पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/२२०

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हुक्का' ५५३२ हुक्मचील 'क्रि० प्र०—करना ।--होना । हुक्काम-सज्ञा पुं० [अ० 'हाकिम' का वहुवचन स्प] हाकिम लोग। मुहा०- हुकूमत चलना-प्रभुत्व माना जाना। अधिकार माना अधिकारी वर्ग। वडे अफसर। जाना। हुकूमत चलाना प्रभुत्व या अधिकार से काम लेना। हुक्कासाज--वि० [अ० हुक्कह + साज] हुक्का भरने मे हुनरमदी दूसरो को आज्ञा देना । जैसे,—उठो कुछ करो, वैठे बैठे हुकूमत जनानेवाला । उ०-कोई इल्मे महफिल के उस्ताद, कोई हुवका- चलाने से काम न होगा। हुकूमत जताना = अधिकार या वडप्पन साज श्रो। -प्रेमघन०, भा॰ २, पृ०८७। प्रकट करना । प्रभुत्व प्रदर्शित करना। रोब दिखाना। हुक्कू-सशा पुं० [देश०] एक जाति का बदर । २ राज्य । शासन । राजनीतिक प्राधिपत्य । जैसे,--वहाँ भी हुक्चा--सज्ञा स्त्री॰ [फा० हुक्चह, ] हिचकी । हिवका [को०] । अंगरेजो की हुकूमत है। हुक्म--मज्ञा पुं० [अ०] १ बडे का वचन जिसका पालन कर्तव्य हो । यौ०--हुकूमते जम्हूरी = जनता का शासन । जनतत्र । लोकतन्त्र । कुछ करने के लिये अधिकार के साथ कहना । अाज्ञा । आदेश । हुक्का'--सज्ञा पुं० [अ० हुक्कह] १ तवाकू का धूआँ खीचने के लिये क्रि० प्र०--करना।-होना। विशेष रूप से बना हुआ एक नल यन्त्र । गडगडा । फरशी । मुहा०--हुक्म उठाना = (१) हुक्म रद्द करना। प्राज्ञा फेरना। विशेष--हुक्के मे दो नलियाँ होती है--एक पानी भरे पान के पेंदे हुक्म जारी न रखना। (२) प्राज्ञा पालन करना। सेवा (फरशी) से ऊपर की ओर खडी जाती है जिसपर तवाकू सुलगाने करना । अधीनता मे रहना। हुक्म उलटाना = प्राज्ञा का निरा- की चिलम बैठाई जाती और दूसरी उसी पान से बगल की ओर करण करना। एक अाज्ञा के विरुद्ध दूस प्राज्ञा प्राप्त करना। आडी या तिरछी जाती है जिसका छोर मुंह मे लगाकर पानी हुक्म की तामील = आज्ञा का पालन । हुक्म के मुताबिक कार्र- से होकर पाता हुआ तवाकू का धूआँ खीचते हैं । वाई । हुक्म चलना = अधिकार होना। किसी की हुक्मत होना। यौo-हुक्का तमाखू = विरादरी की राह रस्म । सामाजिक हुक्म चलाना = (१) अाजा प्रचलित करना। (२) अाज्ञा देना। व्यवहार । हुक्का पानी अधिकारपूर्वक दूसरे को कुछ करने के लिये कहना। बडप्पन- मुहा०-हुक्का पीना = हुक्के की नली से तबाकू का धूप्रां मुंह मे दिखाते हुए दूसरे को काम में लगाना । जैसे,—वैठे बैठे हुश्म खीचना। हुक्का गुडगुडाना = हुक्का पीना। हुक्का ताणा चलाते हो, खुद जाकर क्यो नहीं करते? हुक्म जारी करना 3 करना = हुक्के का पानी बदलना। हुक्का भरना = चिलम पर आज्ञा का प्रचार करना। हुक्म तोडना = प्राज्ञा भग करना । प्राग तबाकू वगैरह रखकर हुक्का पीने के लिये तैयार करना। प्रादेश के विरुद्ध कार्य करना। बडे के वचन का पालन न २ दिशा जानने का यत्न । कपास । (लश०) । ३ प्राभूषण या करना। हुक्म देना= प्राज्ञा करना। हुक्म वजाना या वजा इन रखने का डिब्बा (को०) । ४ पिटारी । टोकरी (को०)। लाना = (१) अाज्ञा पालन करना । बडे के कहे अनुसार करना। यौ०-हुक्काबाज = (१) मदारी । खेलतमाशे दिखानेवाला। (२) सेवा करना । हुक्म मानना = आज्ञा पालन करना । बडे के (२) छली । धूर्त । मक्कार । हुक्काबाजी = (१) मदारी का कहे अनुसार चलना। हुक्म मिलना = आज्ञा दिया जाना । काम करनेवाला । (२) धूर्तता । मक्कारी । ठगी। आदेश होना । जैसे,—मुझे क्या हुक्म मिलता है ? जो हुक्म = जो हुक्का --सञ्ज्ञा श्री० [फा० हुक्कह, तुल० सं० हिक्का] हिचकी । हुक्म होता है, उसे मैं करूंगा। (नौकर)। हुक्चा (को०] । २ कुछ करने की स्वीकृति । अनुमति । इजाजत । जैसे,—(क) हुवकापानी-सज्ञा पुं० [अ० हुक्कह, +हिं० पानी] एक दूसरे के हाथ सवारी निकालने का हुक्म हो गया। (ख) घर जाने का हुक्म से हुक्का तवाकू पीने और पानी पीने का व्यवहार । बिरादरी की राह रस्म। आने जाने और खाने पीने आदि का सामाजिक मुहा०-हुक्म लेना = आज्ञा प्राप्त करना। अनुमति लेना। व्यवहार। जैसे,—तुम्हें हुक्म लेकर जाना चाहिए था। विशेष-जिस प्रकार एक दूसरे के साथ खाना पीना एक जाति या ३ अधिकार । प्रभुत्व । शासन । इरितयार। जैसे,-हुक्म बना बिरादरी मे होने का चिह्न समझा जाता है, उसी प्रकार कुछ रहे । (प्राशीर्वाद)। जातियो मे एक दूसरे के हाथ का हुक्का पीना भी। ऐसी जातियां जैव किसी को समाज या बिरादरी से अलग करती है, तब उसके मुहा०--हुक्म मे होना = अधिकार मे होना। अधीन होना। हाथ का पानी और हुक्का दोनो पीना बद कर देती हैं। शासन मे होना । जैसे,--(क) मैं तो हर घडी हुक्म मे हाजिर मुहा०–हुक्कापानी देना या पिलाना = स्वागत सत्कार करना । रहता हूँ। (ख) यह किसी के हुक्म मे नहीं है, मनमानी हुक्का पानी बद करना = बिरादरी से अलग करना । समाज से करता है। वाहर करना। (दड स्वरूप) हुक्का पानी बद होना = बिरादरी ४ किसी कानून या धर्मशास्त्र की आज्ञा । विवि । नियम । शिक्षा। से अलग किया जाना। समाज से बाहर होना। उपदेश । ५ ताश का एक रग जिसमे काले रग का पान बना हुक्कावरदार-सज्ञा पुं० [अ० हुक्कह + फा० बरदार(प्रत्य०)] किसी रहता है। व्यक्ति का हुक्का लेकर चलनेवाला नौकर । हुक्मचील-सज्ञा स्त्री० [?] खजूर का गोद । मिल गया।