पापाख्या २९५८ पाम उपाधि। यूनानी पादरियो के एक विशेष वर्ग को सम्मानसूचक पापोस-सज्ञा पुं० [फा० पापोश ] पापोपा | जूता। उ०-प्रज्ज पुन्न पुरिसथ्थ पातिसाह पापोस पाइन्न । -वीति०, पृ०५८ । पापाख्या-सज्ञा सी० [सं०] बुध की उस समय की गति जब वह पाप्मा'–ना पुं० [० पाप्मन् ] १ पाप । २ दोष | अपराध हस्त, अनुराधा अथवा ज्येष्ठा नक्षत्र में रहता है । पापा। (को०) । ३ प्रभाग्य । दुर्भाग्य (को॰) । पापाचरण-संज्ञा पु० [सं० ] पाप का आचरण । पापपूर्ण कार्य । पाप्मा-वि०१ पापी । २ अपराधी (को॰) । उ०-पुण्यात्मा होता है पुण्याचरण से और पापात्मा पावंद-वि० [फा० ] [ सा सी० पायदी] १ बघा हमा। वद । पापाचरण से।-सं०, दरिया (भू०), पृ० ६० । थस्वाधीन । कैद। २ किसी नियम, पाशा, वचन आदि के पापाचार'-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] [वि. पापाचारी ] पाप का आचरण । पूर्ण रूप से अधीन होकर काम करनेवाला। प्राचरण में पापकार्य । दुराचार। क्सिी विशेष बात की नियमपूर्वक रक्षा करनेवाला । किसी पापाचार-वि० पाप का प्राचरण करनेवाला । पापी । दुराचारी। वात का नियमित रूप से अनुसरण करनेवाला । नियम प्रतिज्ञा मादि का पालनकर्ता । जैसे,—(क) मैं तो सदा पापके हुक्म पापात्मा-वि० [ स० पापात्मन् ] जिसकी प्रात्मा सदा पापकर्म मे फंसी या लिप्त रहे । पाप में अनुरक्त । पापी । दुष्टात्मा । का पावद रहता है। (ख) वे जन्म भर में कभी अपने वादे के पाबद नहीं हुए। ३ नियमत प्रथवा न्यायत कोई पापाघम-तज्ञा पुं॰ [स०] महापापी । प्रत्यत पापी [को॰] । विशेष कार्य करने के लिये वाध्य या लाचार । जो किसी वस्तु पापानुवध-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० पापानुयन्ध ] पाप का परिणाम । पाप का अनुसरण करने के लिये बाध्य हो। नियम, प्रतिज्ञा, का फल [को०)। विधि, मादेश प्रादि का पालन करने के लिये विवश । जैसे,- पापानुवसित-वि० [सं० ] पापात्मा । पापी [को०] । (क) जो प्रतिज्ञा मुझपर दबाव डालकर कराई गई उसका पापापनुत्ति-सज्ञा पु० [सं० ] पाप दूर करना । प्रायश्चित्त [को०) । पावद में पयो होऊँ ? ( ख ) आपका हर एव हुक्म मानने के लिये मैं पावद नहीं हूँ। पापारभ-वि० [स० पापारम्भ ] पाप कम करनेवाला । पापो [को०] । पावंदर-सरा पुं० १. घोटे को पिछाडी । २. वेदी (को०)। ३ नौकर । पापाशय-वि० [ स०] मन में पाप रखनेवाला । पापचेता [को०] । दास । सेवक। पापाह-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] १ अशीच का दिन । सूतक काल । २ निदित दिन । अशुभ दिन । पावदी-सशा खी० [फा०] १ पावद होने का भाव । वद्धता। अधीनता । उ०-सरवारी उच्च पदो से हिंदू वचित थे। पापाही-सचा पुं० [सं० पापाहि ] सपं । साप । उनके सामाजिक कार्यों पर पाव दिया थी।-प्रकवरी, पापिग्रहा-सशा पुं० [सं०] अशुभ ग्रह । दे० 'पापग्रह' । उ० पृ० १२ । २ मजदूरी । लाचारी। ३ किसी वस्तु फे, मधीन एक नक्षत्र में चार या पाच पापिग्रहों के मिलने से सवत कहा हाकर काम करने का भाव । नियमित प से किसी बात जाता है। -वृहत् पृ० १०८ । का अनुसरण । नियम, प्रतिज्ञा, घादेश, विधि प्रादि का पापिष्ठ-वि० [सं०] अतिशय पापी । बहुत बड़ा पापी । जो सदा पालन । जैसे,-वे सदा अपने वादों की पाबदी करते हैं। पाप करता रहता हो । बहुत बड़ा गुनहगार । ४ कोई विशेष कार्य करने की वाध्यता या लाचारी। किसी पापी-वि० [स० पापिन् ] [वि० स्त्री० पापिनी] १. पाप में रत वस्तु के अनुसरण की आवश्यकता। किसी कार्य का अवश्य- या अनुरक्त । पाप करनेवाला । पापयुक्त। अघी । पातकी। कर्तग्य या फर्ज होना । जैसे,—आपकी सभी प्राज्ञानों को उ०-( क ) परगट गुपुत सरव विपापी। धर्मी चीन्ह न मुझपर कोई पावदी नहीं है। चीन्है पापी।—जायसी (शब्द०)। २ क्रूर । निर्दय । पायोर-सशा पुं० [हिं० पा+वोरना ] कहारो अथवा टोली ढोने- नृशस । परपीडक। वालो को वोलचाल मे वह स्थान जहाँ कुछ अधिक पानी हो। पापो-सद्या पुं० पाप करनेवाला व्यक्ति । पापकारी। अपराधी वा वह स्थान जहाँ घुटने तक या घुटना डूबने भर पानी भरा हो। दुराचारी मनुष्य । विशेप-रास्ते मे जब कहीं ऐसा स्थान पडता है जिसमें कुछ पापीयसी-वि० सी० [सं०] [ वि० पुं० पापीयस् ] अत्यत । अधिक पानी भरा होता है तब भगले कहार इस शब्द को कहकर पिछले कहारों को सावधान करते हैं । पापिनी । अधिक पापवाली। उ०-मम सदश मही में कौन पाबोस-वि० [फा०] १ प्रादर प्रणाम करनेवाला [को०] । पैर पापीयसी है। हृदयमणि गया के नाथ जो जीविता हूँ।- प्रिय०, पृ०८१। छूनेवाला। पापोश-सज्ञा पुं॰ [फा०] जूता । उपानह । पावोसी-सशा मी० [फा०] पर छूना। प्रणाम करना । पैर चूमना [को०] । पापोशकार-वि० [फा० ] जूते बनानेवाला । मोची। [को०] । पाम-सवा सी० [ देण०] १ वह डोरी जो गोटे, किनारी आदि पापोशकारी-सञ्चा खी० [फा०] १ जूता बनाने का काम।२ के किनारो पर मजबूती के लिये बुनते समय डाल दी जाती जूते पडना । जूतों से किसी की मरम्मत को०) । है २ लड़। रस्सी । मेरी । (लथ०)।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/२४९
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