पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/३९३

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पेशा पेषक रहता है । उ०-कहाँ है सबै सुदरी बार नारी, कहो पेश नाम । ८. एक राक्षसी का नाम। एक पिशाची का नाम । वाज सजै प्राज भारी। -भारतेंदु ग्र०, भा॰ २, पृ० ७०२ । ६ चमड़े की वह थैली जिसमें गर्भ रहता है। १० शरीर पेशा-सञ्ज्ञा पुं॰ [फा० पेशह ] वह कार्य जो मनुष्य नियमित रूप के भीतर मास की गुल्थी या गाँठ । से अपनी जीविका उपाजित करने के लिये करता हो । कार्य । विशेष-याधुनिक शरीर विज्ञान के अनुसार शरीर के भीतर उद्यम । व्यवसाय । जैसे, वकालत का पेशा, हलवाई का मासततुपों की बहुत सी छोटी वडी गुल्थियां या लच्छे से पेशा, मजदूरी का पेशा। होते हैं जो कुछ सूत्रों के द्वारा प्रापस मे जुडे रहते हैं। मुहा०-पेशा करना या कमाना = कसब कमाना । वेश्यावृत्ति इन सूत्रों को हटाने पर ये मास के टुकडे अलग अलग किए करना । रंडी बनकर जीविका उपाजित करना । (वाजारू) । जा सकते हैं। इस प्रकार जो टुकडे विना चीरे फाडे सहज पेशानी-सशा स्त्री॰ [ फा०] १ ललाट। भाल । कपाल । माथा । में अलग किए जा सकें, उन्हीं को पेशी या मांसपेशी कहते हैं। पेशियों में विशेषता यह होती है कि वे सुकहती उ०-नही है जाहिदों को मैं सेंतीकाम । लिखा है उनकी पेशानी में सिर का।-कविता० को०, भा०४, पृ० १६ । और फैलती हैं। अनेक पेशियो के सयोग से शरीर मे के २ किस्मत । प्रारब्ध । भाग्य । ३ किसी पदार्थ का ऊपरी पुढे आदि बनते हैं। ये पेशियां अनेक प्राकार और प्रकार की और आगे का भाग। होती हैं। कोई छोटी, कोई वडी, कोई पतली, मोई मोटी, कोई लवी और कोई चौडी होती हैं। मासपेशियों के बीच मुहा०-पेशानी का खत = ललाट की लिखावट | भाग्यरेखा। बीच में झिल्लियाँ रहती हैं। ये पेगियां सहज में अपने स्थान पेशानी पर बल आना या वल पकडना = क्रोध की स्थिति मे से हटाई नही जा सकती क्योकि ये कही न कहीं अपने नीचे ललाट पर के चमटे का खिचना। त्योग चढ़ना । रहनेवाली हड्डी से जुड़ी रहती हैं। इन्हीं पेशियो की सहायता पेशाव-सज्ञा पु० [फा०, तुल म०प्रसाव ] १ मूत । मूत्र । से शरीर के प्रग हिलते डोलते हैं। मगों का सचालन, यौ०-पेशायखाना। प्रसारण, सकोचन, स्थितिस्थापन आदि इन्हीं पेशियो की मुहा०-पेशाब करना = (१) मूतना। (२) अत्यत तुच्छ सहायता से होता है। जैसे, कोई पेशी मुह खोलने के समय समझना। पेशाब की राह बहा देना= रडीवाजी मे खर्च कर होंठ को ऊपर उठाती है, कोई हाथ उठाने में सहायक होती देना । पेशाब निकल पडना या खता होना = अत्यंत भयभीत है, कोई उसे मर्यादा से प्रागे बढ़ने से रोकती है, कोई गरदन होना । इतना डरना कि पेशाब निकल जाय । पेशाय बद, को अधिक झुकने नहीं देती, कोई पेट के भीतर के किसी होना = (१) मूत्र का उतरना रुक जाना। (२) प्रत्यत यत्र को दवाए रखती है, और कोई मल अथवा मूत्र के त्यागने भयभीत हो जाना। (किसी के) पेशाव का चिराग अथवा रोकने में सहायता देती है। कभी कभी शरीर के एक जलना या पेशाय से चिराग जलना = अत्यंत प्रतापी होना। ही काम के लिये अनेक पेशियों की भी सहायता होती है। अत्यत प्रभावशाली या विभघशाली होना । कुछ पेणियां ऐसी होती हैं जो इच्छा करते ही हिलाई हुलाई २ वीय । धातु । ३ सतान । मौलाद । जा सकती हैं और कुछ ऐसी होती हैं जो इच्छा करने पर भी पेशाबखाना-सा पुं० [फा० पेशावखानहू ] वह स्थान जहाँ लोग अपने स्थान मे नही हट सकतीं। शरीर की सभी पेशियो का मूत्र त्याग करते हो । पेशाव करने की जगह । सबध मस्तिष्क अथवा उसके निचले भाग के गतिवाहक पेशावर'-सज्ञा पुं० [फा०] किसी प्रकार का पेशा करनेवाला। सूत्रों से होता है। भावुनिक शरीर विज्ञान के ग्रथो में यह व्यवसायी। बतलाया गया है कि शरीर के किस भाग में कितनी पेशियाँ पेशावर'.--संज्ञा पुं० [फा० पेश+माघर (= प्रागे लानेवाला)। तुल. हैं। कुल पेशियो कि संख्या भी निश्चित है। हमारे यहाँ वैद्यक मे इन पेशियो को प्रत्यग में माना है और उनकी संख्या स० पुरुपपुर ] भारत की पश्चिमी सीमा का एक प्रसिद्ध नगर। ५०० चतलाई गई है। द्यपि यह सख्या आधुनिक शरीर पेशि-सज्ञा स्त्री० [सं०] दे० 'पेशो२ (को०] । विज्ञान में बतलाई हुई संख्या के लगभग ही है तथापि दोन के व्योरे में बहुत अधिक अ तर है। पेशिका-सञ्ज्ञा पु० [सं०] मडा । ११. पादुका । पादत्राण (को०) । १२ आच्छादन । ढक्कन (को०)। पेशो-सज्ञा स्री० [फा०] १ हाकिम के सामने किसी मुकदमे के १३ अच्छा पका चावल (को०)। १४ फलों का प्रावरण या के पेश होने की क्रिया । मुकदमे की सुनवाई । छिलका (को०)। यौ०-पेशी का मुहरिर = वह मुहरिर जो मुकदमे के कागज पेशीकोश, पेशीकोप-सशा पुं० [सं० ] अ हा (को०] । पत्र पढकर हाकिम को सुनावे । पेशकार । मिसिलस्वा । २ सामने होने की क्रिया या भाव । पेशोनगोई-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [फा० ] भविष्यकथन । भविष्यद्वाणी । पेशो-सच्चा सी० [सं०] १ वन । २. तलवार को म्यान । ३ पेश्तर-क्रि० वि० [फा० ] पहले । पूर्व । पेशतर । महा। ४ जटामासो। ५. पकी हुई कली। ६ प्राचीन पेष-सज्ञा पुं॰ [स०] पीसने या पूर्ण करने की क्रिया । पीसना [को॰] । काल का एक प्रकार का ढोल । ७. एक प्राचीन नदी का पेषक-वि० [सं०] पेषण करनेवाला । पीसनेवाला [को०] ।