पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/२४८

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पापमय पापार पापमय-वि० [सं०] [वि॰ स्त्री० पापमयी] जिसमें सर्वत्र पाप ही पाप पापर्धि- सच्चा सौ० [सं० पापर्द्धि ] मृगया। प्राखेट । शिकार । हो। पाप से अोतप्रोत । पाप से भरा हुमा। जो सर्वदा विशेष--गया से पाप की ऋद्धि ( बढ़ती ) होना माना गया पापवासना या पापचेष्टा में लिप्त रहे । है, इसी से उसकी पापघि सज्ञा हुई। पापमित्र-सज्ञा पुं० [सं०] दुष्ट मित्र । अहित करनेवाला साथी [को०] । पापल-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्राचीन परिमाण [को०] । पापमुक्त-वि० [सं०] जिसे पापो से छुटकारा मिल गया हो । पापल-वि०१ जो पाप का कारण या हेतु हो। २.पाप लेने- निष्पाप को। घाला । पापग्राहक (को०)। पापमोचन-सञ्ज्ञा पुं० [स०] पापो का नाश करने की क्रिया। पाप पापलेन-सञ्ज्ञा पुं॰ [ फा० पापलिन ] एक सूती कपडा । एक प्रकार का प्रक्षालन । २ पापो का नाश करनेवाला देवता, सत, का डोरिया। तीर्थ भादि [को०] । पापलोक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] [वि० पापनोक्य ] पापियों के रहने का पापमाचनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] चैत्र कृष्णपक्ष की एकादशी । स्थान । पापी को मिलनेवाला लोक । नरक । पापयक्ष्मा-सशा पुं० [स०] राजयक्ष्मा । क्षयरोग । तपेदिक । पापलोक्य-वि० [सं०] १. नरक का । नारकीय । २ नरक पापयोनि-सज्ञा स्त्री० [सं०] निकृष्ट या निदित योनि । पाप से प्राप्त से सवध रखनेवाला । नरक [को०] । होनेवाली योनि । मनुष्य के अतिरिक्त अन्य पशु, पक्षी, वृक्ष पापवाद-सज्ञा पुं० [सं०] अशुभसूचक शब्द । अमंगल ध्वनि । कौवे मादि की योनि । उ०-स्त्री, वैश्य, शूद्र मोर पापयोनि कह आदि की ऐसी वोली जो अणुभसूचक मानी जाय। कह जो धर्माचरण के अनधिकारी समझे जाते थे। -ककाल, पापविनाशन-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] पाप का नाश करने की क्रिया । पृ०१५३ । पापमोचन [को०] । पापर-सचा पुं० [ स० पर्वत ] दे० 'पापड' । उ०-फेनी पापर पापशमनी-वि० स्त्री० [सं०] पापनाशिनी । पापनिवारिणी। भूजे भए अनेक प्रकार । भह जाउर मिजयावर सीझी सब पापशमनी-सञ्ज्ञा सी० शमीवृक्ष । ज्योनार । —जायसी (शब्द०) । पापर-मचा पुं० [अ० पॉपर ] १ मुफलिस मादमी। निधन पापशोधन-सञ्ज्ञा पुं० [ स०] १ पाप से शुद्ध होने की क्रिया या भाव । पापनिवारण । २ तीर्थस्थान | व्यक्ति । २ वह व्यक्ति जो मुफलिसी या निर्धनता के कारण पापसंकल्प-वि० [सं० पापसक्कल्प ] पापनिश्चय । जिसने पाप दीवानी में बिना किसी प्रकार के अदालती रसूम या खर्च के करने का पक्का इरादा कर लिया हो। किसी पर दावा दायर करने या मामला लड़ने की स्वीकृति पाता है। पापसूदनतीर्थ -सञ्ज्ञा पुं० [ स०] एक प्राचीन तीर्थ स्थान । विशेष-ऐसे व्यक्ति को पहले प्रमाणित करना पडता है कि मैं पापहर'-वि० पुं० [सं०] पापनाशक । पापहारक । मुफलिस हूँ। दावा दायर करने या मामला लडने के लिये पापहर--सज्ञा पुं० एक नदी का नाम । मेरे पास पैसा नहीं है। अदालत को विश्वास हो जाने पर पापहा-वि० [सं० पापहन् ] पाप का नाशक । पाप का हनन करनेवाला। वह उसे अदालती रसूम या खर्च से वरी कर देता है । पर हाँ, मामला जीतने पर उसे खर्च देना पड़ता है। पापाकुशा-सज्ञा जी० [सं० पापाकशा ] आश्विन मास की शुक्ला एकादशी। पापरोग-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. वह रोग जो कोई विशेष पाप करने से होता है। पापविशेष के फल से उत्पन्न रोग। पाति-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० पापान्त ] पुराणानुसार एक तीर्थ का नाम । विशेष-धर्मशास्त्रानुसार कुष्ठ, यक्ष्मा, कुनख, श्यावदंत (दाँतों पापा'-सझा स्त्री० [ स०] बुध की उस समय की गति जब वह का काला या बदरग होना ), पीनस, पूतिवक्त्र ( श्वासवायु हस्त, अनुराधा अथवा ज्येष्ठा नक्षत्र में रहता है । पापाख्या । से दुर्गंध निकलना ), हीनांगता, श्वित्र, श्वेतकुष्ठ, पगुत्व, पापा-सधा पुं॰ [ देश० ] एक छोटा कीहा जो ज्वार, बाजरे आदि मूकता, लोलजिह्वता, उन्माद, अपस्मार, अघत्व, कारणत्व, की फसल में प्राय उस वर्ष लग जाता है जिस वर्ष वरसात भ्रामर ( सिर में चक्कर आना ), गुल्म, श्लीपद (फीलपा) अधिक होती है। प्रादि रोग पापरोग माने गए हैं जो ब्रह्महत्या, सुरापान, पापा सज्ञा पुं॰ [ अनु०] १ बच्चों की एक स्वाभाविक बोली स्वर्णहरण मादि विशेष विशेष पार्यों के कती को नरक और या शब्द जिससे वे बाप को संबोधित करते हैं । धावू । पिता पशु, कीठ, पतग प्रादि की योनियो से पुन मनुष्यजन्म के लिये सवोधन । उ०-पापा | प्रम छर फम्ने जा रहे हैं। प्राप्त करने पर होते हैं। -भस्मावृत०, पृ० १७ ॥ २ मसूरिका । वसत रोग । छोटी माता। विशेष-इस समय प्राय युरोपियनो ही के बच्चे इस शब्द का पापरोगी-वि० [सं० पापरोगिन् ] [ वि० स्त्री० पापरोगिणी ] पाप प्रयोग करते हैं। रोगयुक्त । जिसे कोई पापरोग हुआ हो। २. प्राचीन काल में बिशप पादरियो और वर्तमान मे फेवल