पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१७९

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हाथ ५४६१ हाथ . भी कि इस काम मे मौत निश्चित है, उसे करने के लिये उद्यत होना । उ०-अस लागेहु केहि के सिख दीन्हें। आएहु मर हाथि जिउ लीन्हे । —जायसी ग्र०, पृ० २६७ । हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना = खाली वैठे रहना। कुछ काम धधा न करना । हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाना = निराश हो जाना । हाथ पर हाथ मारना = (१) प्रतिज्ञा करना। किसी बात को दृढ करना। किसी बात को पक्का करना । (२)वाजी लगाना । उ०-पात्रो हाथ पर हाथ मारो।--फिमाना०, भा०३, पृ० १११। हाय पसारना या फैलाना = कुछ मांगना। याचना करना। (किसी के आगे) हाथ पसारना या फैलाना = (किसी से) कुछ मांगना । याचना करना । जैसे,-हम गरीव है तो किसी के आगे हाथ फैलाने तो नही जाते । उ०-परम उदार, चतुर चिंतामनि, कोटि कुबेर निधन की । राखत है जन की परतिज्ञा, हाथ पसारत कन कौं। -सूर०, १६ हाथ पसारे जाना = इस ससार से खाली हाथ जाना । परलोक मे कुछ साथ न ले जाना । हाथ पाँव चलना = काम धधे के लिये सामर्थ्य होना । कार्य करने की योग्यता होना । जैसे,--- इतने बडे हुए, तुम्हारे हाथ पांव नही चलते हैं। हाथ पाँव चलाना = काम धधा करना । हाथ टूटना = (१) अग भग होना । (२) शरीर मे पीडा होना । उ०- कल से चडू नसीव नही हुआ । जम्हाई पर जम्हाई पाती है और हाथ पाँव टूटे जाते है ।-फिसाना०, भा० ३, पृ० ६३ । हाथ पाँव ठडे होना = (१) शरीर मे गरमी न रह जाना । मरणासन्न होना । (२) भय या आशका से स्तब्ध हो जाना । ठक हो जाना। हाथ पांव डाल देना = कुछ न करना । निष्क्रिय या निकम्मा बन जाना। उ०--डाल दो हाथ पाँव मत अपने । आँख मे आँख डालकर देखो।--चोखे०, पृ० १६ । हाथ पांव तोडना = (१) अग भग करना । (२)हाथ पांव थर्राना । डर के मारे कँपकँपी होना। हाथ पांव निकालना = (१) शरीर हृष्ट- पुष्ट होना। मोटा ताजा होना । (२) सीमा का अतिक्रमण करना। हद से गुजरना । (३) नटखटी करना। शरारत करना । (४) छेडछाड करना । हाथ पाँव फूलना = (१) भय से स्तब्ध होना । डर या शोक से घबरा जाना । (२) व्यय के प्राधिक्य को देख- कर घबडा उठना । उ०-ठाकुर साहब फर्स्ट क्लास जेटुल- मैन के नाम एक महीने मे इस कदर विल पाए कि हाथ पांव फूल गए।-फिमाना०, भा०३, पृ० १५७ । हाथ पांव फेकना = हाथ पांव की मिहनत करना। उ०--लाभ है ले रहे लडकपन का, हाथ श्री पांव फेंकते लडके ।-चोखे०, पृ० १३ । हाथ पाँव बचाना = अपने शरीर की रक्षा करना । जैसे,- हाथ पांव बचाकर काम करना । हाथ पांव पटकना = छटपटाना। हाथ पांव मारना या हिलाना%3 (१) तैरने मे हाथ पैर चलाना। (२) शोक, दुख या पीडा से छट- पटाना। तडपना। (३) घोर प्रयत्न करना। बहुत कोशिश करना । जैसे,--उसने बहुत हाथ पांव मारे पर उसे ले न सका। उ०-छह रोज तक उन्होंने हाथ पॉव मारे । सातवे रोज दो चोरो को फांसा ।—फिसाना०, भा०३, पृ० २३६ । (४) बहुत हि० श० ११-२१ परिश्रम करना । खूब मिहनत करना। हाथ पांव से छूटना = अच्छी तरह बच्चा पैदा होना । सहज मे कुशलपूर्वक प्रसव होना। (स्त्रि०) । हाथ पाँव हारना = (१) साहस छोडना । हिम्मत हारना । (२) निराश होना। हताश होना । हाथ पीले पडना - (१)किसी प्रकार विवाह कर देना । (२) विवाह करना (हिंदुनो मे विवाह के समय शरीर मे हल्दी लगाने की रीति है । हाथ पैर जोडना = बहुत विनती करना । अनुनय विनय करना। हाथ फेकना = (१) हाथ चलाना । (२) वार करना । हथियार चलाना । (किसी पर) हाथ फेरना = प्यार से शरीर सहलाना । प्यार करना । (किसी वस्तु पर) हाथ फेरना = किसी वस्तु को उडा लेना । ले लेना । हाथ बद होना = दे० 'हाथ तग होना' । हाथ बढाना = (१) कोई वस्तु लेने के लिये हाथ फैलाना। (२) हद से बाहर जाना । सीमा का अतिक्रमण करना । (३) सहयोग देना । सहायता करना । (किसी काम मे) हाथ बंटाना या बटाना = शामिल होना । शरीक होना। योग देना। उ०-बेर न वीर लगानो, बढाकर हाथ वटायो।-अर्चना, पृ० २६ । हाथ बाँधकर खड़ा होना = (१) हाथ जोडकर खडा होना । (२) सेवा मे उपस्थित रहना । हाथ बाँधे खडा रहना = सेवा मे बरावर उपस्थित रहना । खिदमत मे हाजिर रहना। उ०--जव किसी का पांव हैं हम चूमते । हाथ बांधे सामने जब हैं खडे ।- चोखे०, पृ० ३५ । (किसी के) हाथ बिकना = किसी को मोल दिया जाना ।(किसी व्यक्ति का)किसी के हाथ विकना = (१) किसी का क्रीत दास होना । किसी का खरीदा गुलाम होना। (२) किसी के बिल्कुल अधीन होना । उ०-ऊधो नही हम जानत ही मनमोहन कूवरी हाथ त्रिकहैं ।-मति० ग्र०, पृ० ४०४ । (किसी काम मे) हाथ वैठना या जमना = अभ्यास होना । मश्क होना। ऐसा अभ्यास होना कि हाथ बराबर ठीक चला करे। उ०--काम की यह बात है, हर काम मे। वैठता है हाथ बैठाते रहे । -चोखे०, पृ० २१ । (किसी पर) हाथ बैठना या जमना = किसी पर ठीक और भरपूर थप्पड या वार पडना । काम करते करते हाथ थक जाना । हाथ भरना-हाथ मे रग या महावर लगाना। हाथ मंजना= अभ्यास होना। मश्क होना । हाथ मांजना = अभ्यास करना । हाथ मलना= (१) भूल चूक का बुरा परिणाम होने पर अत्यत पश्चात्ताप करना । बहुत पछताना । (२)निराश और दुखी होना । उ०- तो लगेगी हाय मलने आवरू। हाथ गरदन पर अगर डाला गया।-चोखे०, पृ० १६ । हाथ मारना = (१)वात पक्की करना। दृढ प्रतिज्ञा करना । (२)वाजी लगाना । (किसी वस्तु पर) हाथ मारना= उडा लेना । गायव कर लेना । बेईमानी से ले लेना। (भोजन पर) हाथ मारना = (१)खूब खाना । (२) बडे बडे कौर मुंह मे डालना । हाथ मारकर भागना = दौडने और पकडने का खेल खेलना । हाथ मिलाना = (१) भेंट होने पर प्रेमपूर्वक एक दूसरे का हाथ पकडना । (२) लडना । पजा लडाना । (३) सौदा पटाकर लेना। हाथ मीजना = अपना कोई वश न चलने पर अत्यत निराश होना । दे० 'हाथ मलना'। उ०-रोवत