पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 11.djvu/९७

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स्वाद्य व्यापारी। ५४०९ स्वानुभूति --चद्रधर० (शब्द०) । २ सरस और रुचिकर (को०) । ३ जो स्वाधीनवल्लभा-सज्ञा सी० [स०] दे० 'स्वाधीनपतिका' । कला और नमकीन हो (को॰) । स्वाधीनी--सज्ञा स्त्री० [स० स्वाधीन + हिं० ई (प्रत्य॰)] स्वाधीनता । स्वाद्य'--सज्ञा पुं० कसला एव नमकीन स्वाद । २ रस (को०] । स्वतन्त्रता । आजादी। उ०-शिल्पकलायो से जन्म है, विविध सौख्य सपत्ति प्रथा। धन, वैभव, व्यापार, वडप्पन, स्वाधीनी, स्वागुरु-सज्ञा पु० [स०] एक प्रकार की अगर की लकडी। सतोप तथा ।--श्रीधर (शब्द॰) । स्वाद्वन्न-सज्ञा पुं० [म.] मधुर एव रुचिकर खाद्य पदार्थ [को०] । स्वाध्याय--संज्ञा पु० [स०] १ वेदो की निरतर और नियमपूर्वक स्वादम्ल--सक्षा पु० [स०] १ अनार का पेड । दाडिम वृक्ष । २ नारगी का पेड । नागरग वृक्ष । ३ कदव वृक्ष । प्रावृत्ति या अभ्यास करना। वेदाध्ययन । २ धर्मग्रो का नियमपूर्वक अनुशीलन करना । ३ किसी विषय का अनुशीलन । स्वाद्वी--सज्ञा स्त्री० [म०] १ दाख । द्राक्षा । २ मुनक्का। कपिल- अध्ययन। ४ वेद । ५ अनध्याय के वाद का वह दिन जव द्राक्षा । ३ फ्ट । चिर्भटिका। ४ खजूर का पेड । खर्जुर वृक्ष । स्वाध्याय प्रारभ होता है। स्वाधिनपतिका-सा पुं० [स० स्वाधीनपतिका] दे० 'स्वाधीन- १ वेदाध्यायी। वेदा- पतिका'। उ०-स्वाधिनपतिका, कहत कवि प्रभिसारिका स्वाध्यायवान्--वि० [स० स्वाध्यायवत्] ध्यययन करनेवाला । २ जो स्वाध्याय कर रहा हो। वेदपाठ सुनाम। कही प्रवच्छतिप्रेयसी, आगतपतिका वाम ।-मति० या अध्ययन करता हुआ [को०] । ग्र०, पृ० २६४। स्वाध्यायार्थी--सज्ञा पु० [स० स्वाधिनवलभा@-सज्ञा स्त्री० [स० स्वाधीनवल्लभा] दे॰ 'स्वाधीन- वाव्यायाथिन्] अध्ययन करते हुए वल्लभा'। उ०-अरग रग इमि सखि सो कहै। मध्या जीविकार्थ अर्थोपार्जन करनेवाला छात्र । वह विद्यार्थी जो स्वाधिनबलभा इहै।-नद० ग्र०, पृ० १५७ । पढता हुअा खुद कमाता भी हो [को०] । स्वाधिकार--सज्ञा पुं॰ [म.] १ अपना अधिकार, पद या प्रभुत्व । २ स्वाध्यायी-सज्ञा पुं० [स० स्वाधायिन्] १ विभिन्न शास्त्र ग्रथो का धर्म, कर्तव्य अथवा कार्य किो०] । अध्ययन करनेवाला व्यक्ति । अध्ययनशील व्यक्ति । २ वह जो स्वाधिपत्य---सझा पु॰ [स०] अपना आधिपत्य, अधिकार या प्रभुत्व किो॰] । वेदाध्यन करता हो। वेदपाठी । ३ दूकानदार । वणिक् । स्वाधिष्ठान-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ हठ योग मे माने हुए कुडलिनी के ऊपर पड़ने वाले छह चक्रो मे से दूसरा चक्र । स्वाध्यायी--वि० वेदपाठ करनेवाला [को०] । विशेप---इस चक्र का स्थान शिश्न के मूल मे, रग पीला और स्वानद--सज्ञा पु० [स० स्वानन्द] अात्मपरक यानद । अपनी मस्ती । देवता ब्रह्मा माने गए हैं। इसके दलो की सख्या छह और अक्षर प्रात्मानद (को०] । व से ल तक हे स्वान-सज्ञा पु० [सं०] शब्द । अावाज । घडघडाहट । २ अपना अधिष्ठान, वासस्थान अथवा नगर (को०) । स्वान--सज्ञा पुं० [स० श्वान] दे० 'श्वान' । उ०--खर स्वान सुअर स्वाधीन'--वि॰ [स०] १ जो अपने सिवा और किसी के अधीन न सृगाल मुख गन बेप अगनिन को गने । वहु जिनस प्रेत पिसाच हो । स्वतत्र । अाजाद । खुदमुख्तार । २ किसी का वधन न जोगि जमात बरनत नहिं बने ।--मानस, १६३ । माननेवाला । अपने इच्छानुसार चलनेवाला। मनमाना काम स्वाना@t-क्रि० स०[स० स्वप्, स्वपन, पु०हिं० सुवाना, सोवाना, करनेवाला। निरकुश । अवाध्य । जैसे,--(क) वह लडका हिं० सुलाना] दे० 'सुलाना' । उ०--(क) सुख दै सखीनि बीच आजकल स्वाधीन हो गया है, किसी की वात नही सुनता। दे के सोहै दयाइ के खवाइ कछु स्वाड बस कीनी वरवसु है।- (ख) उसका पति क्या मरा, वह विलकुल स्वाधीन हो गई। केशव ग्र०, भा० १, पृ० १२ । (ख) इहि निसि धाइ सताइ लै ३ जो अपने अधीन या वश मे हो । स्ववश (को०) । स्वेदखेद ते मोहि। कात्हि लालिहूँ के किएँ सग न स्वाऊँ स्वाधीन'---सक्षा पु० समर्पण । हवाला । सपुर्द । जैसे,—अत मे लाचार तोहि ।-भिखारी० ग्र०, भा॰ २, पृ० १५। (ग) आजु होकर १६ जून को तीसरे पहर अपने को नवाब के स्वाधीन कर ही राखोगी स्वाय उन्है रघुनाथ कृपा निशि मेरे करोगे । मैं दिया।---द्विवेदी (शब्द॰) । उठि जाउंगी छोडि के पास जगाइ के सेज पै पाय धरीगे। स्वाधीनता-सहा स्त्री० [स०] स्वाधीन होने का भाव। स्वतन्त्रता। --रघुनाथ । (शब्द०)। अाजादी। खुदमुलारी । जैसे,--स्वाधीनता हमारा जन्मसिद्ध स्वानुभव--सज्ञा पु० [स०] १ अपना अनुभव। निजी अनुभूति । अधिकार है। अपनी वैयक्तिक अनुभूति । २ अपना ज्ञान । निज की स्वाधीनपतिका-सहा खी० [स०] वह नायिका जिमका पति उसके जानकारी किो०] । वश मे हो। पति को वशीभूत करनेवाली नायिका । साहित्य मे स्वानुभाव-मना पु० [म०] अपने धर्म, गुण, स्वभाव, स्वत्व आदि इसके चार भेद कहे गए है, यथा--मुग्धा, मध्या, प्रौला के प्रति प्रेम (को०)। और परकीया। स्वानुभूति--सज्ञा स्त्री॰ [म०] दे० 'स्वानुभव ।' उ०-सूरदास आदि स्वाधीनभर्तृका-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] दे॰ 'स्वाधीनपतिका' । कवियो ने प्रेम की इन स्वानुभूति मानसिक अष्टछाप -