पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/१८८

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हालो, हाली हासिका हालों, हालौ -सञ्ज्ञा पुं॰ [देश० हालिम] दे० 'हालिम ।' हावी-वि० [म० हाविन्] अग्नि मे हवि देनेवाला । साकल्य, घृत हालो -सञ्ज्ञा पुं० [हिं० हालना] हलकप । हलचल । उ०-हालो आदि हवन करनेवाला । होता [को०) । परयो लोकन में लालो परयो चक्रिन मे चालो परयो लोगन मे हाशिया-सज्ञा पुं० [अ० हाशियह.] १. किसी फैली हुई वस्तु का चामर चवात हो ।- कविता को०, भा०१, पृ० १५१ । किनारा । कोर । पाड । वारी । जैसे,—किताब का हाशिया, हाल्ट-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] दल या सेना का चलते हुए एकदम रुक जाना कपडे का हाशिया । २ गोट । मगजी । या ठहर जाना । ठहराव । क्रि० प्र०-चढाना ।—लगाना । विशेप-मार्च करती हुई या चलती हुई सेना को ठहराने के लिये ३ हाशिए या किनारे पर का लेख । नोट । यह शब्द जोर से बोला जाता है। मुहा०-हाशिए का गवाह = वह गवाह या साक्षी जिसका नाम हाव-सज्ञा पुं० [स०] १ पास बुलाने की क्रिया या भाव । पुकार । किसी दस्तावेज के किनारे दर्ज हो । हाशिया चढाना = किसी बुलाहट । २ सयोग या शृगार के समय मे नायिका की प्रेमभाव बात मे मनोरजन आदि के लिये कुछ और बात जोडना । नमक मिर्च लगाना। जनित स्वाभाविक चेप्टाएँ जो पुरुष को आकर्षित करती हैं । यौ०-हाशिया पाराई = दे० 'हाशिया चढाना'। हाशियानशीन = विशेप-माहित्य मे ग्यारह हाव गिनाए गए हैं--लीला, विलास, विच्छित्ति, विभ्रम, किलकिंचित, मोट्टायित, विव्वोक, विहृत, (१) दरवार मे मडलाकार बैठनेवाले सभासद । (२) किसी कुट्टमित, ललित और हेला। भाव विधान मे 'हाव' अनुभाव वडे आदमी के पास उठने बैठनेवाले लोग। हशियानशीनी - दरवरदारी । मुसाहिवी। के ही प्रतर्गत है। यौ०-हावभाव । हास--सज्ञा पुं० [०] १ हंसने की क्रिया या भाव । हमी । उ०-सतो हावक-सज्ञा पुं० [सं०] १ हवन या यज्ञ करानेवाला । २ वह जो भाई सुनिए एक तमासा । चुप करि रहो त कोई न जाने कहते आह्वान करे। पुकारनेवाला व्यक्ति (को०) । ३ वह व्यक्ति जो प्रावै हासा ।-सदर० भा० २, पृ० ८२७ । २ परिहास । दिल्लगी। ठट्ठा । मजाक । ३ निंदा का भाव लिए हँसी । वधू या दुलहिन को बुलाए (को॰) । उपहास । ४ आनद । खुशी। ५ हास्य रस का स्थायी भाव हावन-सशा पुं० [फा०] १ उलूखल । अोखली । २ दवा आदि कूटने (को०) । ६ अत्यत चमकीला श्वेत वर्ण । ७ खिलना। का प्रोखली जैसा लोहे का पान । विकसित होना (को०)। ८ अहकार । गर्व । घमड (को०) । हावनदस्ता-सञ्ज्ञा पुं० [फा० हावनदस्तह, ] लोहे का अोखली जैसा यौ०-हास परिहास, हासविलास = हास और क्रीडा । उ०-चारु पान और कूटने का लबा लोहे का वट्टा। खरल और बट्टा । चिबुक नासिका कपोला। हासविलास नेत मन मोला।- हावनीय-वि० [स०] हवन कराने योग्य । मानस, १११२३ । हावभाव- सहा पुं० [सं०] स्त्रियो की वह चेष्टा जिससे पुरुषो का चित्त हास- वि० श्वेत (वर्ण) । उज्वल । आकर्षित होता है । नाज नखरा । हासक---सशा पुं० [सं०] १ हंसानेवाला व्यक्ति । भाँड। विदूषक । क्रि० प्र०—करना ।-दिखाना। २ हास । हास्य (को०)। हावर--सज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का छोटा पेड । हासकर'-वि॰ [स०] हँसानेवाला । जिसमे या जिससे हंसी आवे । विशेप-यह पेड अवध, राजपूताना, मध्यप्रदेश और मद्रास में हासकर'-सज्ञा पुं० हास मे प्रवृत्त करने की क्रिया । हँसाना। वहुत होता है । इसकी लक्डी मजबूत, वजनी और भूरे रग की हासद--वि० [स० हास ( = प्रसन्नता, खुशी) + द (प्रत्य॰)] सुखात । होती है और खेती के सामान (हल, पाटे आदि) बनाने के काम उ०-नाटको मे वासद (दु खात) और हासद (सुखात) का मे आती है। भेद किया जाता है।-स० शास्त्र, पृ० १२६ । हावलावावला--वि० [हिं० बावला ] [वि॰ स्त्री० हावलीवावली ] हासन न'-सज्ञा पुं० [सं०] १ हँसाना। हासयुक्त करना। २ वह जो पागल । सनकी। हँसाता हो। हंसानेवाला। हावहाव--सहा सी० [हिं० हाय] किसी पदार्थ को प्राप्त करने की हासन:--वि० हँसानेवाला । मजाक से भरा हुआ । मजाकिया [को०] । बहुत अधिक और अनुचित इच्छा । हाय हाय । जैसे,--तुम्हें हासनिक-सज्ञा पुं॰ [स०] वह जो विनोद या क्रीडा का साथी हो । तो हरदम रुपयो की हावहाव पडी रहती है। साथ साथ विनोद या क्रीडा करनेवाला। हावी-वि० [अ०] १ छाया हुआ। आच्छादित । जिसने किसी हासवती-सज्ञा सी० [स०] तात्रिक बौद्धो की एक देवी चीज को ढंक लिया हो । २ कुशलता और चतुराई के बल से हासशील--वि० [सं०] हँसानेवाला । हँसोड । विनोदी । जिसने किसी को प्रभावित कर लिया हो। ३ प्रभावित हासस्-सज्ञा पुं० [सं०] इदु । चद्रमा । मुधाकर [को॰] । करनेवाला । अधिकार करनेवाला । उ०—कवि पर धर्मोपदेप्टा हासा-सञ्ज्ञा पु० [स०] काल । समय (को०] । और नीतिकार का हावी होना शुक्ल जी को पसद नही है। हासिका-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] १ हँसी । हास्य । २ अानद । क्रीडा । -प्राचार्य, पृ० ११५॥ विलास । मौज । मनोरजन [को०] । -