पकिसी २६२७ पाखंदी पाकसी-सहा स्त्री० [म. फॉक्स ] लोमड़ी। ( लश०) । मुहा०-पाट गरम करना = (१) घूस लेना । (२) घूस देना । पाकेट गरम होना=पास मे धन होना। पाकस्थली-सशा खी० [स०] उदर का वह स्थान जहाँ माहार द्रव्य जठराग्नि या पाचक रस की क्रिया से पचता है। यौ०-पाकेटमार=जेवकट । गिरहकट । पाकेटमारी=गिरह- कटी । जेवकटी का काम । पक्वाशय । पाकस्थान-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १ रसोईघर । महानस । २ कुम्हार पाकेटर-सञ्ज्ञा पुं० [अ० पैकेट ] 70 "पैकेट' । २ नियमित दिन को का आर्वा (को०] । डाक, माल और यात्री लेकर रवाना होनेवाला जहाज । (लश०)। पाकहंता-सचा पु० [सं० पाफहन्त ] पाकशासन । इद्र । पाकेट-सञ्ज्ञा पु० [हिं०] ऊँट । पाका - सज्ञा पुं० [हिं० पकना ] फोडा । पाक्य-वि० [सं०] जो पच सके । पचने योग्य । पचनीय । पाका-वि० [ स० पक्क ] पका हुआ। उ०-भला भला ताजी पाक्य-सशा पु०१ काला नमक। २ सांभर नमक। ३ चढ, पाचरे बीटा पाका पान। वी. रासो, पृ०१८ । जवाखार । ४ शोरा । पाकागार-सञ्ज्ञा पु० [ स०] रसोईघर। पाक्यक्षार-सज्ञा पु० [स०] १ जाखार । २ शोरा । पाकातिसार-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] पुराना अतिसार । जीर्ण प्रामा- पाक्यज-सशा पुं० [म०] कचिया नमक । तिसार [को०]। पाक्या-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] १ सज्जी । २ शोरा । पाकात्यय-सञ्ज्ञा पुं० [ स०] आँखों का एक रोग जिसमे आँख का पाक्ष-वि० [स०] [वि० सी० पाक्षी] १ पक्ष या पाख सवधी। काला भाग सफेद हो जाता है। पाक्षिक । पक्षविशेप से सबंध रखनेवाला (को०] । विशेष-भारभ मे इसमें एक फोडा होता है और आंखो से पाक्षपातिक-वि० [स०] [ वि० स्त्री० पाक्षपातिकी ] पक्षपात करने- गरम गरम प्रासू गिरते हैं। पुतली का सफेद हो जाना वाला । पक्षपाती [फो०] । त्रिदोष का कोप सूचित करता है। इस दशा मे यह रोग पाक्षायण-वि० [ स०] १ जो पक्ष मे एक बार हो या किया असाध्य समझा जाता है। जाय । २ जो पक्ष से सबध रखता हो । पाकारि-मज्ञा पुं० [सं०] १ इद्र । २ सफेद कचनार का वृक्ष । पाक्षिक'-वि० [म०] १. पक्ष या पखवाडे से सबंध रखनेवाला । पाकिम-वि० [स०] १ पका हुआ । २ पाक क्रिया से प्राप्त, जैसे, २ जो पक्ष या प्रति पक्ष में एक वार हो या फिया जाय । जैसे,--पाक्षिक पत्र या बैठक । ३ किसी विशेष व्यक्ति का नमक । ३ पकाया हुआ (को०] । पक्ष करनेवाला । पक्षवाही। तरफदार। ४ दो मानायो का पाकिस्तान-सज्ञा पुं० [फा०] भारत का वह भाग जिसमे मुसल (छद)। ५ पक्षियो से सबद्ध । पक्षिसवधी (को०)। ६ मानो की आवादी अधिक है और (१५ अगस्त) सन् वैकल्पिक । ऐच्छिक (को०) । १९४७ मे जिसे सांप्रदायिक आधार पर एक संघराज्य का पाक्षिक-सशा पुं० १ पक्षियो को मारनेवाला। रूप दे दिया गया। इसमे सिंघ, विलोचिस्तान, सीमाप्रात, बहेलिया । २ विकल्प । पक्षातर (को०) । पजाब का पश्चिमी भाग और पूर्वी बगाल हैं। उ०-देश पाखंड-सशा पु० [ मं० पाखण्ड ] १ वेदविरुद्ध प्राचार । मे साप्रदायिक दगे हो चले थे और भारत मे दो राष्ट्रो के पट दरसन पासड छानबे पकरि किए वेगारी। -धरम०, पृ० सिद्धात पर आधारित पाकिस्तान को कल्पना मूर्तिमान ६२ । २ वह भक्ति या उपासना जो योवन दूसरो के दिखाने स्वरूप धारण कर रही थी।-भा०वि०, पृ० १००। के लिये की जाय और जिसमे कर्ता की वास्तविक निष्ठा वा पाकिस्तानी-वि० [फा०] १ पाकिस्तान का । २ पाकिस्तान मे श्रद्धा न हो । ठोग । पाइबर । डकोनला। ३ वह व्यय जो होनेवाला । २ पाकिस्तान से स बद्ध । किमी को धोखा देने के लिये किया जाय । भक्ति । पाकी'- वि० [सं० पाकिन् ] पकने की अोर अभिमुख । जो पक्व छल । धोखा। नीचता। शरारत। ५ जैन या हो रहा हो (को०)। बौद्ध (को०)। पाको२-सचा त्री० [फा०] १ निर्मलता। पवित्रता । शुद्धता । २. मुहा०-पाखंड फैलाना = किसी को ठगने के लिये उपाय रचना। परहेजगारी । ३ स्वच्छता । सफाई । बुरे हेतु से ऐसा काम करना जो अच्छे इरादे से किया हुआ मुहा०-पाकी लेना = उपस्थ पर के बाल साफ करना । जान पड़े। नजर फेनाना । उकोमला खडा करना । जैसे,- (क) उम (ना) ने केपा पावड फेना रखा है। (ख) वह पाकोजा-१० [फा० पाकीज़ ] [ सशा पाकीजगी ] १ पाक । तुम्हारे पाखद को ताड गया । पवित्र । शुद्ध । २ खूबसूरत । सु दर । ३ बेऐव । निर्दोष । पाखड:-वि० पाखंड करनेवाला । पारंटी। पाकु-सज्ञा पुं० [स०] दे० 'पाकुक' । पाखडी-२० [सं• पाखण्डिन् ] १ वेदविरुद्ध प्राचार करनेवाला। पाकुक-सा पुं० [म०] रसोइया । पाचक । वेदाचार का सदन या निंदा करनेवाला । पाकेट'-सचा पुं० [अ०] जेव । खोसा । विशेष-पद्मपुराण मे लिखा है कि जो नारायण के अतिरिक्त ध्याघ । ४
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/२१८
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