है प्राप्त हो। जो पाप या अधम ने यमाया गया हो। जी-हराम -श्रीधर पाठक (शब्द॰) । का माल उठाते शर्म नहीं पाती। (२) मुफ्त का। जो पिना मिहनत का या काम के मिले । जमे-पढे पडे हराम का पाना हरा'-सशा स्त्री० [सं० ] हर या महादेव की स्त्री पार्वती। गायो । हरामघाट उतारना - किमी को बुराई की राह पर ने हरा-सज्ञा पुं० [सं० हरित ] हरे रंग का घोडा । सब्जा । उ० जाना।--अपनी०, पृ० ८६ । हराम का माल या कमाई = दे० हरे कुरग महुअ बहु भांती । गरर कोकाह बुलाह सुपांती । 'हराम का' और 'हराम'- ---जायसी (शब्द०)। यो०-हरामखोर । हराई।---सञ्ज्ञा स्त्री० [हि० हर, हल ] खेत का उतना भाग जितना ४ स्त्री पुरुप का अनुचित सबध । व्यभिचार । जैसे,-हराम का एक हल के मे जुत जाता है। वाह । जैसे--चार हराई हो गई। यौ०-हरामजादा। मुहा०--हराई फाँदना = जुताई की कूड शुरु करना । मुहा०-हराम का जना, पिल्ला या बच्चा %3 (१) दोगला । वर्णमकर। (२) दुष्ट । पाजी । बदमाश । (गाली) । हराम हराई २-सज्ञा स्त्री॰ [ हि० हारना ] हारने की क्रिया या भाव । हार । का पेट = व्यभिचार से रहा हुआ गर्भ । हराद्रि--सञ्चा पुं० [ सं० ] कलाम पर्वत । हरगिरि [को०] । हरामकार- महा पुं० [अ० + फा०] १ निपिद्ध कर्म करनेवाला। हरानत-सञ्ज्ञा पुं० [स०] रावण का एक नाम । बुरे काम करनेवाला । २ व्यभिचारी । पर-स्त्री-लपट । हराना-क्रि० स० [हि० हारना, या हरना ] युद्ध मे प्रतिद्वी को हरामकारी 1-संशा स्त्री० [अ० + फा०] निपिद्ध कर्म । पाप। बुराई । हटाना । मारना या वेकाम करना । परास्त करना । पराजित २ व्यभिचार । पर-स्त्रीगमन । करना । शिकस्त देना । जैसे,--लडाई मे हराना। २ शन्न हरामखोर-वि०, ससा पु० [अ० + फा०] १ पाप की कमाई खानेवाला। को विफलमनोरथ करना । दुश्मन को नाकामयाब करना । अनुचित रूप से धन पैदा करनेवाला । २ विना मिहनत ३ प्रयत्न मे शिथिल करना । और अधिक श्रम के योग्य न मजदूरी किए यो हो किमी का धन लेनेवाला। मुफ्तखोर । ३ रखना। थकाना। अपना काम न करनेवाला । आलसी । निकम्मा। सयो०कि.--देना। हरामखोरी-सज्ञा स्त्री० [अ० + फा० + ई (प्रत्य॰)] १ मुफ्त का माल हरापन-मज्ञा सं० [ हि० हरा+ पन (प्रत्य॰) ] हरे होने का भाव । खाने की प्रवृत्ति । मुफ्तखोरी । २ घूस पाना या लेना । हरितता। सब्जी। घूसखोरी। ३ नमकहराम का काम । नमकहरामी (को० । हराम'--वि० [अ०] निषिद्ध । विधिविरुद्ध । बुरा । अनुचित । हरामजदगी--सशा स्रो० [फा॰हरामजदगी] १ दोगलापन। २ घूर्तता। दूपित । जैसे,—मुसलमानो के लिये सूद खाना हराम है। हरामजादा-सज्ञा पुं० [अ० हराम+फा० जादा] [सथा सी० उ०--खात हे हराम दाम करत हराम काम घट घट तिनही हरामजादी] १ व्यभिचार से उत्पन्न पुरुष । दोगला । वर्णसकर । के अपयश छानेगे ।-अकवरी०, पृ० ३२। २ दुष्ट । पाजी । वदमाश । खल। (गाली) । उ०-भकुआ चक्कर लडका।