पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 S पुच्छ ३०३७ पुछया ३ 'किसी वस्तु के ऊपर कोई गीली वस्तु फेरकर चढाई हुई पुछत्तर:-नशा पुं० [हिं० पूछना ] दे० 'पुछया' । उ०-मैं वहीं पतली तह । हलका लेप । जैसे, चूने का पुचारा, मिट्टी या चला गया, तो उसका कोई पुदत्तर मी न रहेगा। गोवर का पुचारा । ४ वह गीला कपडा जिससै पोतते या -रगभूमि, भा॰ २, पृ० ५६२ । पुचारा देते हैं। जैसे, जुलाहो का पुचारा जिसमे पाई के पुछना-क्रि० अ० [हिं० पोछना का अक० ] १ पुचकर समाप्त ऊपर माड या पानी पोतते हैं। ५ लेप करने या पोतने के हो जाना। मिट जाना । २ जमीन पर पडे हुए पानी या लिये पानी मे घोली हुई कोई वस्तु (जैसे, रग, चूना प्रादि), किसी तरल द्रव्य का पोछकर हटाया जाना । ६ दगी हुई तोप या बंदूक की गरम नली को ठढी करने के पुछनार-सञ्ज्ञा पुं० वह कपडा जिममे जमीन या जमीन चौकी पीड़ा लिये उसपर गीला कपडा डालने की क्रिया। ७ किसी को आदि पर पड़े हुए पानी आदि को पोछा जाता है। अनुकूल करने या मनाने के लिये कहे हुए मीठे और सुहाते पुछना-फ्रि० स० [म० पृन्छन, प्रा० पुच्छण, हिं० पछना ] दे० वचन । प्रसन्न करनेवाले वचन । जैसे,—कडाई से नही 'पूछना' । उ०-ए मा कह मोय पुछो तो ही।-विद्यापति, बनेगा, पुचारा देकर काम लेना चाहिए। पृ० ५०६। क्रि० प्र०-देना। पुछनियाँ-सज्ञा स्त्री० [हिं० पृछना] पृच्या प्रश्न। झठी प्रशसा । चापलूमी । ठकुर रसुहाती । खुशामद । जिज्ञामा । उ०-साधन मां छत्तीस कौम है टेढो तोर पुछ- क्रि० प्र०-देना। नियाँ।-कवीर श०, भा० १० १०४ । ६ उत्साह बढानेवाले वचन । किमी अोर प्रवृत्त करनेवाले पुछल्ला-मज्ञा पु० [हिं० पूँछ+ला (प्रत्य॰) ] १. बढी पूछ । वचन । बढावा । जैसे,-जग पुचारा दे दो, देखो वह सब लबी दुम । २ पूछ की तरह जोडी हुई वस्तु । जैसे, (क) कुछ करने को तैयार हो जाता है । पतग या कनकौवे के नीचे बंधी हुई ल बी धज्जी जो लटकती पुच्छ-मज्ञा पुं॰ [ मं०] १ दुम । पूछ । २ विसी वस्तु का पिछला रहती है । (ख) टोपी में टंकी हुई धज्जी जो अलग लटकती भाग । ३ प्रछ जिसमे वाल हो (को०)। ४ मोर की रहती है । ३ बराबर पीछे लगा रहनेवाला व्यक्ति । साथ पूछ (को०)। न छोडनेवाला । बराबर साथ मे दिखाई पडनेवाला । जैसे,- पुच्छकंटक-मज्ञा पुं० [सं० पुच्छकपटक ] विच्छू [को॰] । वह जहाँ जाता है यह पुछल्ला उनके साथ रहता है । ४ साथ पुच्छजाह-सज्ञा पु० [सं०] पूंछ का अग्रिम भाग । पूछ की में जुडी या लगी हुई वस्तु या व्यक्ति जिसकी उतनी आवश्य- जह (को०] । कता न हो । जैसे,-तुम प्राप तो जाते ही हो, एक पुछल्ला क्यो पीछे लगाए जाते हो। ५ पिछलग्गू । खुशामद से पीछे पुन्छटि, पुच्छटी-सञ्ज्ञा स्त्री० [स०] उगली चटकाने की क्रिया । लगा रहनेवाला । चापलूम । प्राश्रित । जैसे, अमीरो का छोटिका (को०]। पुरल्ला । ६ लपेटन की वाई पोर का सूटा (जुलाहे)। पुच्छदा-सशा स्त्री० [सं० ] लक्ष्मणा नाम का कद । पुछवाना -क्रि० स० [हिं० पूछना का प्र० रूप ] (किसी से ) पुच्छना-क्रि० स० [सं० पृच्छन ] दे० 'पूछना' । उ०-(क) पूछने का कार्य कराना। उ०-जब कहोगी यदुकुल चद्र से भृगी पुच्छइ भिंग सुन की ससारहि सार ।-कीर्ति० पृ० स्वय पुछवा देंगे। ---श्यामा०, पृ० ६१ । ६। (ख) पुच्छि मात पित पुच्छि पुच्छि परिवार गेह सव । पुछवैया -मज्ञा पुं० [हिं० / पूछ + वैया (प्रत्य)] २० 'पुछेया'। -पृ० रा०, २५।२६७ । पुछानना-क्रि० स० [हि. ] 70 'पूचना'। उ०-राजह सूर पुच्छफल-सञ्ज्ञा पुं॰ [ 10 ] वेर वा पेड । हकार लिय, दिय सादर सनमान । वीर विरद वरदाय प्रति, पुच्छवध-मज्ञा पुं० [ स० पुच्छयन्ध ] घोडे के पिछले पैर बांधने लागे बत्त पुछान !-पृ० रा०, ६।१४७ । की रस्सीयो०] । पुछाना-कि० म० [ हि° पूछना का प्रे० रूप ] दे० 'पुछवाना' । पुच्छमूल-मज्ञा पुं० [ म० ] पूछ वा मूल । पूछ की जड [को०] । उ.-बच्चा को बुलाकर पृथाप देती है। मान०, मा०५, पुच्छल--वि० [ स० पुच्छ + हिं० ल (प्रत्य॰)] दुमदार । पूछदार । पृ० १६७। यौ०-पृच्छल तारा = कभी कभी उदित होनेवाला वह तारा पुकारg+-परा पुं० [हिं०/पछ+पार (प्रत्य॰)] पूरनेवाला जिसमे लगा हुआ भाप या कुहरे सा द्रव्य झाडू के प्राकार का ध्यक्ति । सोज खबर लेनेवाला व्यक्ति । प्रादा करनेवाना। पायाश में दूर तक फैता दिखाई देता है। विशेष-दे० 'केतु'। पुछारल२-सज्ञा पु० [हिं०] - 'पुधार। पुन्छाम-भक्षा पुं० [सं०] पुच्चमूल (को०] । पुकार-समा [हिं० पृछना ] पूछतान । पुच्छिका-समा सी० [सं०] मापपर्णी। पुछिया-सा पुं० [हिं० पूछ+इया (प्रत्य॰)] दुरा । मेला । पुन्छी'-4 [ म० पुच्छिन् ] पूवाला। दुमदार । पुछया-मज्ञा पुं० [हिं० / पूछ+ ऐया (१०)] पूछनेगला पुन्छो -सा पुं० १ प्राक । मदार । २ युक्कुट । मुर्ग । व्यक्ति । खोज खबर लेनेवाला मादमी। ध्यान देनेवाला व्यक्ति । -Yo