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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४२६

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प्रक्रिया १५ प्रस्यात प्रक्रिया-सज्ञा स्त्री० [ म०] १ प्रकरण । २ क्रिया । युक्ति । (को०)। ४, ऊपर से बढ़ाया हुप्रा । पीछे से मिलाया हुआ। तरीका । ३. राजानो का चंवर, छत्र प्रादि का धारण । जैसे,—(क) रामायण में लवकुश काढ प्रक्षिप्त है। (ख) ४ प्रकृष्ट कर्म । पच्छा कार्य (को०)। ५ उच्च पद या स्थान इस पुस्तक मे एक प्रकरण प्रक्षिप्त है। (को०)। ६ विशेष अधिकार (को०)। ७ ग्रथ का कोई प्रक्षोण'—वि० [म.] १ नष्ट । विध्वस्त । २ मतहित । लुप्त । मध्याय या विभाग । जैसे, उणादि प्रक्रिया (को०)। ८ किसी गायब [को०] । ग्रथ का प्रारभिक परिचयात्मक अश या' अध्याय (को०)। प्रक्षोणर-सञ्ज्ञा पुं० नष्ट होने या करने का स्थान । विनाशस्थल (को०] । ६ (व्याकरण) शब्द या प्रयोग का साधन या विधि (को०) । प्रक्षीवित-वि० [सं०] मदहोश । नशे में मत्त (को०] १० (वैद्यक) उपचार मे पोषधिनिर्देश । नुमखा (को०)। प्रचएण-वि० [सं०] १ निर्दलित । मदित । २ चूर्ण किया प्रक्रीड-मचा पुं० [सं०] क्रीडा । खेलकूद (को॰] । हुमा । चूरा किया हुप्रा । ३. प्राघातित । ४ प्रचोदित । प्रक्लिन्न-वि० [सं०] १ प्रार्द्र। तर । गीला । २ तृप्त । प्ररित [को०] । स तुष्ट । ३ दया । ४ सड़ा या गला हुआ (को०] । प्रक्षेप-सभा पुं० [सं०] १. फेकना । डालना। २. छितराना। प्रक्लिन्नवर्म-सज्ञा पुं० [म.] १ एक रोग जिसमें प्रांख की पलके विखराना। ३ मिलाना । बढाना। ४. वह पदार्थ जो पाहर से सूज जाती है और आँखो मे कीचड भर जाता है। औषध प्रादि मे ऊपर से डाला जाय। ५ गाड़ी या रथ का विशेप-'क्लिन्नवम' । २ वह मार्ग जो जल के कारण बस (को०) । ६. क्षेपक । प्रक्षिप्त मश (को०)। ७ वह मूल गीला हो। धन जो किसी व्यापारिक समाज या संस्था का प्रत्येक सदस्य प्रक्लेद-सज्ञा पुं॰ [ स०] आर्द्रता । नमी । तरी। लगा दे। हिस्सेदारों की पलग अलग लगाई हुई पूंजी। प्रक्लेदन'-सज्ञा पुं॰ [ सं०] तर करना । गीला करना । भिगोना। प्रक्षेपण--शा पुं० [ म०] १. फेंकना । २. ऊपर से मिलाना। ३. प्रक्लेदन- वि० प्राई करनेवाला (को०) । जहाज आदि का चलाना । ४.निश्चित करना । प्रक्लेदी-वि० [सं० प्रक्लेदिन् | तर करनेवाला । प्रार्द या गोला प्रक्षेपणीय--वि० [मं०] प्रक्षपण के योग्य [को॰] । करनेवाला [को०] । प्रक्षेपलिपि-सच्चा स्त्री॰ [ स०] अक्षर लिखने की एक विशेष रीति । प्रक्वण, प्रक्वाण-सचा पुं० [सं०] वीणा की ध्वनि (को०] । प्रक्षोभ, प्रक्षोभण-शा पुं० [सं०] १.घबराहट । बेचैनी । २ प्रक्वाथ-सज्ञा पु० [सं० ] उवलना [को०] । कपन | हिलना डुलना (को॰) । प्रक्ष-वि० [सं० पृच्छक ] पूछनेवाला। प्रश्नकर्ता । उ०—कल्प प्रवेडन-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] [ श्री. प्रक्ष्वेडना ] जनरव । १ शोर- कलहस फोकि क्षीरनिधि छवि प्रक्ष हिमगिरि प्रभा प्रभु प्रगट गुल । हल्ला । २ लोहे का बाण (को०] । पुनीत है। -केशव (शब्द०)। प्रवेहा-सञ्ज्ञा श्री० [सं०] १.अस्पष्ट नाद । कलरव । २ गर्जन । प्रक्षपण-सञ्ज्ञा पुं० [ 10 ] दे० 'प्रक्षयण' को०)। गभीर नाद (को०] । प्रक्षय-ज्ञा पुं० [ मं०] क्षय । नाश । बरवादी। प्रवेडित'-वि० [सं०] कोलाहलयुक्त। शोरगुल से भरा हुमा । प्रक्षयण-सज्ञा पुं० [सं०] बरबाद करना । नाश करना । प्रवेडित'-सचा पुंअस्पष्ट ध्वनि । रव । कलकल को०] । प्रक्षर-सज्ञा पुं० [सं०] घोडे की पाखर । दे० 'प्रक्खर' । प्रदवेदन-सचा पुं० [म०] [ी० प्रक्ष्वेदना] नाराच । वाण (को०] । प्रक्षरण-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] झरना । बहना । प्रखर'-वि० [सं०] १ तीक्ष्ण । प्रचढ । जैसे, सूर्य की प्रखर किरण । ग्रक्षाम-वि० [सं० ] दग्ध । जला या मुलसा हुषा [फो०] । २ धारदार । चोखा । पैना। ३ कठो । वडा । रक्ष (को०)। प्रक्षाल-सज्ञा पुं॰ [ मं०] १ प्रायश्चित्त । २ दे० 'प्रक्षालन'। प्रखर-संज्ञा पुं० [सं०] १ खच्चर । २. कुत्ता । ३ घोड़े की पाखर । प्रक्षालन-सज्ञा पुं॰ [ मं०] १ जल से साफ करने की क्रिया । प्रखरता-नशा स्त्री० [सं०] प्रखर होने की क्रिया या भाव । तेजी। धोना । २ जल जिससे कोई चीज साफ की जाय (को॰) । प्रखल-वि० [सं०] बहुत या दुष्ट । ३ शुद्ध करने की वस्तु । शुद्धि का साधन (को०)। ४. प्रखाद-वि० [सं०] खाने या निगलनेवाला [को०] । स्वच्छ या साफ करना (को॰) । प्रख्य'-वि० [सं०] १ श्रेष्ठ । वरिष्ट । २ प्रत्यक्ष । व्यक्त | - ey. प्रक्षालयिता-सज्ञा पुं० [सं० प्रशालयित ] पैर या चरण धोनेवाला २ सदृश । समान । तुल्य । (समासात में प्रयुक्त) जैसे, अमृत विशेपत. अतिथियो के [को०] । प्रख्य, शशांकप्रख्य [को०] । प्रक्षालित-वि॰ [सं०] घोया हुमा । साफ किया हुआ । २ प्रख्य'-सञ्चा पुं० वृहस्पति । गुरु । सुराचार्य [को०] । प्रायश्चित्त किया हुमा (को॰) । प्रख्या-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १. विख्याति । प्रसिदि। २. समता। बरा प्रक्षाल्य-वि० [स०] घोने या साफ करने के योग्य । वरी। ३ उपमा। ४. प्रभा। काति । दीप्ति (को०)। प्रक्षिप्त-सपा पु० [सं०] १ फेंका हुमा । २ डाला हुमा । अदर इद्रियग्राह्यता । वेद्यता । गोचरता (को०)। या भोतर छोडा हुमा (को०)। ३. जोड़ा या मिलाया हमा प्रख्यात-क्रि० वि० [सं०] १ जिसे सब लोग जानते हो । प्रसिद्ध ।