मे ले जाना। प्रतिरोपित प्रतिवारित प्रतिरोपित-वि० [सं०] जो पुन रोपा गया हो, जैसे पौधा । प्रतिवसथ-सज्ञा पुं० [सं०] गाँव । ग्राम । प्रतिलभ-मरा पुं० [सं० प्रतिलम्भ ] १ वुरी चाल । कुरीति । २ प्रतिवस्तु-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ म० । १ समान वस्तु । सदृश वस्तु । २ वह दोष कलक । इल नाम । ३ प्राप्ति । लाम। ४. निंदा । वस्तु जो बदले में दी जाय । ३ (माहित्य में) उपमान । [को०] । दुर्वचन । कुवाच्य । गाली। प्रतिवस्तूपम-मग पुं० [हिं० ] दे० 'प्रतिवस्तूपमा' उ०-वाक्यन प्रतिलक्षण-सञ्ज्ञा पुं॰ [ 10 ] लक्ष्म । चिह्न [को०] । को जुग होत जह, एकै प्ररथ समान । जुदो जुदो करि भाषिए प्रतिलाभ-सत्रा पु० [ म०] १ शालक राग का एक भेद । २. प्रतिवस्तूपम जान । भूषण ० पृ० ६६ । लाभ । प्राप्ति । पाना फिर से प्राप्त करना । उ०—जिमि प्रतिवस्तूपमा सञ्चा पुं० [सं० ] वह काव्याल कार जिसमें उपमेय प्रतिलाम लोम प्रधिकाई।-मानस ६ । और उपमा के साधारण धर्म का वर्णन अलग अलग वाक्यों प्रतिलिखित-वि० [स०] उत्तरित । जिसफा उत्तर दिया गया में किया जाय । जैसे. सोहत भानु प्रताप सों लसत चाप सो हो [को०] । शूर ('तापेन भ्राजते सूर्य' शूरश्चापेन राजते'-चंद्रालोक, ५। ४८) । यहाँ दोहे का पूर्वार्ध उपमान वाक्य है पौर प्रतिलिपि-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] लेख की नकल। किसी लिखी हुई चीज की नकल । जैसे,—उस पत्र की एक प्रतिलिपि मेरे उत्तरार्ध उपमेय । एक मे सोहत' और दूसरे में 'लसत' शन्द पास भी आई है। द्वारा साधारण धर्म कहा गया है। प्रतिकोम'-सज्ञा पुं॰ [ स०] 1. कमीना मनुष्य । नीच पादमी । २ प्रतिवहन-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] उलटी पोर ले लाना । विरुद्ध दिशा कौटिल्य के अनुसार 'उपाय' में बताई हुई युक्तियो से उलटी युक्ति । कौटिल्य ने इसके १५ भेद बतलाए हैं । प्रतिवाक-मशा स्त्री॰ [ मं० प्रतिवाच ] उत्तर । जवाब (को०) । प्रतिलोम-वि. १. प्रतिकूल । विपरीत । २ जो नोचे से ऊपर की प्रतिवाक्य-सज्ञा पु० [ मं० ] दे० 'प्रतिवचन' । मोर गया हो। जो सीधा न हो। उलटा । ३ नीच । ४ प्रतिवाक्य उत्तर देने योग्य । जवाब देने लायक (को०) । अनुलोम का उलटा । ५ वाम । वायाँ (को०)। प्रतिवाणी-सशा सो [ स० ] किमी उत्तर को सुनकर कही हुई प्रतिलोम-वि० [सं०] विपरीत । उलटा [को०] । वात । प्रत्युत्तर । प्रतिलोमकर-सज्ञा पु० उलटा क्रम । विपरीत क्रम । [को०] प्रतिघात-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ बेल का पेड । २. विपरीत वायु । प्रतिलोमज-नगा पु० [सं०] १. वह जिसके पिता और माता सामने की हवा (को०। दोनो अलग अलग जाति के हो । वर्णसकर । २ नीच वर्ण प्रतिवाद-सज्ञा पुं॰ [सं०] १. वह बात जो किसी दूसरी बात अथवा के पुरुष और उच्च वर्ण की कन्या से उत्पन सतान । जैसे, सिद्धात का विरोध करने के लिये कही जाय । वह कथन सूत-क्षत्रिय पिता मौर ब्राह्मणी माता से उत्पन्न । जो किसी मत को मिथ्या ठहराने के लिये हो। विरोध । खंडन । जैसे,—अनेक पत्रों ने उस समाचार का प्रतिवाद चाढाल-शूद्र किया है। २ विवाद । वहस । ३ उत्तर । जवाब । मागध-वैश्य क्षत्रिया ""I प्रतिवादक-मज्ञा पुं० [सं०] प्रतिवाद करनेवाला। वह जो प्रतिवाद क्षत्ता-शूद्र करे। वैश्या प्रतिलोम विवाह-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] वह विवाह जिसमें पुरुष नीच प्रतिवादिता-सा स्त्री॰ [ स०] १ प्रतिवाद का भाव। २. प्रतिवादी फा धर्म। वणं का पौर स्त्री उच्च वर्ण की हो। प्रतिवक्ता-वि, सजा पुं० [सं० प्रतिवस्त ] १ प्रतिवादी-सज्ञा पुं० [सं० प्रतिवादिन् ] १. वह जो प्रतिवाद करे । उत्तर देनेवाला। २ विधि आदि की व्याख्या करनेवाला [को०] । प्रतिवाद या खंडन करनेवाला । २ वह जो किसी बात में तक करे। ३, वह जो वादी की बात का उत्तर दे। प्रतिपक्षी प्रतिवच-सञ्चा पुं० [ म० प्रतिवचस् ] दे० 'प्रतिवचन' [को०] । ४ शत्रु । विरोधी (को०)। प्रतिवचन-संज्ञा पुं० [सं०] १ उत्तर । जवाव | २ प्रसिध्वनि । प्रतिवाप-सच्चा पुं० [सं०] १. प्रोपषियो का वह चूर्ण जो किसी प्रतिवनिता-सा मी [ 10 ] सपत्नी । सौत [को०] । का प्रादि में डाला जाय । २ फल्क | ३ घातु को भस्म प्रतिवत्सर-० कि वि० [सं०] प्रत्येक वर्ष । हर साल । प्रति वर्ष । करने का काम | ४ चूर्ण । बुकनी । प्रतिवर्णिक-वि० [ म० ] समान रंगवाला । तुल्य । सदृश (को॰] । प्रतिवार-मचा पुं० [सं०] दूर रखना। रक्षा करना । वधाना (को०] । प्रतिवर्तन, प्रतिवर्तन - सच्चा पुं० [सं०] लौट पाना। वापस पाना । प्रतिवार-कि० वि० [म.] प्रतिदिन | रोज रोज (को०) । उ०-दोनों का समुचित प्रतिवर्तन जीवन में शुद्ध विकास प्रतिवारण-सञ्ज्ञा पुं॰ [ दे० ] १. रोकना। मना करना । २. शत्रु हुआ।-कामायनी, पृ०७६ । का हाथी (को०)। प्रतिवर्षी-वि० [म० प्रतिवर्धन् ] जोड । वरावरी का [को॰] । प्रतिवारित-वि० [सं०] रोका हुपा । निवारित किया हुआ [को०] । वैदेहिक-वैश्य , 1 19 " 1 91 " 79 " " " 31 ) " 19 " " आयोगच-, " " ""
पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४४९
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