पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३०८

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. . पीछ ३०१७ पीछे पोछ'-सज्ञा स्त्री० [अ० पिच] एक प्रकार की राल जो जहाज आदमी से पीछा छुडाया है। (२) अप्रिय या इच्छाविरत पादि में दरार भरने के काम मे पाती है। दामर। गीर । सबध का मत करना । दुखदायी सबध से छुटकारा प्राप्त कील । (लश.)। करना । दुखद प्रतीत होनेवाले कार्य को समाप्त कर पोछ।-सज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'पीछा' । जैसे, पागपीछ = आगापीछा । सकना या कर लेना । जैसे,—क्सिी प्राशका से पीछा छुडाना, किसी काम से पीछा छुडाना । पीछा छूटना = (१) पीछरिल+-वि० [मं०] पिच्छल । मसृण । चिकना। उ०-पथ 1.-पीछा करनेवाले से छुटकारा मिलना । अप्रिय साथ का पोछरि एक रयनि अपार । कुचजुग कलसे जमुना भेलि कष्ट दूर होना । गले पडे हुए का साथ छूटना । पिंड पार ।-विद्यापति, पृ० ३०८ । छूटना। जान छूटना । (२) अप्रिय कार्य या संवध से पीछला-वि० [हिं०] दे० 'पिछला'। उ०-ग्राह गह्यो गाढ़े वैर छुटकारा मिलना । दुखद वस्तु का अत या समाप्ति होता । पीछले के बाढे भयो।मति० ग्र०, पृ० ३५७ । रिहाई मिलना। पीछा छोडना%3 (१) पीछा करने का पीछा-सज्ञा पुं० [स० पश्चात्, प्रा. पच्छा] १ किसी व्यक्ति या काम बद करना। किसी प्राशा या प्रयोजन से किसी के वस्तु का वह भाग जो सामने की विरुद्ध दिशा मे हो । साथ फिरना बद करना। सहारा छोडना। (२) किसी किसी व्यक्ति या वस्तु के पीछे को मोर का भाग।' पश्चात् बात के लिये किसी से प्रत्यत प्राग्रह करना बंद करना । भाग । पुश्त । 'पागा' का उलटा । जैसे,—(क) इस इमारत जान खाना छोडना । तग करना बद करना । (३) जिस का पागा जितना अच्छा बना है उतना अच्छा पीछा नहीं बात मे बहुत देर से लगे हो उसे छोड देना । पीछा बना है। (ख) इस अंगरखे का पीछा ठीक नहीं है। पकड़ना = किसी प्राशा से किसी का समीपवर्ती, दरवारी मुहा०-पीछा दिखाना = (१) भागना। हारकर घर का या साथी बनना। प्राश्रय का प्राकाक्षी बनना । सहारा रास्ता लेना। पीठ दिखाना । जैसे,—कुल दो ही घटे की । वनना । जैसे, किसी रईस का पीछा पकडना । लहाई के बाद शत्रु ने पीछा दिखाया । (२) दे० 'पीछा देना' । पीछा देना = किसी काम मे पहले साथ देकर फिर पीछाणना-क्रि० स० [हिं० ] दे० 'पहचानना'। उ०-जीणी अहिनाणह लेउ पीछाणी।-वी० रासो, पृ० ७७ । किनारा करना। पीछे जाना। मौके पर हट जाना या घोखा देना । पहले भरोसा दिलाकर पीछे सहायता न देना। पीछूg+-क्रि० वि० [हिं० ] दे० 'पीछे' । पीछा भारी होना = (१) पीछे की अोर शत्रु का होना । पोछे-प्रव्य [हिं० पीछा ] १ पीठ की पोर। जिघर मुह हो पीछे की ओर से भय या खतरा होना । (२) कुमुक पा उसकी विरुद्ध दिशा मे । मागे या सामने का उलटा । जाने से सेना का पश्चात् माग सबल हो जाना। पश्चात् । जैसे, - जरा अपने पीछे तो देखो कि कौन २ किसी घटना का पश्चात्वर्ती काल। किसी घटना के बाद खडा है। का समय । जैसे,—(क) व्याह का पीछा है, इसी से हाथ यौ०-पीछे पिछडे = अविकसित । अनुन्नत । पिछडे हुए। इतना तग है। (ख) इतने बड़े रईस (की मृत्यु ) का मुहा०-( किसी के ) पीछे चलना=(१) किसी विपय मे पीछा है, हजारो रुपए लग जाएंगे। ३ पीछे पीछे चलकर किसी को पथप्रदर्शक, नेता या गुरु मानना । कार्यविशेष मे किसी के साथ लगे रहने का भाव । जैसे,—(क) बडे किसी का पदानुसरण करना। किसी का अनुयायी या का पोछा है, कुछ न कुछ दे ही जायगा। (ख ) चार अनुगामी होना। अनुकरण करना जैसे,—वह ऐसा वैसा साल तक इस साधु का पीछा किया पर इसने कुछ भी न आदमी नही है, उसके पीछे चलनेवालो की संख्या हजारो बताया। से ऊपर है। (२) एक आदमी ने जैसा किया हो वैसा मुहा०-पीछा करना = (१) किसी के पीछे पीछे जाना या ही करना। किसी का अनुकरण करना । नकल करना । फिरा करना । हर समय किसी के साथ या समीप बना जैसे,-खोज के विषय मे भारतीय विद्वान् भी बहुधा रहना। कोई काम निकालने के लिये या किसी प्राशा से " यूरोपीय 'पडितो के पीछे चले हैं। ( किसी के ) पीछे किसी के साथ लगे रहना । (२) अनिच्छुक व्यक्ति से कोई छूटना = (१) किसी के साथ रहकर उसका भेद लेने या काम कराने के लिये अत्यत अाग्रह करते रहना । किसी बात उसकी गतिविधि पर दृष्टि रखने के लिये नियुक्त किया जाना। के लिये किसी को तग या दिक करना । गले पडना । जैसे,- जासूस बनाकर किसी के साथ लगाया जाना । जैसे,—प्राज अब तो तुम इस काम के लिये मेरा पीछा न करते तो मैं कल उनके पीछे कई प्रादमी छूटे हैं । (२) किसी भागे हुए तुम्हारा बडा उपकार मानता। (३) किसी को पकडने, 'आदमी को पकड़ने के लिये नियुक्त किया जाना । (किसी मारने या भगाने प्रादि के लिये उसके पीछे पीछे चलना । के) पीछे छोड़ना या भेजना%3 (१) जासूस या भेदिया खदेडना । पीछा छुड़ाना = (१) पीछा करनेवाले से बनाकर किसी को किसी के साथ लगाना । गुप्त रूप से किसी छुटकारा प्राप्त करना। किसी बात के आग्रह से, तग या के साथ रहकर उसका भेद लेने या उसके कर्मों से जानकारी दुखी करनेवाले से अपने आपको दूर कर लेना । गले पडे रखने के लिये किसी को नियत करना । साथ लगाना। हुए व्यक्ति से जान छुडाना । जैसे,—बड़ी कठिनाई से इस 7 (२) किसी आदमी को पकडने के लिये किसी को भेजना