२०७८ FO क्रम बतानेवाला (को०)। ३ प्रभावकारी । ४ सतुष्टि (स) पिगरी गहे वजाय झूरी। भोर सौम सिंगी नित देनेवाला (को०)। पूरी । --जायसी (शब्द०)। पूरण- '० [ स० पूर्ण ] पूरा । पूर्ण । पूरना -मि० अ० पूर्ण होना। मर जाना। ध्याप्त हो जाना। पूरणहारा@-वि० [म० पूर्ण+हिं० हारा (प्रत्य॰)] पूरा करनेवाला उ.-परगट गुप्त नवस गहें पूरि रहा सो नाउँ । जह (ईश्वर) 1 3०-दादू पूरणहारा पूरसी, जो चित रहसी देखो वर देशों दूगर नहिं कर जाउँ ।-जायसी (शब्द॰) । ठाम ।-दादू०, पृ० ३३६ । पूरनानंद-TM f० [सं० पूर्णानन्द ] ३० पूर्णानद' । उ.- पूरणी-सा सी० [सं०] १ सेमर । शाल्मली वृक्ष। २ भगवती प्रक्षय अपर एक स परिपूरन है ताही ते पग्नानंद मनु भो दुर्गा या एक नाम (को०)। ते पायी है। - मुद० ग्र०, भा॰ २, पृ. ६२२ । पूरणीय-वि० [म० ] भरने योग्य । परिपूर्ण करने योग्य । पूरनिमा-मामी • [H० पूर्णिमा] पूणिमासी तिपि । पूरन-वि० [सं० पूर्ण, हिं० पूरण] दे० 'पूण' । उ०—(क) जनु पूरय'-गया ५० [ म० पूर्व ] वह दिना जिसमें सूर्य का उदय रोता चकोर पूरन ससि लोभा । —मानस, १२२०७ । (स) हो है । मध्याह ने पहले सूर्य की पोर गुह करने पर सामने सु भले ही कहा यहिये हम अापने पूरन भाग लहे हो। पटनेपाली दिणा । परिणाम के रिफ्ध दिशा । पूर्व । प्राची। -घनानद, पृ० १३६ । पूरव २- पूर्व' । पूरनफाम-'व० [ मे० पूर्णकाम ] ६० 'पूर्णकाम'। उ०-(ग) पूरव-मि.वि.२० 'पूर्व' । देउ काह तुम पूरनामा ।-मानस, ३।२५। (य) श्री पूग्वल+-7 . [ fro पूरयला ] १ प्राचीन समय । पुराना वसुदेव धाम अभिराम । प्रगटहिंगे प्रभु पूरनवाम । -नद० जमाना । २ पूर्व जन्म । म जन्म से पहलेवाला जन्म । ग्र०, पृ० २२० । पूग्वला -11. [म पूर्ण+हिला ( प्रत्य॰)] [वि० पी० पूरनचद- पुं० [सं० पूर्णचन्द्र ] 'पूर्णचद्र'। 30-मनु पूग्यली) १ प्राचीन ल । पुगना । २. पूर्व जन्म घन पूरनचद, दूर निकट पुनि मावहिं । -नद० प्र०, पा। पहले जाम णा। 3.-(क) यदु करनी पधुकरम पृ० ३९५ गति यत् पूरयता लेन । देगो भाग पनीर का दोसत क्मिा प्रलेस ।-नवीर ( शब्द०)। (ग) भोरे भूली ससम को पूरनप रव@-सा पु० [सं० पूर्ण+पर्य ] पूर्णमासी । उ०- गबहु न पिया विचार । मतगुर साहेब बताया पूरवसा, दशरप पूरनपरव विधु उदित समय स जोग । जनवानगर सर, कुमुदगण तुलसी प्रमुदित लोग।-तुलसी (शब्द॰) । भरतार ।-बीर (शब्द०)। (ग) मेरो सरूप नहीं यह व्यापि है पूरवलो मंग के सँग जागे। फा मैं कहाँ पर पूरनपूरी-सशा सी० [सं० पूर्ण + हिं० पूदी ] एक प्रकार की मीठी वाहर होत ही सागत दीठि विलय न लागे।-रघुनाथ कचौडी। (गन्द०)। पूरनमासी-सला सी० [सं० पूर्णमासी ] दे० 'पूर्णमासी' । उ० पूरयवत-कि० वि० [हिं० म० पूर्ववत् ] दे० 'पूर्वयत्' । उ.- पूरनमासी आदि जो मगल गाइए ।-नवीर श०, भा० हम सब तो यह बतसर लौ पूरववत हो जो।-प्रेमपन., ४, पृ०३। भा० १, पृ०५६। पूरना -क्रि० स० [सं० पूरण] १ कमी या त्रुटि को पूरा करना। पूरबिया ---समा ५० [हिं० पूरप+इया ( प्रत्य० ) ] दे० 'पूरची' । किसी खाली जगह को भरना । पूर्ति करना । उ०-दादू पूरवी'-वि० [हिं० पूरप+ ई (प्रत्य)] पूरव का । पूरव संवधी । पूरणहारा पूरसी, जो चित रहसी ठाम । म तर थे हरि जैसे, पूरबी दादरा, पूरवी हिंदी, पूग्यो चावल मादि । उमगसी सकल निरतर राम। -दादू०, पृ० ३३६ । २ पूरबो'-मशा पु० एक प्रकार वा दादरा । २० 'पूर्वी-२'। ढाँकना। किसी वस्तु को किसी वस्तु से प्राच्छादित कर पूरवो'-- सगा पुं० पूरब के रहने वाले लोग। देना। ३० -यूह के के कर मारे मही लखि फुभन वारन पूरबो -सहावा पूर्वी मनी गिनी। विशेष-दे० 'पूर्वी' । छारन पूरत ।-शभु (शब्द०) । ३ (मनोरथ) मफल करना । सिद्ध करना । (मनोरथ) पूर्ण करना । -सद पूरयितव्य-वि० [ म• ] पूरा परने के योग्य । पूरणीय । गणेश मनावहि विधि पूरे मन काज ।—जायसी (शब्द०)। पूरयिता'-मज्ञा पुं० [सं० पूयितृ ] १ पूर्णकर्ता । पूरक । पूर्ण ४ मगल अवसरो पर प्राटे, मवीर प्रादि से देवताप्रो के करनेवाला। २ Cिr का एक नाम । पूजन आदि के लिये चौखटे क्षेत्र प्रादि बनाना। चौक पूरयिता--वि० १. पूर्ण करनेवाला। पूरक । २ संतुष्टिकर । बनाना । जैसे, चौक पूरना । उ०—साजा पाट छत्र फे सतोप देनेवाला (को०।। थाहाँ । रतन चौक पूरी तेहि माहाँ । -जायसी (शब्द०)। पूरा-वि० पु० [स० पूर्ण ] [वि० सी० पूरी ] १ जो खाली न हो। ५ बटना । जैसे, सेवई पूरना, तागा पूरना । ६ फूकना। भरा । परिपूर्ण। २ जिसका मश या विभाग न किया गया उ०-(क) तेहिं वियोग सिंगी नित पूरी। हो अथवा जिसके टुकड़े या विभाग न हुए हो। समूचा । बार वार किंगरी भइ झूरी । —जायसी (शब्द०)। सोलह पाना। समन। समस्त । सकल । ३ जिसमे कोई बजाना।
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३६९
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