पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/१४८

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परिपूरन २५७ परिवा परिपूरन-वि० [ स० परिपूर्ण ] दे० 'परिपूर्ण' । उ० -प्रेम भरे परिप्रेषित-वि० [२०] १ भेजा हुआ। प्रेरित । २ निर्वासित । जग प्रगटिहैं, हरि परिपूरन रूप ।-नद० ग्र०, पृ० २२७ । निकाला हुप्रा । ३ तागा हुआ । परित्यक्त । परिपूरित -वि० [स०] १ परिपूर्ण । खूब भरा हुआ। लबालब । परिप्रेष्य'-वि० [स०] भेजने योग्य । प्रेरणा करने योग्य । २ सपूर्ण । समाप्त किया हुमा । पूरा किया हुआ। परिप्रेष्य-सशा पु० नौकर । द स । टहलुा । अनुचर । परिपूर्ण-वि० [स०] १ खूब भरा हुआ। सम्यक् रीति से व्याप्त । परिप्रोत-वि० [सं० परि + प्रोत ] चारो ओर से गुथा हुआ या छिपा २ पूर्ण तृप्त । अघाया हुआ। ३ समाप्त किया हुआ। हुमा । उ०-उमड पडा पावस परिप्रोत । फूट रहे नव नव सपूर्ण । पूरा किया हुआ। जलस्रोत ।-गु जन, पृ० ६८ । परिपूर्णचंद्रविमलप्रभ-सज्ञा पुं॰ [ स० परिपूर्णचन्द्रविमलप्रभ ] एक परिप्लव-सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ तैरना । २ बाढ प्लावन । ३. प्रकार की समाधि जिसका वर्णन वौद्ध शास्लो में मिलता है। प्रत्याचार । जुल्म । ४ नौका। नाव । जहाज । ५ पुराणा- परिपूर्णेदु-सज्ञा पुं० [ सं० परिपूर्णेन्दु ] पूर्णिमा का चद्रमा । षोडश नुसार एक राजकुमार का नाम जो सुखीनल राजा का लडका था। कलायुक्त चंद्रमा [को॰] । परिपूर्ति-सज्ञा स्त्री० [सं०] परिपूर्ण होने की क्रिया या भाव परिप्लव'-वि० [म०] १ हिलता हुआ । कांपता हुा । चचल । परिपूर्णता। अस्थिर । २ बहता हुआ । चलता हुआ । गतियुक्त । परिपृच्छ-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] जिज्ञासा । प्रश्न [को०] । परिप्लवा-सज्ञा स्त्री० [स०] यज्ञ मे काम मानेवाली एक प्रकार की परिपृच्छक'--सज्ञा पुं० [सं०] प्रश्नपा । वह जो पूछे । पूछनेवाला । करछी या चिमचा। एक प्रकार की दी। जिज्ञासा करनेवाला। परिप्लावित-वि० [स०] दे० 'परिप्लुत' [को०] । परिपृच्छक-वि० पूछनेवाला । जिज्ञासा करनेवाला । परिप्लुत'- वि० [स०] १ जिसके चारो ओर जल ही जल हो । परिपृच्छनिका-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] वह बात जिसको लेकर वादविवाद प्लावित । डूबा हुआ। २ गीला । भीगा हुया । तरावोर । किया जाय । वाद का विषय । आद्रं । स्नात । ३ कापना हुआ। कपित । परिपृच्छा-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] जिज्ञासा । पूछना । प्रश्न करना। परिप्लुत-सशा पु० फलाँग । छलांग। परिपेल-तज्ञा पु० [सं०] केवटी मोथा । कैवर्त मुस्तक । परिप्लुता-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ मदिरा। शराब । २ वह योनि परिपेलव'-वि० [सं०] अति सुकुमार या कोमल । जिसमे मैयुन या मासिक रज नाव के समय पीडा हो। परिपेलव-सञ्ज्ञा पु० केवटी मोथा। परिप्लुष्ट-वि० [सं०] जला हुआ । भुना हुआ। परिपोट-सज्ञा पुं० [सं०] कान का एक रोग जिसमें लोक का चमडा परिप्लोष-सज्ञा पुं० [सं०] १ जलन । दाह । २ जलना । भुनना । सूजकर स्याही लिए हुए लाल रंग का हो जाता है और तपना । ३ शरीर के भीतर की गरमी। उसमें पीडा होती है। प्राय कान में भारी बाली आदि परिफुल्ल - वि० [स०] १ अच्ची तरह खिला हुमा। सम्यक् विकसित । पहनने से यह रोग होता है। खूब खिला हुआ। २ खूब खुला हुआ । अच्छी तरह खुला परिपोटक-सज्ञा पु० [सं०] दे॰ 'परिपोट' । हुआ। जैसे, परिफुल्ल नेत्र। ३ जिसके रोगटे खडे हो । परिपोटन-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] दे० 'परिपोट' । रोमाचयुक्त । परिबंध-वि० [सं० परिबन्ध ] अच्छी तरह बंधा हुअा। सुगठित । परिपोटिका-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] दे० 'परिपोट' । उ०-परिवध निबध में प्राकार की लघुता रहती है।- परिपोष-सचा पुं० [स०] पूर्ण पुष्टि या वृद्धि । स० शास्त्र, पृ०१७८ । परिपोषण-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १. पालन । परवरिश करना । २ पुष्ट परिबधन-सञ्ज्ञा पु० [स० परिबन्धन ] [वि० परिवद्ध ] चारो ओर या वधित करना। से बाँधना । अच्छी तरह बांधना । जकडकर वाँधना । परिप्रश्न-शा पुं० [स०] जिज्ञासा । प्रश्न (को०] । परिबई -सज्ञा ॰ [सं०] १. राजानो के हाथी घोडो पर डाली परिप्राप्ति-मशा स्त्री० [सं०] प्राप्ति । मिलना । जानेवाली झूल । २ राजा के छत्र, चंवर प्रादि । राजचिह्न परिप्रेक्ष-सज्ञा १० [सं०] दे० 'परिप्रेक्ष्य' । या राजा का साज सामान । ३ नित्य के व्यवहार की परिप्रेक्षा-सज्ञा स्त्री० [स०] दे० 'परिप्रेक्ष्य'। वस्तुएँ । घर मे नित्य काम पानेवाली चीजें । वे चीजें जिनकी परिप्रेक्ष्य-संज्ञा पुं० [०] एश्यो वस्तुओं या व्यक्तियो का ऐसा चित्रण गृहस्थी मे अत्यावश्यकता हो। ४ सपत्ति । दौलत । माल जिसमे प्रत्येक का अतर स्पष्ट हो जाय । असबाब । परिप्रेषण-स्वा पु० [सं०] [वि० परिप्रे पित, परिप्रेष्य ] १ चारो परिवहण-मज्ञा पुं० [सं०] १ पूजा। उपासना । २ बढती। ओर भेजना। जिधर इच्छा हो उघर भेजना। दूत या समृद्धि। परिवद्धि। हरकारा बनाकर भेजना। २ निर्वासन । किसी विशेष स्थान परिवा-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'प्रतिपदा'। उ०-परिवा को रे या देश से निकाल देना। ३ त्याग देना । परित्याग करना । मांडो।-पोद्दार अभि० ग्र०, पृ० ६३२ ।