1 परिभाषित २८५४ परिमंडलिस क्रि०प्र०-कहना ।-करना । ३ ऐसी शाति या सघि की स्थापना । पूर्वोक्त प्रकार की शाति या संधि स्थापित करने का कार्य । ३ किसी शास्त्र, प्रय, व्यवहार आदि की विशिष्ट सज्ञा । ऐसा शब्द जो शास्त्रविशेष में किसी निदिष्ट प्रर्थ या परिभूषित-सपा पु० [ सं०] सजाया हुआ। वनाया या संवारा भाव का सकेत मान लिया गया हो। ऐसा शब्द जो स्थान हुमा । शृगार सहित । विशेष में ऐसे अर्थ में प्रयुक्त हुमा या होता हो जो परिभेद-सशा पुं० [ स० ] शस्त्रादि का प्राधात । तलवार तीर उसके अवयवो या व्युत्पत्ति से भली भांति न निकलता हो। आदि का घाव । जस्म । पदार्थविवेचको या शास्त्रकारों की बनाई हुई सज्ञा । जैसे, परिभेदफ'-सचा पु० [सं०] फाडने या छेदनेवाला व्यक्ति या गणित की परिभाषा, वैद्यक की परिभाषा, जुलाहो की शस्त्र । खूब गहरा घाव करनेवाला मनुष्य या हथियार । परिभाषा । ४ ऐसे शब्द का अर्थनिर्देश करनेवाला वाक्य या परिभेदक-वि० काटने फाडने या छेदनेवाला । प्राघातकारी। रूप । ५ ऐसी बोलचाल जिसमें वक्ता अपना प्राशय पारिभा- परिभोक्ता-सज्ञा पुं॰ [सं० परिभोक्तृ ] १. वह मनुष्य जो दूसरे के षिक शब्दों में प्रकट करे। ऐसी बोलचाल जिसमें शाम्प या धन का उपभोग करे । २ वह मनुष्य जो गु के धन का व्यवसाय की विशेष संज्ञाएँ काम मे लाई गई हों। जैसे- उपभोग करे। यदि यही वात विज्ञान की परिभाषा मे कही जाय तो इस परिभोग-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] [वि. परिभोग्य ] १ बिना अधिकार के प्रकार होगी। ६. सूत्र के ६ लक्षणो में से एक । ७ निदा। परकीय वस्तु का उपभोग । २. भोग । उपभोग। ३ मैथुन । परिवाद । शिकायत । वदनामी। स्लीप्रसग। परिभाषित-वि० [स०] १. जो अच्छी तरह कहा गया हो। जिसका परिभ्रंश-सज्ञा पु० [स०] १ गिराव या गिराना। पतन । च्युति । स्पष्टीकरण किया गया हो। २. (वह शब्द ) जिसकी स्खलन । २ भगदड । भागना। पलानय। परिभाषा की गई हो। जिसका अर्थ किसी विशेष सूत्र या परिभ्रम-सच्चा पुं० [स०] १ इधर उधर टहलना । घूमना । भटकना नियम द्वारा निर्दिष्ट तथा परिमित कर दिया गया हो। पर्यटन । भ्रमण। २. घुमा फिराकर फहना । सीधे सीधे न परिभाषी-वि० [स० परिभापिन् ] बोलनेवाला । भाषणकारी । कहकर और प्रकार से कहना। किसी वस्तु के प्रसिद्ध नाम परिभाषी-सशा पुं० बोलनेवाला । भाषणकारी । वह व्यक्ति जो को छिपाकर उपयोग, गुण, सबध श्रादि से उसका सकेत बोले या कहे। करना । जैसे, पत्र (चिट्ठी) को 'बकरी का भोज्य' या 'माता' को पिता की 'पत्नी' कहना । ३ भ्रम । भ्रांति । प्रमाद । परिभाष्य-वि० [सं०] कहने योग्य । बताने योग्य । परिभ्रमण-सचा पुं० [सं०] १. घूमना । (पहिए प्रादि का ) चक्कर परिभिन्न-वि० [सं०] १ विकृत प्राकृति का। जिसका आकार खाना । २. परिधि । घेरा । ३. टहलना। घूमना । फिरना। विकृत हो। २ क्षत । ३ फटा हुा । चिरा हुआ। ४ इधर उधर मटरगश्ती करना । भटकना । विदीर्ण [को०)। परिभ्रष्ट-वि० [स०] गिरा हुमा। पतित । न्युत । स्खलित । २. भागा परिभुक्त-वि० [ स०] जिमका भोग किया जा चुका हो । जो काम हुप्रा । पलायित । ३ किसी वस्तु मा व्यक्ति से रहित (को०)। मे पा चुका हो । उपभुक्त। परिभ्रामरा-मज्ञा पुं॰ [ स०] १ इतस्तत घुमाना। परिभ्रमण परिमुग्न-वि० [सं० ] झुका हुआ । टेढा मेढ़ा [को०] । कराना। २. (गाडी के पहिए प्रादि को) घुमाना या चक्कर परिभू-वि० [सं०] १ जो चारो मोर से घेरे या पाच्छादित किए देना [फो। हो । २ नियामक । ३ परिचाल। परिभ्रामी-वि० [सं० परिभ्रामिन् ] परिभ्रमण करनेवाला। भटकने- विशेष-यह शब्द ईश्वर का विशेषण है। वाला । टहलने या घूमनेवाना । परिभूत-वि० [सं०] १ हारा शहराया हुआ। पराजित । २ परिमहल'-सज्ञा पुं० [स० परिमण्डल] १ चक्कर । घेरा । दायरा । जिसका अनादर या अपमान किया गया हो। तिरस्कृत । परिधि। २ एक प्रकार का विपैला मच्छर । ३ गोलक । अपमानित । पिंड (को०)। परिमंडल-वि०१ गोल । वर्तुलाकार । २ जिसका मान परमाणु परिभूति-सशा न्त्री० [ म०] १ निरादर । तिरस्कार । अपमान । के बराबर हो। २ श्रेष्ठता। परिमंडलकृष्ठ-सचा पुं० [सं० परिमयदलकुष्ठ ] एक प्रकार या परिभूषण-सग पु० [सं०] १ सजाने की क्रिया या भाव । सजा- वट या सजाना। बनाव संवार या बनाना संवारना। २ महाकुष्ठ । मरलकुष्ठ । विशेष-२० 'मडल'। फामदकीय नीति के अनुसार वह शाति जो किसी विशेष प्रदेश या भूखड का राजस्व किसी को देकर स्थापित की परिमंडलवा-सा श्री० [म परिमण्डलता ] गोलाई । जाय । वह सधि जो किमी विशेष प्रांत या प्रदेश की तारी परिमंडलित-- [० परिमण्टलित ] जो गोल दिया गया हो। मालगुजारी किसी शत्रु राजा आदि को देकर की जाय । वर्तुलाकार बनाया हुमा । मडलीकृत ।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/१५०
दिखावट