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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४३६

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प्रणेवक ५१४२ प्रणुत २ त्रिदेव ( ब्रह्मा, विष्णु, महेश)। ३ परमेश्वर । ४. एक प्रणिसित-वि० [सं०] चुचित (को०] । प्रकार का मृदग,पटह या ढोल (को०)। प्रणिधान-सज्ञा पुं० [ स०] १ रखा जाना । २. प्रयत्न । ३. प्रणवक-शा पुं० [सं०] प्रणव । ॐकार [को०]-1 समाधि (योग)। ४ अत्यत भक्ति । अति अधिक उपा- प्रणवना-क्रि० स० [सं० प्रणमन] प्रणाम करना । नमस्कार करना । सना। ५ ध्यान । चित्त की एकाग्रता । ६ किसी कर्म के श्रद्धा और नम्रतापूर्वक किसी के सामने झुकना । उ०- फल का त्याग । ७. अर्पण ८ भक्ति। 30-दुस्वर क्या (क) पुनि प्रणवौं पृथुराज समाना। पर अघ सुनै सहस दस है उसे विश्व में प्राप्त जिसे प्रभु का प्रणिधान । -साकेत, काना। -तुलसी (शब्द०)। (ख) प्रणवौं पवनकुमार पृ० ३८८९ भावी जन्म के सबध में किसी प्रकार की खलवनपावक ज्ञानधन ।-तुलसी (शब्द॰) । मार्थना । १०. प्रवेश। गति । ११. उपयोग । प्रयोग । प्रणष्ट-वि० [स०] दे० 'प्रणाश', 'प्रनष्ट' । व्यवहार। प्रणस-वि॰ [स०] जिसकी नासिका बही हो । दीघघोरण (को०] । प्रणिधायी-वि० [स० प्रणिधायिन् ] प्रणिधान करनेवाला। दूत का प्रेषण या नियोजन करनेवाला [को॰] । प्रणाडिका, प्रणाडी-सज्ञा स्त्री० [सं० ] दे० 'प्रणाली' [को०] । प्रणिधि-राज्ञा पुं० [ म०] १, भेदिया। गुप्तचर। गोइ दा। २ प्रणाद-सज्ञा पुं० [सं०] १ बहुत जोर से होने वाला शब्द । २ वह प्रार्थना । ३ मांगना। ४ भेद लेना । रहस्य जानना (को॰) । शब्द जो मानद के साथ मुंह से निकले। प्रानदध्वनि । ३. ५. पीछे पीछे चलनेवाला । अनुगत । अनुचर (को०)। ६. कर्णनाद नाम का रोग जिसमें कानो में तरह तरह की गूज अवधान । ध्यान । सावधानी (को०) । ७ हाथी को हांकने की सुनाई देती है । ४ प्रार्त पुकार । गुहार (को०) । ५ शोरगुल । एक विधि (को०)। ८ चर वा जासुस भेजना [को०] । चिल्लाहट । हल्ला (को०)। ६ हर्षनाद का स्वर । जयध्वनि (को०) । ७. घोडे की हिनहिनाइट । हेषा । हेषा (को०)। प्रणिधेय-सज्ञा पुं॰ [स०] १ गुप्तचर भेजना। २ उपयोग। प्रयोग । नियोजन [को०)। प्रणाम-सक्षा पु० [सं०] १ झुकना । नत होना । २. श्रद्धा की अभिव्यक्ति करना। हाथ जोड़ना। विनीत होना। ३ प्रणिनाद-सक्षा पुं० [सं०] गंभीर ध्वनि । घोर निनाद [को०] । लेटकर दडवत करना [को०] । प्रणिपतन-सञ्ज्ञा पु० [ स०] २ प्रणाम । २. पैर पहना। प्रणामांजलि-सज्ञा स्त्री० [सं०] दोनों हाथ जोडकर प्रणाम प्रणिपात-सज्ञा पुं० [सं०] १ प्रणाम । २ पैरो पर गिरता । करना। [को॰] । प्रणिहित-वि० [सं०] १ जिसकी स्थापना की गई हो। स्थापित । प्रणामो-सहा पुं० [सं० प्रणामिन् ] १ प्रणाम करनेवाला । नमन २ मिला हुमा । मिश्रित । ३ पाया हुमा । प्राप्त । ४. रखा करनेवाला । झुकनेवाला । २ प्रमाण के साथ दी जाने- हुमा । सौंपा हुमा । ५ गुप्त रूप से ज्ञात (को०)। ६. सतर्क। वाली भेंट। सचेष्ट (को०)। ७. समापिस्थित । समाधिस्थ (को०)। ८ कृतः प्रणायक-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] वह जो मार्ग दिखलाता हो । नेता । २ निश्चय । कृतसकल्प (को०)। सेनानायक । प्रणो-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] ईश्वर । प्रणाय्य-वि० [सं०] १.प्रीतिपात्र । प्रिय । २ विश्वस्त । ठीक । प्रणोत-वि० [सं०] १ रचित । बनाया हुआ । तैयार किया दुरुस्त । ३ प्रांछित । असमत । अयोग्य । ४ विरक्त । हुमा । निर्मित । उ०-कोट कलशो पर प्रणीत विहग है, निस्पृह । ५ साधु [को॰] । ठीक जैसे रूप वैसे रग हैं। -साकेत, पृ०५। २ सस्कृत । प्रणाल-सच्चा पुं० [सं०] जल निकलने का मार्ग । पनाला । सुधारा हुा । सशोधित । ३. भेजा हुआ। ४ लाया हुआ। प्रणालिका-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ पानी निकलने का मार्ग। परनाली। ५. फेंका हुमा। ६ पास पहुँचाया हुआ। ७. जिसका मत्र नाली । २ वदूक की नली। से सस्कार किया गया हो। ८. विहित (को०)। ६ (बंद प्रणाली-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] १. पानी निकलने का मार्ग । नाली । पादि) लगाया हुप्रा । पारोपित (को०)। उ०-पर, प्रो मानस के जल, मत बह नयन प्रणाली से तू प्रणीतर-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. वह जल जिसका मत्र से सस्कार छल छल । -पपलक, पृ०७। २. रीति । चाल । परिपाटी। किया गया हो। २. यज्ञ के मत्र से स स्कृत की हुई अग्नि । प्रथा। ३ पद्घति । ढग। तरीका। कायदा । ४ द्वार । ३. पच्छी तरह पकाया हुआ भोजन । ५ परपरा । ६ वह छोटा जलमार्ग जो जल के दो बडे भागों प्रणीता-मचा स्त्री० [सं०] १. वह जल जो यज्ञ के कार्य के लिये को मिलाता हो। वेदमत्रो को पढते हुए कुएं से निकाला जाता है और मत्रो के प्रणाश-सचा पुं० [सं०] १. नाश । बरबादी । २ मृत्यु । मौत । उच्चारण सहित छानकर रखा जाता है। २. वह पात्र जिसमें ३ भागना । लुप्त होना। प्रणाशन-सक्षा पु० [सं०] १. नाश करने की क्रिया या भाव । २ उपयुक्त जल रखा जाता है। विनाश । बरबादी। प्रणीय-सचा पु० [सं०] वह वैदिक मत्र जिससे किसी चीज का प्रणाशो-सचा पु० [स० प्रणाशिन् ] [स्त्री० प्रयाशिनी] नाश सस्कार किया जाय । करनेवाला । वह जो नष्ट करे । प्रणुत-वि० [सं०] स्तुत । प्रथसित [को॰] । 1