पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३७७

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तोडा था। . पूर्वीघाट ३०८६ पृच्चन पूर्वीघाट-सज्ञा पुं० [हिं० पूर्वी+घाट ] दक्षिण भारत के पूर्वी पूष-मज्ञा पुं० [सं०] १ शहतूत का पेष्ठ । २ पौष मास । ३. रेवती किनारे पर का पहाडों का सिलसिला जो बालासोर से कन्या नक्षत्र (को०)। कुमारी तक चला गया है और वहां पश्चिमी घाट के प्रतिम पूपक-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] शहतूत का पेड । २ शहतूत का फल । अश से मिल गया है। इसकी औसत ऊँचाई लगभग १५०० पूषण-सज्ञा पुं॰ [ म०] १ सूर्य । २ पुराणानुसार वारह मादित्यों मे से एक । ३ एक वैदिक देवता जिनकी भावना भिन्न भिन्न पूर्वीण - वि० [स०] १ प्राचीन । २. पैतृक (को०] । रूपों में पाई जाती है। कहीं वे सूर्य के रूप मे (लोकलोचन), पूर्वतर-वि॰ [ स०] पूर्व से भिन्न का । पश्चिमी [को०)। कही पशुओं के पोषक के रूप में, कही धनरक्षक के रूप पूर्वेद्य'--सज्ञा पुं० [ स० पूर्वेद्युस् ] १, वह श्राद्ध जो अगहन, पूस, मे और कही सोम के रूप में पाए जाते हैं । ४. पृथिवी। माघ और फाल्गुन के कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि को किया धरा (को०)। जाता है। २ प्रान काल । सवेरा। पूपणा-सज्ञा स्त्री० [सं०] कार्तिकेय की अनुचरी एक मातृका का पूर्वेधुर-क्रि० वि० गत दिन। बीते दिन [को०] । नाम। पूर्वोक्त-वि० [सं०] पहले कहा हुआ। जिसका जिक्र पहले मा पूषदतहर--सञ्ज्ञा पुं० [ म० पूषदन्तहर ] शिव के प्रश से उत्पन्न चुका हो। वीरभद्र का नाम जिसने दक्ष के यज्ञ के समय सूर्य का दात पूर्वोत्तर-वि० [ मं० ] उत्तरपूर्वी । पूर्वोत्तरा-सज्ञा स्त्री० [ स० ] पूर्व पोर उत्तर के बीच की दिशा । पूपध-सचा पुं० [ मे०] पुराणानुसार वैवस्वत मनु के एक पुत्र । ईशान कोण। पूषभासा-संज्ञा स्त्री॰ [सं०] इंद्र की नगरी अमरावती का एक पूल-सभ पुं० [स०] १ पूला । मुट्ठा । २ एक प्रकार का नाम । इद्रपुरी। पक्वान्न [को०] । पूपमित्र-सञ्ज्ञा पु० [सं०] गोभिल का एक नाम। पूलक-सञ्चा पुं० [सं०] १ मूज प्रादि का बंधा हुमा मुट्ठा। पूल । पूषा'-सज्ञा स्त्री॰ [ स०] १ दाहिने कान की एक नाडी का नाम । २ एक पकवान । पूलिका (को०)। २ पृथ्वी । ३ चद्रमा की तीसरी कला (को०)। पूला-सज्ञा पुं॰ [ स० पूलक ] [स्त्री० अरूपा० पूली ] १ मूज आदि पूपा-सञ्ज्ञा पुं० [सं० पूषण ] सूर्य । दे० 'पूपण' । का बंधा हुआ मुट्ठा । पूलक । २ एक प्रकार का छोटा वृक्ष पूषात्मज-सञ्चा पुं० [सं०] १ मेघ । वादल । २ इंद्र का एक नाम जो देहरादून और सहारनपुर के पास पास के जगलो में (को०) । ३ कर्ण । प्र गदेश का राजा कणं (को॰) । पाया जाता है। विशेष-बसत ऋतु में इसकी सब पत्तियाँ झड जाती हैं। पूपाभासा-सज्ञा स्त्री० [सं०] इनपुरी । अमरावती । इसकी छाल के भीतरी भाग के रेशों से रस्से बनाए जाते हैं। पूषारि, पूपासुहृत्-मज्ञा पुं० [सं०] शिव का एक नाम (को०) । इसकी पत्तियो का व्यवहार प्रोषधि रूप में होता और इसकी पूस-संशा पु० [ स० पौष, पूष ] हेमत ऋतु का दूसरा चाद्रमास छाल से चीनी साफ की जाती है। जिसकी पूर्णमासी तिथि को पुष्य नक्षत्र पडता है। अगहन पूलाक-सञ्ज्ञा पुं॰ [ सं०] दे० 'पुलाक' [को०] । के बाद और माघ के पहले का महीना। उ०-घरहिं जमाई लौ घटयो खरो पूम दिनमान ।-विहारी (शब्द०)। पूजाणे-वि० [सं० पूर्णिमा ] पूर्णिमा का । पूनो का । पूणिम । उ० - चद पूलाणो वनी गयो, खीर की तौलडी कुँ रहद सेर । पृक्का-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] मसवरग नाम का गध द्रव्य जिसका -बी० रासो, पृ०७२। व्यवहार प्रोषधो में भी होता है। पूलिका-सचा स्त्री० [सं०] एक प्रकार का पूमा (पकवान)। पृक्त'-वि० [सं०] १ मिश्रित । मिला हुमा । २ सपृक्त । सपर्क में आया हुप्रा । ३ पूर्ण । भरा हुमा (को०] । पूलिया-सज्ञा स्त्री॰ [ देश०] मलावार प्रदेश में रहनेवाली एक पृक्तर-मचा पु० सपत्ति । धन [को०] । मुसलमान जाति। पूली-सशा नी० [हिं० पूला का अल्पा० ] छोटा पूला। पृक्ति-सञ्चा सी० [सं०] १. सबंध । लगाव । २ स्पर्श । छूना । पूली-सच्चा सी० [हिं० पूला ] पूला नामक वृक्ष जिसके रेशों से पृक्थ-सज्ञा पुं॰ [ स०] सपत्ति । धन । [को०] । रस्से बनाते हैं । विशेष—दे० 'पला-२'। पृक्ष-सञ्ज्ञा पुं॰ [स० पृक्षस ] अन्न । मनाज । पूलीची-मञ्ज्ञा स्त्री॰ [ देश मलावार प्रदेश की एक सभ्यताहीन पृच्छक-वि० [सं०] १ पूछनेवाला । प्रश्न करनेवाला । उ०- जगली जाति। प्रश्न जु कृष्णकथा को जहाँ। वक्ता, श्रोता, पृच्छक तहाँ । पूल्य–सच्चा पुं० [सं०] अन्न का निस्तत्व दाना । अनाज का खोखला -नद० प्र०, पृ० २२० । २ जिज्ञासु । जानने की इच्छा दाना [को०] । पूा-सज्ञा पु० [ स. पूप ] दे॰ 'पूमा'। पृच्छन-सशा पुं॰ [सं०] पूछना । जानना [को०] । . रखनेवाला।