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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३६६

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पूतनारि २०७५ पूतिपर्णक विशेष-यह वालघातक रोग है। इसमे बच्चे को दिन रात पूतिक'-सज्ञा पुं० [सं०] १ दुर्गध करज । कांटा करज। पूति मे कभी अच्छी नीद नहीं आती। पतले और मैले रंग के करज । २. विष्ठा । पाखाना । गू। दस्त होते रहते हैं । शरीर से बौवे की सी गध पाती है. पूतिक-वि० दुर्गंधयुक्त । वदवूदार । बहुत प्यास लगती और के होती है तथा रोगटे खडे रहते हैं । पूतिकन्या-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० ] पुदीना । ३. कार्तिकेय की एक मातृका का नाम । ४ एक योगी का पूतिकर्ण-सशा पुं० [स०J कान का एक रोग जिसमें भीतर नाम । ५ पीली हड। ६ गधमासी। सुगघ जटामासी। फुसी या क्षत होने के कारण बदबूदार पोप निकलने पूतनारि-सझा पु० [ ] पूतना को मारनेवाला, श्रीकृष्ण । लगती है। पूतनासूदन-सा पु० [ स०] श्रीकृष्ण । पूतिकर्णक-सञ्ज्ञा पुं० [ सं० ] पूतिकर्ण रोग । पूतनाइड-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स० पूनना + हिं० हड़ ] छोटी हह । पूतिका-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ पोय या पोई का साग। २ एक प्रकार की शहद की मक्खी। ३ विल्ली। पूतनाइन्-सञ्ज्ञा पु० [सं०] श्रीकृष्ण [को०] । पूतनिका-सज्ञा स्त्री॰ [ स० ] दे० 'पूतना -१ । पूतिकामुख-सज्ञा पुं॰ [ स० ] घोधा । शबूक । पूतपत्री-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] तुलसी [को०] । पूतिकाष्ठ-सज्ञा पुं० [सं०] १ देवदार । २ धूप सरल । सरल वृक्ष । पूतपाप-वि० [ स०] पाप से मुक्त [को०] । पूतिकाष्ठक-सज्ञा पुं॰ [ स० ] दे० 'पूतिकाष्ठ' । पूतफल-सञ्ज्ञा पु० [सं०] वटहल । पनस । पूतिकाह–सचा पुं० [स० ] दुर्गंध करज । पूति करज । पूतभृत-सज्ञा पुं० [ स० ] प्राचीन काल का एक बरतन जिसमें पूतिकीट-सहा पुं० [सं०] एक प्रकार की शहद की मक्सी । पूतिका । सोमरस रखा जाता था। पूतिकेशर-सञ्ज्ञा पुं० [ स० ] १ नागकेशर । २ मुश्क बिलाव । गध मार्जार । पूतमति'- वि० [सं० ] जिसकी बुद्धि पवित्र हो। शुद्धचित्त । पवित्र प्रत करणवाला। पूतिकेश्वरतीर्थ-सञ्ज्ञा पुं० [ स० ] शिवपुराण में वर्णित एक तीथस्थान । पूतमति २-सज्ञा पु० शिव का एक नाम । पूतर-सञ्ज्ञा पु० [स०] १ जलीय प्राणी। जलचर । जलजीव । २ पूतिगध- सधा पुं० [सं० पूतिगन्ध] १ राँगा। २ हिंगोट या गोदी । इगुदी । ३ गधक । ४ दुर्गध । वदवू । साधारण व्यक्ति । (को०] । पुतिगधा-सशा स्त्री॰ [म० पूतिगन्धा] वकुची । वावची । सोमराजी। पूतरा-सच्चा पुं० [हिं० पुतला ] दे० 'पुतला'। उ०-और देह कागद को पूतरा पवन वस उड्यो चल्यो प्रावत होई। -दो पूतिगधि-सचा भी० [सं० पूतिगन्धि ] दुर्गध । वदवू । सौ बावन०, भा०१, पृ० २६४ । पूतिगधिका-रामा स्त्री॰ [ स० पूतिगन्धिका ] १ बावची। बकुची । २ पोय । पूतिका शाक। पूतरा-सज्ञा पुं॰ [ स० पुत्र ] पुत्र । लहका । बाल बच्चा। उ०- हम पहले ते भी मुभा, हम भी चलनेहार । हमरे पाछे पूतरा पूतिघास-सशा पुं० [ स० ] सुश्रु त में वर्णित मृग की जाति का एक जतु। तिन भी वांधा मार | -कवीर (शब्द०)। पूतरी-सला स्त्री० [हिं० ] दे० 'पुतली' । उ०-जैसे सूतर पूतरी पूतितैला-सचा स्त्री • [ स०] ज्योतिष्मती । मालकगनी (को॰) । चित्रकार चित्राम । मैं अनाथ ऐसे सदा तुम इच्छा सोइ राम । पूतिदला-सच्या स्ना० [सं० ] तेजपत्ता । -राम धर्म०, पृ० २७५ । पूतिनस्य-सक्षा पुं० [ सं०] वह रोग जिसमें प्रवास अथवा नाक पूता'-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ दूब । २ दुर्गा (को०)। और मुह से दुर्गंध निकलती है। पूता-वि० सी० पवित्र । शुद्ध । विशेष-सुश्रुत के मत से इस रोग का कारण गले और तालु- पूतात्मा'-वि० [सं० पूतात्मन् ] जिसकी प्रात्मा पवित्र हो । पवित्र- मेल में दोषो का संचय होकर वायु को पूतिभावयुक्त या चित्त । शुद्ध प्रत करण का। दूगंधित कर देता है। पूतात्मा-सचा पुं०१ विष्णु। २ सत महात्मा (को०) । पूतिनासिक-वि० [स०] जिसे पूतिनस्य रोग हुआ हा हो। पूति'-सञ्ज्ञा स्त्री० [म०] १ पवित्रता । शुचिता । २ दुगंध । बदबूदार । जिसके नाक या श्वास से दुर्गधि निकलती हो । पूनिनस्य उ०-जनम जनम ते अपावन असाधु महा, अपरस पूति सों' न छोडे अजो छूति को।-धनानद, पृ०१६८ । ३. गधमार्जार । पूतिपत्र-सहा पुं० [सं०] १ सोनापाठा । २. पीला लोध । मुश्क बिलाव। ४. रोहिप सोध्यिा। रोहिप तृण। ५ गदा पीतलोघ्र। पानी (को०) । ६ पीव । पूय (को॰) । पूतिपत्रिका-सहा स्त्री॰ [ स०] पसरन । प्रसारिणी लता। पूति-वि० दुर्गंधयुक्त । बदबूदार [को०। पूतिपर्ण-सज्ञा पुं० [ स० ] दुर्गध करज । पूति करज । पूतिकंटक-सञ्ज्ञा पुं० [सं० पूतिकण्टक ] हिंगोट । पूतिपर्णक-सझा पुं० [सं०] पूतिपर्ण । रोगी।