पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३८२

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२०६१ पेंशन पृष्ठग्रंथि मददगार। पृष्ठग्रंथि-वि० [म० पृष्ठग्रन्थि ] कुबडा [को०] । पृष्ठवंश-सज्ञा पुं॰ [सं०] रीढ । पृष्ठप्रथिर-सञ्ज्ञा स्त्री० कुबह [को०] । पृष्ठवाट्-सचा पु० [सं० पृष्टवाह ] दे० 'पृष्ठवा ह्य' [को०) । पृष्ठपह-सज्ञा पु० [सं०] घोडो का एक रोग । पृष्ठावास्तु-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] एक मकान के ऊपर बना हुआ मकान पृष्ठचतु-सज्ञा पुं० [सं० पृष्टचक्षुस् ] १ केकडा । २ रीछ । भालू । अथवा एक खड के ऊपर दूसरे खड पर बना हुप्रा मकान । पृष्ठज-वि० [सं०] पीठ पर उत्पन्न । बाद का पैदा [को०] । पृष्ठवाह्य-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] वह पशु जिसकी पीठ पर बोझ लादा जाता पृष्ठतः-क्रि० वि० [सं० पृष्ठतस् ] १ पीछे। पीठ पीछे । २ पीछे हो । लदुवा वैल। से। ३ पीठ की ओर। पीछे की प्रोर । ४. पीठ पर । पृष्ठशृंग-मज्ञा पुं० [म० पृष्ठभंग] जगली बकरा [को०] । ५ गोपनीय ढग से । छिपकर [को०] । पृष्ठशृंगी-सञ्ज्ञा पु० [सं० पृष्ठ शिन्] १ मेढ़ा । २ भसा । ३ पृष्ठतःप्रथित-सक्षा पुं० [सं०] खड्ग चलाने का एक ढग । तलवार हिजडा । षड । नामर्द । ४. भीमसेन का एक नाम । का एक हाथ। पृष्ठानुग-वि० [मं०] पीछे चलनेवाला। अनुयायी (फो०] । पृष्ठतल्पन-सञ्ज्ञा पु० [स०] हाथी की पीठ पर की बाहरी पृष्ठान गामी-वि० [म० पृष्ठानुगामिन् ] दे॰ 'पृष्ठानुग' । पेशियां (को०)। पृष्ठाशय-वि० [सं०] पीठ के बल सोनेवाला [को०] । पृष्ठताप-सज्ञा पु० [सं०] मध्याह्न । दोपहर को०)। पृष्ठाथित-सज्ञा स्त्री० [स०] पीठ की हड्डी रीढ़ । पृष्ठदृष्टि-सज्ञा पु० [स०] रीछ । भालू । पृष्ठिका- मज्ञा स्त्री० [म०] १. पिछला भाग । पिछला हिस्सा । २ पृष्ठदेश-राज्ञा पुं॰ [म०] पिछला भाग [को०] । मूर्ति, चित्र, विवरण अदि मे सबसे पीछे का वह भाग जो पृष्ठपर्णी-सज्ञा स्त्री॰ [स०] पिठवन लता। प्रकित दृश्य या घटना का प्राश्रय होता है । पृष्ठभूमि । पृष्ठपाती-वि० [ स० पृष्ठपातिन् ] १ पृष्ठानुयायी। अनुगता। २ (अं० धैकग्राउड) दे० 'पृष्ठभूमि' । नियत्रक । ३ निरीक्षणरत । सावधान (को०) । पृष्ठेमुख- सज्ञा पुं० [०] कातिपय के एक अनुचर का नाम । पृष्ठपोषक-सज्ञा पुं॰ [स०] १.पीठ ठोकनेवाला । २ सहायक । पृष्ठोदय-सज्ञा पुं० [स०] ज्योतिष में मेष, वृष, कर्क, धन, मकर और मीन ये छह राशियां जिनके विषय मे यह माना जाता पृष्ठपोषण-सज्ञा पुं० [स०] मदद । सहायता । प्रोत्साहन । जाता है कि ये पीठ की ओर से उदय होती हैं। पृष्ठ्य–वि० [सं०] पृष्ठ सबधी। पीठ का । पृष्ठफल-सज्ञा पुं० [स०] किसी पिंड के ऊपरी भाग का क्षेत्रफल । पृष्ठ्य-सज्ञा पु० वह घोडा जिसकी पीठ पर बोझा लादा जाता हो। पृष्टभंग-सज्ञा पु० [सं० पृष्टभंग ] युद्ध का एक ढग जिसमें शत्रु सेना का पिछला भाग आक्रमण करके नष्ट किया जाता है। पृष्ठ्यस्तोम-सज्ञा पुं॰ [स०] यज्ञ का षडाह्निक नामक एक समय- विभाग । षटऋतु या छह एकाह । पृष्ठभाग-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ पीठ। पुश्त । २ पिछला भाग । पृष्ठ्या-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १ सामान ढोनेवाली घोडी। २ वेदी के पृष्ठभूमि-सशा स्त्री० [स०] १. मकान की ऊपरी छत या मजिल । उपर का किनारा। २ दे० 'पृष्ठिका'। वाद की घटनामो या परिस्थितियो का पृष्ठयावलंब-सज्ञा पुं० [ सं० पृष्ठयावलम्ब ] यज्ञ का पाँच दिन का विश्लेषण करने में सहायक पूर्व की घटनाएं, अनुभव, ज्ञान एक समयविभाग | यज्ञ के कुछ विशिष्ट पाँच दिन । या शिक्षा। पृष्ठमर्म-सशा पुं० [ स० पृष्ठमर्मान् ] सुश्रुत के अनुसार पीठ पर के पृष्णि-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १. पैर की एंडी। २ प्रकाशकिरण [को०)। चौदह मर्मस्थान । पृष्णिपर्णी-सच्चा स्त्री॰ [सं०] पिठवन लता। विशेष-इनपर प्राघात लगने से मनुष्य मर सकता है, अथवा पेंजूष-सञ्ज्ञा पुं० [सं० पेशंप, पिज्जूप ] कान का मैल | खेल। उसका कोई अग वेकाम हो जाता है। ये सब स्थान गरदन पिंजूप (को०)। से चूतड तक मेरुदड के दोनों ओर युग्म सस्या में हैं और इन पेंट-सज्ञा पुं० [अ०] रग । सबके अलग अलग नाम हैं। पेंटर-सज्ञा पुं० [०] १ चित्रकार । मुसब्बर । २ रग भरने- वाला। रगसाज । पृष्ठमांसाद-सज्ञा पुं० [सं०] वह जो पीठ पीछे किसी की बुराई पेटिंग-सज्ञा स्त्री० [अ०] १ चित्रकारी , मुसव्वरी। २, रग करता हो । चुगुलखोर । भरने का काम । रगसाजी । पृष्ठमांसादन-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] पीठ पीछे किसी की निंदा करना । पेड-शा पु० [ ८० पेण्ड ] मार्ग । रास्ता । पैड़ा (को०) । चुगली करना। पेडुलम--सा पु० [ ] दीवार में लगानेपाली घडी में हिलने- पृष्ठयान- सञ्चा पुं० [सं०] (घोडे आदि पर) सवारी करना [को० । वाला टुकड़ा जो उसकी गति का नियत्रण करता है। घडी पृष्ठलग्न-वि॰ [स०] अनुयायी। पीछे लगा रहनेवाला। पिछलग्गू वा लटकन । लगर । पेंशन-सहा सी० [40] दे० 'पेन्शन' । . मक (को०] |