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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३६५

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शिलादि। उपासना। पूजाधार ३.०४ पूतना पूजावार-ज्ञा पुं॰ [०] पूजा की प्राधार रूप वस्तुएँ । देयपूजा मे पूढा-स[मंग पूरा ] " 'पूरा' । विषय वस्तुएँ । जैसे, जल, विष्णुचक्र, मत्र, प्रतिमा, शालग्राम पूड़ो-म. पी० [२० पून्निका, पूरिका, पुटिया, हि० पूरी १ तबरे या मृदग पर मढ़ा हुआ गान समय। २.०'पूगे'। पूजापाठ-संशा पु० [ म० पूजा+पाठ ] भजनपूजन । पूजा । पूण'- पं० [हिं०] पत्यर । पूर्ण - 7 [ #० पूगिमा ] अगिमा । पूर्णमामी। पूजारा-सरा पुं० [हिं०] दे० 'पुजारी' । पूत'-० [in ] १. परिष । शुन्य । गुपि । २ निम्नुगित । पूजाहे- [सं०] पूजा के योग्य । पूजनाय । साफ पिया हा। एट पोरग मारिया प्रा (२) । पूजासभार-मग पु० [सं० पूजासम्भार ] पूजन की सामग्री । पूजा ३ निमित । रचित । ग्रामिन (1) । ४ दुर्गधमुक्त का उपकरण (को०] । (यो०) 1५17 प्रायश्मिा । प्रारमित पिया हुमा (mo) | पूजित-वि० [सं०] [पि० वी० पूजिता ] १. जिसकी पूजा की गई पूत'- पुं० [ 10 ] ! त्य । २. गग। ३. गफेर फुग । ४ हो। प्राप्तपूजा । याराधित । मचित । समानित । पारत । पताग । " तिना पर अनसिपी भूमी निकाल २ मान्य । स्वीकृत (को०)। ३ स स्तुत । स स्तुति किया दी गई हो। जलाश। ८ nिा का वृक्ष (राज- हुया (को०)। लिपटु)। पूजितपूजक-f• [ म० ] स मानित का स मान गरनेवाला (को॰] । पूतर - मा १० [ पुत्र, प्रा० पुस ] का । रुका। पुत्र । ८०- पूजितव्य-वि० [ 10 ] पूजा करने योग्य । पूजनीय । पून परम प्रिय तुम्ह गवहीं फे। --गान3, २१५६ । पूजिल'- पुं० [सं० ] देवता । पूत -ज्ञा पुं० [P] सल्टे पे दोनों किनारोमो पीच के ये नुरीले पूजिल'-पि० पूजनीय । पूजा योग्य । उमा जिनके नहारे पर नावापौर व ता रखते हैं। पूजी-गशा पी० [ 7 ] घोडे के मुह पर का साज [को॰] । पूतकता-पी० [सं०] एक मंदिप दि को न्यो ना नाम । पूजोपकरण-मज्ञा पुं० [ 10 ] पूजा की सामग्री । पूतफतायी-Tी [ 10 ] इंद्रापली । ची। दालो। पूज्य'-वि० [ म० ] [ वि० पी० पूज्या ] १ पूजा योग्य । पूजनीय। पूतमतु- '[ग] रद्र । २ पादर योग्य । माननीय । पूतगध-ना पुं० [म. पृनगन्ध ] कानी वर्षी तुनमी । वर्ग। पूज्य --सज्ञा पुं० १ ससुर । श्वसुर । २ भादरणीय या मान्य पूतडा-० [हि० पूत +11 (प्रस) ] यह पोटा बिछौना जी व्यक्ति । पूजनीय व्यक्ति । बच्चो के नीने इमलिय विधाना जाता है जिवना विछौना पूज्यता-सजा सी० [०] पज्य होने का भाय । पूजा के योग्य होना। मल मूत्रादि से बना है। पूजनीयता। मुहा० - पूनही के अमीर-जन्म के प्रमीर । पैदाइशी धनी या पूज्यपाद-पी० [म० ] जिसके पैर पूजनीय हो । प्रत्यत पूज्य । रईस । सानदानो या पुस्तगी ममोर । परमाराध्य । अन्यत मान्य । पूततृण-Int[ 10 ] मफेद गुग । पूज्यपूजा-मजा मी० [ स० ] पूजनीय की पूजा करना [को०] । पूतदारु-सम पुं० [म] पान । वास। पूज्यमान'-० [ स० ] जिसकी पूजा की जा रही हो। पूजा पूतद्-सशा पुं० [सं०] १. ढाक । पलाय । २ सदि। मेर का पेड । जाता हुप्रा । सेव्यमान । ३ देवदार। पूज्यमान-सा पु० सफेद जीरा । पूतधान्य-त पुं० [सं०] तिल । पूटरी -गा यी० [ दश० ] ईख के रस को वह अवस्था जो उसके पूतन-मशा यु० [०] १ वैयक के अनुसार गुदा में होनेवाला खास बनने से पहले होती है। एक प्रकार का रोग । २. बेताल । पूटीन-सज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'पुटीन' । पूतना-सा ग्वी• [0] १ एक दानवी जो मस फे भेजने से पूठ,-गरा पुं० [सं० पृष्ट, प्रा० पिट्ठ, पु8 ] १ दे० 'पुढा' । चालक श्रीकृष्ण को मारने के लिये गोकुल पाई थी। २ पीठ। पीछा। उ०-पागे शिप सामा खडा दिया जगत विशेष-इसने अपने स्तनो पर इमनिये विप लगा लिया या • पूठ। - राम धर्म०, पृ० ५४ । कि श्री गण दूध पीकर उसके प्रभाव से मर जाय । परतु कथा पूठा'-नज्ञा पुं॰ [ 1० पृष्ठ ] २० 'पुढा' । है कि श्रीकृष्ण पर विष का नो पुत्र प्रभाव न पड़ा उलटे उन्होने इसका सारा रक्त चूमकर इगी यो मार चला। यह पूठापुर-कि० वि० [ हिं० पूठ ] पीछे। पीछे पीछे । उ०-फायर जन पूठा फिरे, सुन पहुंचे कोई सूर । दरिया०, पृ०१७ भी याथा है कि मरो के समय इतने बहुत अधिक लवा चौडा शरीर धारण कर लिया था और जितनी दूर मे वह गिरी पूरि-सशा सी० [सं० पृष्ठ ] पीठ। उ०-देखादेखी पकरिया उतनी दूर की जमीन घंस गई थी। बकासुर, वत्सासुर, गई छिनक के छूटि। कोई विरला जन ठहरे जाको ठकोरी और अपासुर नाम के इमे तीन भाई थे। पूठि।-कबीर (शब्द०)। २. सुश्रुत के मनुसार एक वालग्रह या बालरोग।