पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/४६

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२ स्थौर ५३५८ स्नानशाला स्थौर-सचा पुं० [सं०] १ वह भार जो पीठ पर लादा जाय । समाप्त करके जो युवक निकलते हैं, वे भी स्नातक ही मजबूती । दृढता (को०)। ३ वल । शक्ति (को॰) । कहलाते है। स्थौरी-शा पु० [स० स्थौरिन्] १ घोडे, बैल, खच्चर, आदि जिनकी २ किसी धार्मिक उद्देश्य से भिक्षु बना हुअा ब्राह्मण। ३ ब्राह्मण, पीठ पर भार लादा जाता हो। २ अच्छा घोडा। मजबूत क्षत्रिय और वैश्य जाति का वह व्यक्ति जो गृहस्थाश्रमी हो घोडा (को०)। (को०) । ४ किसी विद्यालय की शिक्षा समाप्त कर उपाधि स्थौलक्ष्य-सधा पु० [स०] प्रौदार्य । उदारता को०) । पानेवाला छान । ग्रेजुएट । स्थौलपिडि - सज्ञा पुं० [स० स्थौलपिण्डि] वह जो स्थूलपिंड के वश या स्नातकोत्तर-वि० [स० स्नातक + उत्तर] स्नातक होने के पश्चात् गोत्र मे उत्पन्न हुआ हो। का। स्नातक के वाद का। जैसे, स्नातकोत्तर शिक्षा, स्नात- कोत्तर विद्यालय आदि । स्थौललक्ष्य - सज्ञा पुं० [स०] औदार्य । उदारता (को०)। स्थोल्य-सबा पुं० [स०] १ स्यूल का भाव । स्थूलता। २ भारीपन । विशेष--यह शब्द अग्रेजी 'पोस्ट ग्रेजुएट' शब्द का अनुवाद है। ३ शरीर की मेदवृद्धि जो वैद्यक के अनुसार एक प्रकार का रोग स्नात्र--सज्ञा पुं॰ [सं०] स्नान । नहाना [को०] । है। मोटापन । ४ बुद्धि का मोटापन । बुद्धि की मदता (को०)। स्नान--सज्ञा पु० [स०] १ शरीर को स्वच्छ करने या उसकी शिथि- स्नपन'--सज्ञा पुं० [स०] [वि० स्नपित १ नहाने की क्रिया । स्नान । लता दूर करने के लिये उसे जल से धोना, अथवा जल की २ धोना। प्रक्षालन । साफ करना (को॰) । वहती हुई धारा मे प्रवेश करना। अवगाहन । नहाना । विशेष स्नपन--वि० १ नहलानेवाला। २ नहाने के काम मे आनेवाला । दे० 'नहाना"। २ शरीर के अगो को धूप या वायु के सामने स्नानीय [को०] । इस प्रकार करना जिसमे उनके ऊपर उसका पूरा पूरा प्रभाव स्नपित वि० [स०] जिसने स्नान किया हो। नहाया हुआ। पडे । जैसे,--पातपस्नान, वायुस्नान । ३ पानी से धोकर साफ करना। जल से धोकर शुद्ध करना (को०) । ४ देवमूर्ति या स्नय-सज्ञा पुं० [स०] १ नहाने की क्रिया । स्नान । २ शुद्धि । शोधन । पवित्रीकरण (को०। विग्रह को नहलाना (को०)। ५ स्नानीय जल आदि वस्तुएँ । नहाने के काम मे प्रयुक्त जल आदि पदार्थ (को॰) । स्नव-सज्ञा पुं० [सं०] रिसना । चूना। क्षरण [को०] । स्नानकलश--सचा पु० [सं०] वह धडा जिसमे स्नान करने का पानी स्नसा-सहा सी० [सं०] १ स्नायु । २ पेशी। पुट्ठा । मासपिंड (को०)। रहता है। स्ना-सशा स्त्री० [स०] वह चमडा जो गाय या बैल आदि के गले के स्नानकुभ-सज्ञा पुं० [स० स्नानकुम्भ] दे० 'स्नानकलश' । नीचे लटकता है । ली। स्नानगृह-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] वह कमरा, कोठरी या इसी प्रकार का और स्ना'-वि० नहाया हुआ। स्नान किया हुआ। (समस्त पदो मे प्रयुक्त) घिरा हुआ स्थान जिसमे स्नान किया जाता है । अ० वाथरूम। जसे घृतस्ना। स्नात'---वि० [स०] १ जिसने स्नान किया हो। नहाया हुअा। २ स्नानघर-सञ्ज्ञा पु० [स० स्नान +हिं० घर] दे० 'स्नानगृह' । जिसका वेदाध्ययन पूरा हो गया हो (को०)। स्नानतीर्थ-सज्ञा पुं० [स०] वह पविन्न स्थान जहाँ धार्मिक दृष्टि से स्नान किया जाय किो०] । स्नात'--सज्ञा पु० १ वह जिसका अध्ययनकाल समाप्त हो गया हो। स्नातक । २ दीक्षित या अभिमनित गृहस्थ [को०) । स्नानतृण-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] कुश जिसे हाथ में लेकर नहाने का शास्त्रो मे विधान है। स्नातक-सबा पुं० [स०] १ वह जिसने ब्रह्मचर्य व्रत की समाप्ति पर स्नानद्रोणी--सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] स्नान करने का चौडा छिछला पान (को०] । स्नान करके गृहस्थ आश्रम मे प्रवेश किया हो। विशेष-प्राचीन काल मे बालक गुरुकुलो मे वेदो तथा अन्यान्य स्नानयात्रा--सज्ञा स्त्री॰ [स०] १ ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को होने- वाला एक उत्सव जिसमे विष्णु की मूर्ति को महास्नान कराया विद्यायो का अध्ययन समाप्त करके २५ वर्ष की अवस्था जाता है। इस दिन जगन्नाथ जी के दर्शन का बहुत माहात्म्य मे जब घर को लौटते थे, तव वे स्नातक कहलाते थे । ये स्नातक कहा गया है। जलयाना। २ नहाने के लिये तीर्थ आदि की तीन प्रकार के होते थे। जो स्नातक २५ वर्ष की अवस्था तक याना करना। ब्रह्मचर्य का पालन करके बिना वेदो का पूरा अध्ययन किए ही घर लौटते थे, वे व्रतस्नातक कहलाते थे। जो लोग २५ वर्प स्नानवस्त्र-मया पुं० [सं०] वह वस्त्र जिसे पहनकर स्नान किया की अवस्था हो जाने पर भी गुरु के यहाँ ही रहकर वेदो का अध्य- जाता है। यन करते थे और गृहस्थ आश्रम मे नही आते थे, वे विद्यास्नातक स्नानविधि--सज्ञा स्त्री० [सं०] १ स्नान करना । नहाना । २ स्नान कहलाते थे। और जो लोग ब्रह्मचर्य का पूरा पूरा पालन करके करने की प्रक्रिया या विधि (को०] । गृहस्थ आश्रम मे आते थे, वे उभयस्नातक या विद्याव्रतस्नातक स्नानशाटी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] नहाने का अधोवस्त्र [को०] । कहलाते थे। इधर हाल मे भारत मे थोडे से गुरुकुल और स्नानशाला--सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] नहाने का कमरा या कोठरी । स्नान- ऋषिकुल आदि स्थापित हुए है। उनकी अवधि और परीक्षाएँ गृह । गुसलखाना। 1