पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१८७

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हालक १४६६ हालूक हालक-सज्ञा पुं० [सं० ] पीलापन लिए भूरे रंग का, घोडा। होला'-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] मदिरा । मद्य । शराव । हालगाह-सज्ञा पुं॰ [फा०] चौगान खेलने का मैदान । कदुक की क्रीडा हालाg:--सज्ञा पुं० [हिं० हालना] दे० 'हालो' । के लिये निर्मित मैदान [को०] । यो०- हालाडोला = दे० 'हालडोना' । 'हालाहाली' । हालगोला---सज्ञा पु० [हिंहाल + गोला ] गेंद। उ०-किधों चित्त हालात--सज्ञा पुं० [फा०] हानत का बहुवचन । परिस्थितियां [को॰] । चौगान के मूल सोहै । हिये हेम के हालगोला विमोहै । --केशव हालावाद-सज्ञा पुं० [९० हाला + वाद] साहित्य, विशेषत काव्य की (शब्द॰) । वह प्रवृत्ति या धारा, जिसमे हाला या मदिरा को वर्ण्य विषय हालडोल --सन्ना पुं० [हिं० हालना+ डोलना] १ हिलने की क्रिया मानकर काव्यरचना हुई हो । उ०-~-'मधुशाला,' 'मधुबाला' या भाव । गति । २ कप । ३ हलकप । हलचल । इत्यादि कान्य कृतियो से हिंदी मे हालावाद नाम की एक नई हालत- सज्ञा स्त्री० [अ०] १ दशा । अवस्था । जैसे, अब उस प्रवृत्ति चल पडी।-हिं० का० प्रा० प्र०, पृ० १८३ । बीमार की क्या हालत है? २ आर्थिक दशा । सापत्तिक विशेप-साहित्य की इस धारा का आधार उमर खैयाम की रुवा- स्थिति । जीवननिर्वाह की गति । जैसे,--अव उनकी हालत इयां रही है। ऐसी नहीं है कि कुछ अधिक दे सके । ३. चारो ओर की हालाह-संज्ञा पुं० [सं०] चितकबरा घोडा । हलाह [को॰] । वस्तुप्रो और व्यापारो की स्थिति। सयोग । परिस्थिति । हालाहल-सज्ञा पुं० [म०] दे० 'हलाहल' । जैसे,--ऐसी हालत मे हम सिवा हट जाने के और क्या कर हालाहाली -सज्ञा स्त्री० [हिं० हाल ] शीघ्रता । जल्दी जल्दी। सकते थे। हालाहाली --क्रि वि० शीघ्रता मे। जल्दी मे । मुहा०-हालत खराव होना = (१) दशा विगड़ना। प्रतिकूल हालिक - --वि० [सं०] हल सवधी। परिस्थिति होना । (२) पराभूत होना। हालत गैर या हालिक'-मज्ञा पु० १ कृषक । किसान । खेतिहर । २ एक प्रकार तबाह होना = दे० 'हालत खराब होना।' का छद । ३ पणुमो का बध करनेवाला । कसाई । ४. वह जो हालदार-सज्ञा पुं० [अ० हवालु - फा० दार] १ दे० 'हवलदार'। २ हल को शस्त्र की तरह युद्ध में प्रयुक्त करता हो। हल से युद्ध वगाल मे एक जातिगत अल्ल या उपाधि । करनेवाला । ५ वह जो हल को खीचता हो । हल का बैल हालदारी-सज्ञा श्री० [?] एक प्रकार का कर जो विवाह के अवसर (को०) । ६ हलवाहा (को०) । ७ अनार । दाडिम । उ०-रक्त- पर पहले वगाल मे लगता था । बीज, हालिक, करक, शुक प्रिय, कुट्टिम मार । ए दाडिम इत हालना-क्रि० अ० [सं० हल्लन] १ हिलना । डोलना। देखि वलि, कछु तुव दसन प्रकार ।-नद० ग्र०, पृ० १०२। गतिवान् होना । हरकत करना । उ०—-ज्यो जल हालत है हालिक'--वि० [अ०] प्राण लेनेवाला । घातक [को०] । लगि पौन कहै भ्रम ते प्रतिबिंब हि काँपै ।-सुदर० ग्र०, हालिनी--- |--सञ्ज्ञा स्रो० [स०] एक प्रकार की बडी गृहगोधा या छिपकली। भा० २, पृ०५८० । २ काँपना । डगमगाना ! उ०-भुव हालिम--सज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का पौधा जिसके बीज औषध हालति जानि अकास हिये। जनु थभित ठौरनि ठौर किये ।- के काम मे आते है। चमुर । चद्रसुर । हालों। केशव (शब्द॰) । ३ झमना । लहराना। उ०—(क) भूतल विशेप-यह सारे एशिया मे लगाया जाता है । इसके बीजो से एक भूधर हाले अचानक अाप भरत्य के दुदुभि बाजे ।-केशव प्रकार का सुगधित तेल निकलता है । बीज बाजार मे विकते (शब्द॰) । (ख) हालति न चपलता डोलत समीरन के बानी हैं और पुष्ट माने जाते है । ग्रहणी और चर्मरोग मे भी इनका कल कोकिल कलित कठ परिगो ।--(शब्द॰) । व्यवहार होता है। हालमृत्-सज्ञा पुं० [स०] बलदेव । वलराम [को॰] । 1-अव्य० [अ० हाल] जल्दी। शीघ्र । हालरा--सञ्ज्ञा पुं० [हिं० हालना] १ बच्चो को हाथ मे लेकर हिलाने यौ०-हाली हाली = जल्दी जल्दी। शीघ्रता से। की क्रिया । बच्चो को लेकर हिलाना डुलाना। २ झोका । ३ हाली-सञ्ज्ञा सी० [सं०] पत्नी की छोटी बहन । साली (को॰] । लहर । हिलोर। हाली --सा पुं० [प० हाल] १ हल चलानेवाला । कृपक । उ०- हालहल, हालहाल-सज्ञा पुं० [स०] दे० 'हलाल', 'हालाहल' । बाडी माह माली निपज्यो हाली मां निपज्यो पेत । -सुदर० हालहली--सशास्त्री० [सं०] मदिरा । शराब [को०] । ग्र०, भा०२, प०५३३ । हालहूल'-सज्ञा स्त्री० [हिं० हल्ला] १ हल्ला गुल्ला । कोलाहल । हाली'-वि० [अ०] १ वर्तमान समय का । आधुनिक । २ आभूषित । शोरगुल । २ हलकप । हलचल । आदोलन । शृगारित । ३ चालू । जो प्रचलन में हो। जैसे,--नोट हालहूलर- कि० वि० [हिं० हालना + अनु० हूलना, या हिं० सिक्का आदि । यिो । झूलना] हिलडुलकर । उ०-हालहूल ऊँचे नीचे ठोर ठहराहिगे। हालीमवाली- सम पुं० [अ०] सगी साथी । यार दोस्त । -सुदर० प्र० (जी०), पृ० ६६ । हालु-सा पुं० [सं०] दत । दांत । हालांकि-अव्य० [फा०] यद्यपि । गो कि । ऐसी बात है, फिर भी। हालूक-मा स्रो॰ [देश०] एक प्रकार की भेड जो तिब्बत के पूरयो जैसे,—वह ज्यादा हिम्मत रखता है, हालांकि तुमसे कमजोर है। भाग मे होती है और जिसका उन बहुत पन्छा होता है । हाली दि० २० ११-२२