पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३४६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पुराणकल्प ३० पुराना ३ अठारह की सख्या। ४ शिव । ५ कार्षापण । एक पुराना सिक्का। पुराणकल्प-सज्ञा पुं॰ [स०] दे० 'पुराकल्प' । पुराणग-सज्ञा पुं० [स०] १ ब्रह्मा। २ पुराण कहनेवाला । पुराणवक्ता। पुराणचौर व्यजन-सज्ञा पुं॰ [सं० पुराणचौर व्यञ्चन ] वे गुप्तचर जो पुराने चोर माकुमो के वेश में रहते थे। विशेष-कौटिल्य ने लिखा है कि ये लोग चोरों बदमाशों के अड्डों और शत्रु के पक्षवालों की महली प्रादि का पता रखते थे और समाहर्वा के अधीन काम करते थे। पुराणपण्य-सशा पुं० [सं०] कौटिल्य के अनुसार पुराना माल । पुराणपुरुष-सज्ञा पु० [सं०] १ विष्णु । २ जरठ या वृद्ध व्यक्ति (को॰] । पुराणभाठ-सज्ञा पु० [ स० पुराणभाण्ड ] कौटिल्य अर्थशास्त्र के अनुसार मंगड खगह या पुराना माले प्रसबाव । पुरणांत-सा पु० [सं० पुराणान्त ] यम को०) । पुरातत्व-सञ्ज्ञा पु० [सं०] प्राचीन काल सबंधी विद्या । प्रत्ल शास्त्र । पुरातत्ववेत्ता-सञ्ज्ञा पुं० [स० पुरातत्व+वेत्ता ] पुराविद् । प्राचीन इतिहास और सस्कृति का विद्वान् । उ०-भव पुरातत्ववेत्तामो ने तदनुरूप स्थानों की खोजें एव परिकल्पनाएँ कर ली हैं। -प्रा० भा०, पृ० ५। पुरातन-वि० [सं०] १ प्राचीन । पुराना । २ सर्वप्राचीन | सबसे पूर्व का (को०)। पुरातन-सशा पुं० १. विष्णु । २ प्राचीन आख्यान (को॰) । यौ०-पुरातनपुरुष-विष्णु । उ०-पुरुष पुरातन की वधू क्यो न चचला होइ। पुरातनता-तज्ञा स्त्री० [सं० पुरातन+ता प्रत्य० ] पुरानापन । पुरातन होने का भाव । उ०—पुरातनता का यह निर्भीक सहन करती न प्रकृति पल एक । -कामायनी, पृ०५५ । पुरातनवाद-सज्ञा पुं॰ [ स० पुरातन + बाद ] १. पुरातनता का सिद्धात । पुरातनता का दृष्टिकोण । उ०—पर पुरातनवाद के तुम अध पोषक । -भूमि०, पृ० ५। २ पुरातन के प्रति मनुराग । पुरातनता का प्रेम । पुरातम-वि० [सं० पुरा + तम ] पुरातन । पुराना । प्राचीन । उ.-गई गोपि ह भक्ति मागिली काढे प्रगट पुरातम खास । -सुदर० प्र०, भा० १, पृ०१५३ । पुरातल-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] तलातल । पुराधिप-सज्ञा पुं० [०] नगर का अधिकारी। नगर का शासन और रक्षा करनेवाला अधिकारी (को०)। पुराध्यक्ष-वशा पुं० [सं०] दे० 'पुराषिप' [को०] । पुराना'-वि० [सं० पुराण ] दे॰ 'पुराना । पुरान-सचा पुं० दे० 'पुराण' । उ०-पूरन ब्रह्म पुरान बखाने । चतुरानन सिव अंत न जाने । -पोद्दार अभि० ग्रं, पृ. २५१ । पुराना'-वि० [सं० पुण्ण ] [ वि० सी० पुरानी ] १ जो किसी समय के बहुत पहले से रहा हो। जो किसी विशेष समय में भी हो और उसके बहुत पूर्व तक लगातार रहा हो। जिसे उत्पन्न हुए, बने या अस्तित्व में पाए बहुत काल हो गया हो । जो बहुत दिनो से चला पाता हो । बहुत दिनो का। जो नया न हो। प्राचीन । पुरातन । बहुपूर्वकालव्यापी। जैसे, पुराना पेठ, पुराना घर, पुराना जूता, पुराना चावल, पुराना ज्वर, पुराना बैर, पुरानी रीति । २ जो बहुत दिनो का होने के कारण अच्छी दशा में न हो । जीर्ण । जैसे,- तुम्हारी टोपी अब बहुत पुरानी हो गई बदल दो । उ०- छुवतहि टूट पिनाक पुराना । —तुलसी (शब्द॰) । कि० प्र.-पढ़ना ।—होना । यौ०-फटा पुराना । पुराना धुराना । ३. जिसने बहुत जमाना देखा हो । जिसका अनुभव बहुत दिनो का हो। परिपक्व । जिसका अनुभव पक्का हो गया हो । जिसमे कचाई न हो। जैसे,—(क) रहते रहते जब पुराने हो जाओगे तब सब काम सहज हो जायगा। (ख) पुराना काइयां, पुराना चोर। मुहा०—पुराना खुर्राट = (१) बूढ़ा । (२) बहुत दिनो का अनुभवी। किसी बात में पक्का । पुरानी खोपड़ी = दे० 'पुराना खुर्राट' । पुराना घाघ = किसी बात मे पक्का। बहुत दिनो तक अनुभव करते करते जो गहेरा चालाक हो गया हो। गहरा काइयाँ । पुरानी लीक पीटना = पुराना बुनना । नई सभ्यता, नए सस्कार, विचार आदि का विरोधी होना । पुरानपथी बनना। उ०-कोई पुरानी लीक पीट है कोई कहता है नया।-भारतेंदु ग्र०, भा॰ २, पृ० ५७१ । पुराने मुर्दे उखेड़ना = भूली विसरी बात की याद दिलाना । गई बीती बात की चर्चा छेडना । अतीत की अप्रिय बातो की सुधि दिलाना । उ०- तुम तो पुराने मुर्दे उखेहती हो ! बेकार ।-सैर कु०, पृ० २६ । ४ जो बहुत पहले रहा हो, पर अब न हो। बहुत पहले का। अगले समय का। प्राचीन । प्रतीत । जैसे, (क) पुराना समय, पुराना जमाना। (ख) पुराने राजाओं की बात ही और थी। (ग) पुराने लोग जो कह गए हैं ठीक कह गए है। (घ) पुरानी बात उठाने से अब क्या लाभ ? ५ काल का । समय का । जैसे यह चावल कितना पुराना है ? ६ जिसका चलन मब न हो । जैसे, पुराना पहनावा । पुराना-क्रि० स० [हिं० पूरना का प्रे० रूप] १ पूरा करना । पुज- वाना । भराना । २ पालन करना । अनुकूल बात कराना। जैसे, शतं पुराना। उ०-मारि मारि सब शत्रु तुत निज सर्त पुरावत ।-गोपाल (शब्द०)। ३. पूरा करना। भरना। पुजाना । किसी धाव, गड्ढे या खाली जगह को किसी वस्तु से छेक देना। जैसे, घाव पुराना। ४ पूरा करना । पालन 1