पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/१४५

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उ०-अज्ञात परिदर परिधिपतिखेचर परिदर-सज्ञा पुं० [सं०] दाँतो का एक रोग जिसमे मसूडे दांतों से सीस जटा सरसोरह लोचन, बने परिधन मुनि चीर।- अलग हो जाते हैं और थूक के साथ रक्त निकलता है । वैद्यक तुलसी (शब्द०)। के अनुसार यह रोग पित्त, रुधिर और कफ के प्रकोप से परिधान-सज्ञा पुं० [सं०] १ किसी वस्तु से अपने शरीर को चारो होता है। भोर से छिपाना । कपडे लपेटना। २ कपडा पहनना। ३ परिदर्शन-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] १ सम्यक् रूप से अवलोकन । भली वह जो पहना जाय । वस्ल, कपडा, पोशाक । पहनावा । ४ भांति देखना । २ दर्शन | अवलोकन । देखना। धोती आदि नीचे पहनने के बम्प । ५ स्तुति, प्रार्थना, गायन प्रादि का समाप्त करना । परिवलन-मज्ञा पुं॰ [स०] नष्ट करना । रौंदना [को०] । परिदलित-वि० [ स० ] दलित । दमित । कुठित । परिघानीय - वि० [स०] [वि० सी० परिधानीया] परिधान योग्य । मन क्षेत्र से कोई परिदलित प्रथि उसी प्रकार प्रस्फुटिन हो पहनने योग्य । २ जो पहना जाय । वस्त्र । परिधेय । जाती है जैसे बच्चे अपने मन की बातें वाह्य जगत् में देखने परिधायन-सज्ञा पुं॰ [सं०] वस्त्र । पहनावा [को०] । लग जाते हैं। -स पूर्णा० अभि० म०, पृ० २६४ । परिधाय-सञ्ज्ञा पुं० [म०] १. पहनावा । परिधेय । वस्त्र । २ परिदष्ट-वि० [ मं०] १ जो काटकर टुकहे टुकड़े कर दिया गया जलस्थान । ३ नितव (को०)। ४ जनस्थान । जनपद (को॰) । हो। २ काटा हुमा । दशित । पारधायक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ ढकने, लपेटने या चारो पोर से परिदहन-सञ्ज्ञा पुं० [ स०] अच्छी तरह जलाना । दग्ध करना। घेरनेवाला । २ वाडा । रुंघान । ३ चहारदीवारी । झुलसाना [को०] । परिधारण-सा पुं० [सं०] [वि० परिधार्य, परिधृत] १ उठाना । परिदान-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ लौटा देना । वापस कर देना । फिर दे सहारना | धारण करना। २ बचा रखना । रक्षा करना। देना । फेर देना।२ विनिमय । परिवर्तन । अदला बदली। परिधावन'-सज्ञा पुं० [स०] १ पहनने की प्रेरणा करना। २ परिदाय-मशा पुं० [स०] सुगध । परिमोद । खुशबू । पहनवाना। परिदायी-सज्ञा पुं॰ [ स० परिदायिन् ] वह व्यक्ति जो ऐसे व्यक्ति परिधावन-सज्ञा पु० [सं०] १ दौडना । भागना। २ पीछे पीछे को अपनी कन्या दान करे जिसका बड़ा भाई अविवाहित दौडना [को०] । हो । परिवेत्ता का ससुर । परिघावी'-वि० [सं० परिधाविम् ] १ दौडनेवाला। २ द्रवण- परिदाह-सज्ञा पु० [सं०] १ प्रत्यत दाह या जलन । २ मानसिक शील । बहनेवाला (को०)। पीडा या व्यथा । शोक । संताप । परिघावी--राज्ञा पुं० वृहस्पति के ६० वर्ष के युगचक्र या फेरे मे से परिदिग्ध'--वि० [मं०] १ जो किसी अन्य वस्तु के प्राधरण से ठक ४६ वा या २० वा वर्ष। दिया गया हो । किसी वस्तु से लिप्त या पुता हुआ [को०] । परिधि-सशा पुं० [मं०] १ वह रेखा जो किसी गोल पदार्थ के चारो परिदिग्ध-सञ्ज्ञा पुं० मास का वह टुकडा जिसपर अन्न की तह या ओर खीचने से वने । गोल वस्तु की चौहद्दी वनानेवाली रेखा । लेप चढ़ाकर पकाया गया हो किो०] । गोल पदार्थ का विस्तार नियमित करनेवाली रेखा। घेरा। पारदीन-वि० [स०] जिसको अतिशय मानसिक दुख हो । प्रत्यत २ रेखागणित में वह रेखा जो किसी वृत्त के चारो ओर खिन्नचित्त । खिंची हुई हो। घृत्त की चतु सीमा प्रस्तुत करनेवाली रेखा । परिहद-वि० [सं०] बहुत मजबूत । नितात ढ़ को०] । दायरे की शक्ल या चौहद्दी बनानेवाली रेखा । घेरा। ३ परिदेव-सञ्ज्ञा पुं० [स०] विलाप । रोना धोना । सूर्य चद्र प्रादि के पास पास देख पड़नेवाला घेरा। परिवेश । परिदेवन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] विलाप करना। कलपना। रोकर मसल । ४ किसी प्रकार का, विशेषत किसी वस्तु की रक्षा प्रातरिक दुख जताना । अनुशोचन । अनुतापन । के लिये बनाया हुआ, घेरा । वाडा, रुंधान या चहारदीवारी । परिदेवना-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] दे० 'परिदेवन' [को०] । ५. घेरा। सीमा। वृत्त । दायग। उ०-मैं किसी उचित रीति उसकी शत्रुता की परिधि के बाहर जा सकता हूँ। परिघुन-वि० [स०] दु खयुक्त । पीडायुक्त। शोक या वेदनामय [को०] । -भारतेंदु० ग्र०, भा॰ २, पृ०, ६२३ । ६ यज्ञकुड के आसपास परिद्रष्टा-सच्चा पु० [सं० परिद्रष्ट] परिदर्शनकारी । दर्शन करनेवाला। गाहे जानेवाले तीन खूटे। देखनेवाला । भवलोकन करनेवाला । विशेष-इन खूटों के नाम दक्षिण, उत्तर प्रौर मध्यम होते थे। परिद्वीप-सज्ञा पुं० [स०] गरुड के एक पुत्र का नाम । ६. कक्षा । नियत या नियमित मागं । ७ परिघेप । कपड़ा । परिघ–सशा पुं० [सं० परिधि] दे० 'परिधि' । वस्त्र । पोशाक । ८ प्रकाशमडल । ज्योतिवृत्त (को०)। ६ परिधन-सच्चा पुं० [ स० परिधान ] नीचे पहनने का कपडा। आवरण (को०)। १० पहिए का घेरा (को०)। ११. क्षितिज धोती आदि । उ०—(क) कुद इदु दर गौर सरीरा। भुज (को०) । १२ समिधा (को०)। प्रलव परिघन मुनि चीरा । -तुलसी (शब्द०)। (ख) परिधिपतिखेचर-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] शिव [को॰] ।