सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/२८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पिंडिका २६६१ पिजिया विडिका-सञ्ज्ञा स्त्री० [स० पिरिडका] १ छोटा पिंड । पिंडी। छोटा पिंडीभवन-सज्ञा पु० [स० पिण्डीभवन] पिंड के आकार का हो गोलमटोल टुकड।। २ छोटा ढेला या लोदा । लुगदी। पिंडाकार होना [फो०] । ३ पहिए के बीच का वह गोल भाग जिसमे धुरी पहनाई पिडीर'---सशा पु० [स० पिण्डोर] १ अनार । २ समुद्रफेन । रहती है। चक्रनाभि । ४ पिंडली। ५. श्वेताम्लिका । पिंडीर-वि० शुष्क । नीरस (को॰) । इमली। ६. वह पिढी जिसपर देवमूर्ति स्थापित की जाती पिडोशूर-सज्ञा पुं० [म० पिण्डीशूर] १ घर ही मे बैठे बैठे बहा है । वेदी। दिखलानेवाला। बाहर आकर कुछ न कर सकनेवार पिंडित'-वि० [स० पिण्डित] १ पिंड के रूप में बंधा हुआ । दबाकर २ खाने में बहादुर । पेटु । घनीभूत किया हुआ । २. पिंडी के रूप में लपेटा हुआ । सहत । ३ गरिणत । गिना हुषा (को०)। ४ परस्पर मालित । मिला पिंडुर@-सज्ञा स्त्री० [हिं०] ३० पिंडली'। पिडुरी-संज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'पिंडली'। उ०—पिंडुरी क हुमा (को०) । ५ गुणित । गुणा किया हुषा । अग थहरत लहरि कच मुख पास । तन स्वेद कन झल पिंडित-सशा पु०१. शिलारस । २ कासा । ३ गणित । रहत कोउ चाहि मद बतास । -भारतेंदु म, भा० पिडितद्वम-वि० [सं० पिरिडतद् म] तृणों से भरा हुआ [को॰] । पृ०११८। विडितार्थ-पशा पुं० [सं० पिण्डितार्थ] साराश [को०] । पिडुली-सचा स्त्री० [हिं०] दे० 'पिंडली' । पिडिनी-सशा स्त्री० [सं० पिण्डिनी] अपराजिता लता। पिंडूक-सक्षा पुं० [हिं०] दे० 'पटुक' । उ०-रोवत मिलि Eि पिंडिया-सञ्ज्ञा सी० [सं० पिरिडक] १ गीली भुरभुरी वस्तु का सँग ता के घाव लखात । -भारतेंदु ग्र०, भा० १, पृ० २२ मुट्ठी से बंधा हुआ लबोतरा टुकडा । लवोतरी पिंडी। पिंडोदककिया-सज्ञा पी० [सं० पिण्डोदकक्रिया ] पिंडदान जैसे, मिठाई की पिडिया, प्रचार की पिडिया। क्रिया और तर्पण। क्रि०प्र०-याँधना। पिंडोद्धरण-सज्ञा पुं० [सं० पिण्डोद्धरण ] पिंडदान मे . लेना [को०] । २ गुड की लबोतरी भेली । मुट्ठी। ३. लपेटे हुए सूत, सुतली पिडोपजीवी-१० [स० पिण्डोपजीविन् ] दूसरो के दिए या रस्सी का छोटा गोला । टुकडो पर जीवित रहनेवाला । दूसरो के द्वारा पोपण क्रि०प्र०—करना ।-बनाना । करनेवाला (को०] । पिंडिल'-सज्ञा पुं॰ [सं० पिण्डिल] १ सेतु । २ गणक । पिंडोल-मशास्त्री० [सं० पाण्ड] पीली मिट्टी। पोतनी मिट्टी। पिडिल–वि० १. गणना करने मे दक्ष । २ जिसकी पिंडलियाँ पिडोलि'–सशा स्त्री० [स० पिएढोलि] थाली या पत्तल पर वडी हों [को०] । अन्न जो खाने से बचा हो। पिंडिला-सच्चा स्त्री० [सं० पिण्डिला] ककडी। पिंडोलि'-सज्ञा पुं० [?] ऊँट । पिंडी-सचा त्री० [स० पिण्ढिन् ] १ ठोस या गीली वस्तु का पिहोलिका-मचा त्री० [सं० पिण्डोलिका दे० 'पिंडोलि' [को०] । छोटा गोल मटोल टुकडा । छोटा डेला या लोदा। लुगदी। पिंधना+-क्रि० स० [स० परिधारण] १० 'पहनना' । उ०- जैसे, पाटे की पिंडी, तबाकू की पिंडी। वैश्याहि करो सुखसार महते अलक तिलका क्रि० प्र०-बाँधना। खडते दिव्यावर पिंधते ।-कीति०, पृ० ३४ । २. गीली या भुरभुरी वस्तु का मुट्ठी मे दबाकर बांधा हुआ पिमा-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्रमन् , प्रा० पेम्म, पेम, पिम्म ] -२० 'प्रेर लबोतरा टुकड़ा। जैसे, खाँड़ की पिंडी, गुड की पिंडी। ३ उ.--भर भोर अभय भय सील नील। सरसात पिंग चक्रनेमि । पिडिका । ४ घीया । कद्द । लौकी। ५ पिंड पिंम चील ।-०रा०,२।६७ । खजूर । ६ एक प्रकार का तगर फूल । हजारा तगर । ७ पिशन-सशा ग्नी [अ० पेनशन] दे० 'पेनशन' । वेदी जिसपर बलिदान किया जाता है। ८ पीठ। पीढ़ा। पिंगला-सज्ञा ग्री० [सं० पिङ्गला] ८० 'पिंगला'। (को०) । ६ पिंडली (को०) । १० गृह । घर । मकान (को०)। पिंजड़ा, पिंजरा-सशा पुं० [सं० पिञ्जर] १ पोहे, यांग म ११ कसकर लपेटे हुए सूत, रस्सी प्रादि का गोल लच्छा। की तीलियो का बना झावा जिरामे पक्षी पालो। क्रि० प्र.-करना। +-छोटी जगह (लादा०) । पिंडीकरण-सज्ञा पुं० [सं० पिएढीकरण] पिंड का रूप देना। पिंड पश पुं० [हिं०] पशुशाला । गोगाना । बनाना (को०] । पुं० [सं० पिम्मा ( = रू) ] : पिंडीतक-सज्ञा पुं० [सं० पिएढीतक] १. मदन वृक्ष। मैनफल । । २०-धमाधम्म मसी मही माहि २ पिटी तगर । हजारा तगर । पीजत मानो।-पृ० रा०, २१४' पिडीपुष्प-सञ्चा पुं० [स० पिएदीपुष्प] अशोक वृक्ष । नया पु० [म० पिडिजका रूई में 1