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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/१४६

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२५५ परिधिस्थ परिपन परिधिस्थ-सरा पुं० [सं०] १ परिचारक । परिचर । सेवक । खिद तीन है-परिकल्पित, परतंत्र, परिनिप्पन्न । -गंपूर्णा० प्रमि० मतगार । २. वे सैनिक जो रथ के चारो पोर इसलिये खडे प्र०, पृ० ३८०। कराए जाते थे कि शत्रु के प्रहार से रथ और रथी की रक्षा परिनैष्ठिक-वि० [सं०] सर्वश्रेष्ठ । सर्वोच्च । सर्वोत्कृष्ट । करते रहें । रथ और रथी की रक्षक सेना । परिन्यास-या पुं० [सं०] १ काव्य में यह स्पल जहाँ कोई विशेष परिधीर-वि० [सं०] अनिशय धीर । गभीर । अर्थ पूरा हो। २ नाटक मे भारयानवीज अर्थात् मध्य कथा परिधूपित-वि० [स०] पूर्णत धूप से वासित । पूर्णत सुगधयुक्त की मूलभूत घटना की सकेत से सूचना करना। किया हुआ (को०] । परिपंच-सज्ञा पुं॰ [स० प्रपञ्च] दे० 'प्रपच'। परिधूमन-सञ्ज्ञा पं० [ मं० ] सुश्रुत के अनुसार तृष्णा रोग का एक परिपथ-सशा पुं० [ सं० परिपन्य ] वह जो रास्ता रोके हुए हो। उपद्रव जिसमें एक विशेष प्रकार की के पाती है। परिपथक-सज्ञा पु० [ मं० परिपन्धक ] शत्रु । दुश्मन । परिधूमायन-सशा पुं० [मं०] दे० 'परिधूमन' । परिपथिक-वि० [ परिपन्थिक ] दे० 'परिपथक' । परिधूसर-वि० [सं०] अत्यधिक धूलियुक्त । घूल से भरा हुआ (को०] परिपंथी-संज्ञा पुं॰ [ स० परिपन्थिन् ] १ शत्रु | दुश्मन । उ०- परिधेय-वि० [स०] पहनने के योग्य । परिधान के उपयुक्त । प्राज बने मेरे परिपथी, मुझ बेवस के सकल उपकरण । मुझसे ही विद्रोह कर चले मेरे ये लालिन इंद्रिय गण।-प्रपलक, परिधेयर-सहा पुं० वस्त्र । पोशाक । कपडा । विशेषत वह वस्ल जो पृ०७६ । २ विरुद्ध कार्य करनेवाला । प्रतिकूल प्राचरण नीचे या भीतर पहना जाय । करनेवाला (वैदिक)। परिध्वंस-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ अत्यत नाश । बिलकुल मिट जाना । परिपक्व-वि० [सं०] १ अच्छी तरह पका हुअा। पूर्ण पक्व । २ नाश । मिटना। ३ जातिच्युत होना (को०)। ४ वर्ण- सम्यक् रीति से पक्व । खूब पका हुप्रा। जैसे, इंट, फल, सांकर्य । वर्णसकरता (को०)। ५ उपप्लव (को०) । अन्न धादि। २ अच्छी तरह पचा हुआ। सम्यक् रीति से परिनय-सचा पुं० [ स० परिणय ] दे० 'परिणय' । जीर्ण । जो बिलकुल हजम हो गया हो। ३ पूर्ण विकसित । परिनयन-सा पुं० [सं० परिणयन ] दे० 'परिणयन' । उ० परिणत । प्रौढ़ । पका। पुस्ता। जैसे, परिपक्य बुद्धि या पहुँचि नहिंय परिनयन कहें जुग भाइन सुघि भुल्लि । -प० ज्ञान । ४ जो बहुत कुछ देख सुन घुका हो। बहुदी। रासो, पृ०६०। तजुरवेकार । ५ निपुण । कुशल । प्रवीण । उस्ताद । पूरा । परिनाम'–सचा पुं० [सं० प्रणाम ] दे० 'प्रणाम' । उ०-परसे वीर परिपक्वता-सा ग्मी० [सं०] परिपक्व होने की क्रिया या भाव। सु सब्ब करी प्रथिराज पाइ परिनाम । परिपक्वावस्था-सशा स्त्री० [म०] १ परिपक्व होने की दशा या परिनाम२-शा पुं० [ स० परिणाम ] नतीजा । फल। परिणाम स्थिति । २ प्रौढता । प्रौढावस्था। उ०-दिन दिन वाढ़त मानद को प्रवाह महा जाके परिनाम परिपण-सज्ञा पुं॰ [स०] मूल धन । पूजी। न मिले दु ख सोग है।-दीन, ग्र०, पृ० १४१ । परिपणन - सशा पु० [मं०] १ बाजी लगाना। शतं बदना। २ परिनामी-वि० [सं० परिणामी ] दे० 'परिणामी' । वचन देना । वादा करना (को०] । परिनिर्वपण-सशा पुं० [सं०] प्रदान करना । देना । वाटना (फो०) । परिपणितकाल संधि-संशा री० [ स० परिपणितकाल सन्धि ] पाप इतने समय तक लडिए और मैं इतने समय तक लगा परिनिर्वाण-सधा पुं० [सं०] अति निर्वाण । पूर्ण निर्वाण । इस प्रकार की समय सवधी सधि पूर्ण मोक्ष। परिपणिवदेश सधि-सरा सी० [सं० परिपणित देश सम्धि ] पाप परिनिर्वाति-मग सी० [सं०] निर्वाण मुक्ति । निर्वाण गति । इस देश पर चढ़ाई करिए और हम इस देश पर चदाई करते परिनिवृत्त-वि० [सं०] जिसको परिनिर्वाण प्राप्त हुआ हो । परि- हैं, इस ढग की देश विषयक सधि । मुक्त । मुक्त। परिपरिणतसंधि-मशा जी० [अ० परिपरिणतसन्धि ] कुछ शतों के परिनिर्वृत्ति-सज्ञा स्त्री० [सं०] परिमुक्ति । मोक्ष । मुक्ति । माय की गई सधि । इसके तीन भेद हैं-परिपरिणतदेश नधि, परिनिष्ठा- सज्ञा स्त्री० [सं०] १ चरम सीमा या अवस्पा । प्रतिम परिपरिणतकाल सघि, पौर परिपरिणनाथ गधि । सीमा। पराकाष्ठा । २. पूर्णता। ३ अभ्यास प्रयवा ज्ञान परिपरिणतार्थ संधि-परा मी० [२० परिपरिणतार्थ सन्धि ] पाप फी पूर्णता। इतना काम करें और मैं इतना काम करूंगा, ऐसी कार्य परिनिष्ठित-पी० [सं०] १. पूर्ण। सपन्न । ममाप्त । २ पूर्ण। विषयक सधि। अभ्यस्त । पूर्ण कुशल । परिपति-नरा पुं० [म०] गर्वव्यापी। दह नगेर न्यान में परिनिष्पन्न-वि० [सं०] १. भली भांति पूरा दिया हुपा। २. सुख उपस्थित हो। दुस तथा भाप प्रभाव की चिंता से मुक्त । उ०-स्वभाव परिपन-सा पुं० [२०] दे॰ 'परिपण' [.। 1