पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४३५

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प्रज्वलन २१४४ प्रणव बहुत साफ। प्रज्वलन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] [ वि० प्रज्वलनीय, प्रज्वलित ] जलने प्रणम्य-वि० [स०] प्रणाम करने के योग्य । वदनीय । की क्रिया । जलना। प्रणय--सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ प्रीतियुक्त प्रार्थना । २ प्रेम | 50-- प्रज्वलित-वि० [स०] १. जलता हुा । धधकता हुमा । दहकता द्रवित दोनो ही हुए पाकर प्रणय का ताप ।-शकु०, पृ०६ । हुप्रा । २ द्योतित । दीप्त । चमकीला (को०) । ३ बहुत स्पष्ट । ३ विश्वास । भरोसा । ४ निर्वाण । मोक्ष । ५. श्रद्धा । ६ प्रसव । स्त्री का सतान उत्पन्न करना। ७ इच्छा । प्राकाक्षा प्रज्वलिया-सञ्ज्ञा पुं० [?] एक छद जिसके प्रत्येक चरण मे १६ (को०)। ८ मनुग्रह । उदारता । दया । कृपा (को०11 मात्राएँ होती हैं। नेता । नायक (को०)। १० निर्देशन | पथप्रदर्शन (को०) । प्रज्वार-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. वुखार की गर्मी । २ एक गर्व यौ०-प्रणयफलह । प्रणयकुपित । प्रणयकोप । प्रणयपेशल = का नाम । प्रेमाद्र । प्रणयप्रवर्ष प्रेमाधिक्य । प्रम का प्रतिरेक। प्रज्वालन--क्रि० स० [स०] जलाना । दहकाना । प्रणयभग । प्रणयमान = प्रेमजन्य मान या ईर्यादि । प्रणय- प्रडीन-सा पुं० [सं०] १ चारो ओर उडना । उड्डयन का एक वचन । प्रणयविघात, प्रणयविहति = मैत्री टूटना। प्रेम मे प्रकार । २ उडना । उडान [को०] । व्याघात होना। प्रण- सज्ञा पुं॰ [स० प्रतिज्ञा, प्रा० पइण्णा, या स० पण (= मोल, प्रणयकलह-सञ्चा पु० [सं०] नायक और नायिका का वह कलह जो यानी)] किसी काम को करने के लिये किया हुमा अटल प्रेमोद्भूत हो । झगडा [को०] । निश्चय । प्रतिज्ञा। प्रणयकुपित-वि० [सं०] प्रेमसवघी कलह से क्रुद्ध या रुष्ट को०] । मुहा०-प्रण पारना = प्रण पूरा करना । प्रतिज्ञा निभाना । प्रणयकोप-सज्ञा पु० [सं०] प्रणयकलह । प्रणयजन्य रूठना । प्रण–वि० [ स०] पुराना । प्राचीन । मान (को०)। प्रणख-सज्ञा पुं० [स०] नाखुन के आगे का भाग । प्रणयन-सज्ञा पुं० [सं०] १ रचना। बनाना। करना। २ प्रणत-वि० [सं०] १ बहुत झुका हुआ । २ प्रणाम करता हुमा । लिखना । लेखन । निबद्ध करना (को०)। ३. लाना । ले ३ नम्र । दीन । ४ वक्र । टेढ़ामेढा (को०)। ५. दक्ष । आना (को०)। ४ ले जाना (को०)। ५ वितरण । बाँटना कुशल (को०)। (को०)। ६ ( दह आदि) देना । लगाना। ७ निर्माण । यौ०-प्रणतकाय=मुके हुए शरीर का। जिसका शरीर नम्र रचना (को०)। होम आदि के समय अग्नि का एक सस्कार । या वक्र हो। प्रणयनीय-वि० [सं०] प्रणयन के योग्य [को०] । प्रणत-सझा पुं० [सं०] १. प्रणाम करनेवाला व्यषित । २ दास । प्रणयभग-सज्ञा पुं॰ [सं० प्रणयभन] १ प्रेमस वध समाप्त होना। सेवक । ३ भक्त । उपासक । प्रीतिभग । २ अविश्वसनीयता [को०] । यौ०-प्रणतपाल । प्रणवपाल-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] [ सी० प्रणतपालिका ] दीनो, दासा प्रणयविमुख-वि० [सं०] प्रेम से विमुख होना । प्रेमसंबध न रखना [को०)। या भक्त जनो का पालन करनेवाला । दीनरक्षक । प्रणयाकुल-वि० [सं० प्रणय+ श्राकुल ] प्रेमविह्वल । कामातुर । प्रणतपालक-सज्ञा पु० [स०] प्रणतपाल । उ०-श्याम चिरैया का जोडा प्रयाकुल हो रहा था।- प्रणति - सच्चा स्त्री० [स०] १ प्रणाम । प्रणिपात | दडवत । २ भस्मावृत०, पृ० ११ । नम्रता । ३ विनती । अनुनय । प्रणयार्थी-वि० [सं० प्रणयार्थिन् ] [ वि० स्त्री० प्रणयार्थिनी ] प्रणय प्रणदन-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] जोर को आवाज । गर्जन [को०] । की कामना करनेवाला । प्रेमाभिलाषी। उ०-प्रणयाथियो प्रणदित-वि० [सं०] १ गजित । शब्दित । २. गु जित [को॰] । की कमी न होने से, उसे उनकी परवाह न थी।-पिंजरे०, प्रणधि-सज्ञा पु० [सं० प्रणिधि ] दूत । उ०-प्रणघि, दूत, जासूस पृ० २३ । ए थबि पावत हलकार ।-नद० प्र०, पृ० १०८ । प्रणयिता-सक्षा स्त्री॰ [ स०] अनुरक्ति । प्रीति । आसक्ति [को०)। प्रणपत्ति-सचा पुं० [स० प्रगति, या प्रणिपात ] दे० 'प्रणिपात' । प्रणयिनो-सज्ञा स्त्री० [सं०] १. वह जिसके साथ प्रेम किया जाय । उ०-सुंदर सतगुरु बदिए नमस्कार प्रणपचि ।--सुदर० प्रेमिका । २. स्त्री। पत्नी। ग्र०, भा०२, पृ०६६६ । प्रणमन-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ मुकना । २ प्रणाम करना । दडवत प्रणयी-[सं० प्रणयिन् ] [स्त्री॰ प्रणयिनी] १ जिसके साथ प्रेम हो । प्रेम करनेवाला । प्रेमी। २ स्वामी। पति । ३ उपा- या नमस्कार करना। प्रणमना-क्रि० स० [सं० प्रणमन] प्रणाम करना। 30-- सक । सेवा करनेवाला । पूजक [को० । (क) प्रणम्' हगुमत मंजनीपूत |-बी० रासो, पृ० १०१ । प्रणयो-वि० [सं०] १. प्रणययुक्त । प्रेमयुक्त प्रेमी । २ घनिष्ठ । (ख) सदगुरु प्रणम किशोर सचिव अमरेश सवाई।--रघु० जिगरी [को०] । रू०, पृ०४। प्रणव-सज्ञा ० [सं०] १. प्रोकार । ब्रह्मबीज । भोकार मत्र ।। -.