पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१८५

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हारयष्टि ५४६७ हारी' हारयष्टि-सज्ञा स्त्री॰ [40] हार या माला की लडी। हारिण---वि० [स०] [वि॰ स्त्री० हारिणी] हिरण से सबधित (को०] । हारल-सज्ञा पु० [देश॰] एक प्रकार की चिडिया जो अपने चगुल मे हारिण-सञ्ज्ञा पु० हिरन का मास । मृगमास [को०] । कोई लकडी या तिनका लिए रहती है। दे० 'हारिल'। हारिणाश्वा-सधा स्त्री० [स०] दे० 'हारिनाश्वा' । हारलता--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] दे० 'हारयष्टि'। हारिणिक -वि० [स०] हिरण को पकडनेवाला । शिकारी [को०] । हारवार-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [अनु॰] दे॰ 'हडबडी' । हारित'--वि० [स०] १ हरण कराया हुआ । २ लाया हुअा । जिसे हारसिंगार-सज्ञा पु० [हिं० हार + सिंगार ] हरसिंगार का पेड या ले आए हो। ३ छीना हुआ। ४ खोया हुअा। गंवाया हुआ । ५ छोडा हुआ। समर्पित। ६ वचित । ७ पराजित । हारा फूल । परजाता। हारहारा-सज्ञा श्री० [सं०] एक प्रकार का अगूर । हुआ। ८ आकृष्ट । मोहित । मुग्ध । हारहूण-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ एक प्राचीन देश का नाम । २ हारहूण हारित'--सञ्ज्ञा पुं० १ तोता । सूपा । २ एक वर्णवृत्त जिसमे एक देश के निवासी। नगण और दो गुरु होते है। ३ हरा रग (को०) । ४ सामान्य ढग की हवा जो न बहुत कम और न बहुत तीखी हो (को॰) । हारहूर-सज्ञा पुं॰ [स०] एक प्रकार का मद्य । ५ विश्वामित्र के एक पुत्र का नाम (को०)। ६ एक प्रकार का हारहूरा-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] एक प्रकार का अगूर । कबूतर (को०)। हारहूरिका -सज्ञा स्त्री० [सं०] दे० 'हारहूरा' । हारितक-सज्ञा ॰ [स०] हरी सब्जी । हरा शाक (को०] । हारहौर--सचा पुं० [स०] १ एक प्राचीन देश का नाम । २ उक्त देश हारिद्र-सज्ञा पुं॰ [स०] १ एक प्रकार का विष जिसका पौधा हल्दी के का निवासी। समान होता है और जो हल्दी के खेतो मे ही उगता है। इसकी हारा'-प्रत्य० [स० धार (= रखनेवाला)] [स्त्री० हारी] एक गांठ बहुत जहरीली होती है। २ एक प्रकार का प्रमेह जिसमे पुराना प्रत्यय जो किसी शब्द के आगे लगकर कर्तव्य, धारण या हल्दी के समान पीला पेशाब आता है । ३ एक प्रकार का सयोग प्रादि सूचित करता है । वाला। जैसे,--करनेहारा, देने ज्वर (को०)। ४ कदव का वृक्ष। कदव (को०) । ५. स्वर्ण । हारा, लकडहारा इत्यादि । सोना (को०)। ६ पीला रग (को०)। हारा--सजा श्री० [देश०] दक्षिणपश्चिम के कोने को हवा । हारिद्र'-वि० पीत वर्ण का । पीला [को॰] । हारा-सज्ञा स्त्री० [अ० हाल] हाल । लाचारी । दीनता । उ०-- हारिद्रमेह--सज्ञा पु० [स०] प्रमेह रोग का एक भेद । हरिद्रा मेह ।, 'दही दही' करि महरि पुकारा। हारिल विनवै प्रापन हारा।- हारिनाश्वा--सज्ञा स्त्री॰ [स०] सगीत मे एक मूर्छना जिसका स्वरग्राम जायसी ग्र०, पृ० ११ । इस प्रकार है-ग, म, प, ध, नि, स, रे । स, रे, ग, म, प, ध, होगवलि-सञ्ज्ञा स्त्री० [०] १ मोतियो की माला । उ०-रसिक नि, स, रे, ग, म, प। जनन जीवन जु हृदय हारावलि धारी।-भक्तमाल, पृ० ५३७ । हारिल-मज्ञा पु० [देश॰] एक प्रकार की चिडिया जो प्राय अपने चगुल २ पुरुषोत्तम देव द्वारा रचित अप्रचलित शब्दो के संग्रह से मे कोई लकडी या तिनका लिए रहती है । इसका रग हरा, पैर युक्त सस्कृत का एक कोशनथ । पीले और चोच कासनी रग की होती है । हरियल । उ०-- हारावली-सज्ञा स्त्री० [स०] दे० 'हारावलि' । हमारे हरि हारिल की लकरी।-(शब्द०) हारि '—मशा पुं० [सं०] १ हार। पराभव । शिकस्त । २ क्रीडा या हारी-वि० [स० हारिन्] [वि० सी० हारिणी] १ हरण करनेवाला । द्यूतक्रीडा मे पराजय । ३ पथिको का दल । कारवाँ । छीननेवाला । २ ले जानेवाला । पहुँचानेवाला । लेकर चलने- हारि--वि० १ हरण करनेवाला । ले जाने या बलात् ले लेनेवाला। वाला । ३ चुरानेवाला । लूटनेवाला । ४ दूर करनेवाला । २ आकर्षक । मनोहर । मन हरनेवाला । हटानेवाला । ५ नाश करनेवाला । ध्वस करनेवाला । ६ वसूल हारि- --सहा स्त्री शिथिलता। दे० 'हार' । करनेवाला । उगाहनेवाला (कर या महसूल)। ७ जीतने- हारिकठ'- वि० [स० हारिकण्ठ] १ मधुर कठवाला । मधुरभाषी । वाला। पराजित करनेवाला । ८ मन हरनेवाला । मोहित २ जो गले मे मोतियो की माला पहने हो [को०] । करनेवाला । ६ अाह लादित, खुश या प्रसन्न करनेवाला । १० ग्रहण करनेवाला (को०)। ११ हार पहननेवाला । हारिकठ-सचा पु० कोयल (को०] । हारी-सज्ञा पुं० [सं०] १ एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण मे एक हारिक' - वि० [स०] हरि के सदृश । हरितुल्य । तगण और दो गुरु होते है । २ बदनाम लडकी जो विवाह के हॉरिक'--सज्ञा पुं० एक प्राचीन जनपद [को०] । अयोग्य कही गई है (को०) । ३ मुवता । मोतो (को०)। हारिका-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] एक छद का नाम [को०] । हारी-सज्ञा स्त्री॰ [हिं०] पराजय । दे० 'हार' । हारिज-वि० [अ०] १ हानिकर । नुकसानदेह । २ गडवडी फैलाने मुहा०-हारी मानना न जीती मानना = किसी तरह न मानना। वाला । उपद्रवकारी । वाधक [को०] । न चित्त मानना न पट मानना । उ०--हजार बार कह दिया,