पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४५०

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प्रतिवार्ता ११६ प्रतिशीर्षक प्रतिवीर्य-सज्ञा पुं॰ [ स० प्रतिवीर्य्य ] वह जिसमें प्रतिरोध करने के लिये यथेष्ट बल हो। प्रतिवृप-सज्ञा पुं० [सं०] शत्रुपक्षीय सांड । बेल । प्रतिवेदित-वि० [स० ] जाना या जनाया हुमा । ज्ञात । प्रतिवेदी-वि० [सं०] जानने समझनेवाला । ज्ञाता । प्रतिवेल-क्रि० वि० [सं०] हर समय । प्रति काल [को० । प्रतिवेश-सञ्चा पु० [सं०] १ पडोस । २. घर के सामने या पास का घर । पडोस का मकान । प्रतिवेशी-सञ्ज्ञा पु० [ स० प्रतिवेशिन् ] [स्त्री० प्रतिवेशिनी ] पडोस मे रहनेवाली । पड़ोसी। प्रतिवेश्म'-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० प्रतिवेश्मन् ] दे० 'प्रतिवेश' । प्रतिवेश्म-क्रि० वि० [सं०] घर घर । मकान मकान (को०] | प्रतिवेश्य-मज्ञा पुं० [सं०] पडोसी [को०] । प्रतिवैर-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] बदला । वैर का प्रतिशोध (को॰] । प्रतिव्यूढ-वि० [सं० ] व्यूहबद्ध । अपने अपने निर्धारित क्रम के अनुसार स्थित [को॰] । प्रतिव्यूह-सक्षा पुं० [ म०] १. व्यूह का निर्माण । व्यूहन । २. झुट । समूह [को०] । प्रतिशंका-सञ्ज्ञा स्त्री० [ स० प्रतिशङ्कन ] वह शका जो बरावर बनी 1 प्रतिवार्ता-सज्ञा क्षी० [सं०] प्रत्युत्तर सवाद या समाचार (को०। प्रतिवास-सञ्ज्ञा स्त्री० [ स० ] १. सुगध । सुवास । खुशबू । २ पडोस । समीप का निवास । प्रतिवासर-क्रि० वि० [सं०] हर दिन । रोज रोज (को०] । प्रतिवासरिक-वि० [ स०] प्रतिदिन का । नित्य का । दैनिक । प्रतिवासित-वि० [स०] जो बसाया गया हो। जो आवाद किया गया हो (को०] । प्रतिवासिता-सञ्ज्ञा जी० [सं०] पडोस का निवास या रहना । प्रति- वास का भाव । प्रतिवासी-मज्ञा पुं॰ [ म० प्रतिवासिन ] [स्त्री० प्रतिवासिनी] पड़ोस में रहनेवाला । पडोसी। प्रतिवासुदेव-सज्ञा पुं॰ [सं० ] जैनियो के भनुसार विष्णु या वासु- देव के नौ शत्रु जो नरक में गए थे। इनके नाम इस प्रकार हैं-(१) अश्वग्रीव, (२) तारक, (३) मोदक, (४) मधु, (५) निशु म, (६) बलि, (७) प्रह्लाद, (८) रावण पौर (६) जरास ध। प्रतिवाह-सज्ञा पुं० [सं० ] पुराणानुसार अक्रूर के एक भाई का नाम । प्रतिवाहु-मञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] एक यादव का नाम । प्रतिविध्य-मज्ञा पुं॰ [ स० प्रतिविन्ध्य] द्रौपदी के गर्भ से उत्पन्न युधिष्टिर के पुत्र का नाम । प्रतिविव-सझा पु० [ स० प्रतिविम्व ] दे० 'प्रतिबिंब' । प्रतिविघात-सञ्ज्ञा पुं० [म.] प्रत्याघात । निवारण । रोकना (को॰) । प्रतिविधान-सज्ञा पुं॰ [ स०] १ प्रतीकार । उ०-प्रतिविधान मैं क्या करूं वता, इस अनर्थ का भी कही पता ।-साकेत, पृ० ३१४ । २ चौकसी । एहतियात । सावधानी (को०) । प्रतिविधि-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० ] प्रतीकार । प्रतिनिधित्सा-सशास्त्री० [सं०] विरोध या वदले की इच्छा (को०] | प्रतिविधिसु-वि० [सं०] प्रतिकारेच्छु । प्रतिविरुद्ध-वि० [म.] विरोधी । विद्रोही [को०] । प्रतिविशिष्ट-वि० [सं०] १ अत्युत्तम । सर्वोत्तम । २. असाधारण अच्छा या बुरा [को०] । प्रतिविष-सज्ञा पु० [ स०] वह वस्तु या पदार्थ जिससे विष का पसर दूर हो (को०] । प्रतिविषा-सशा स्त्री॰ [स०] वितूला । प्रतिविषा । अतीस । प्रतिविष्णु-सञ्ज्ञा पु० [ स०] विष्णु के प्रतिद्व द्वी राजा मुचकुद का एक नाम। प्रतिविष्णुक-सज्ञा पु० [सं०] मुचकु द नामक फूल का पौधा । प्रतिविहित-वि० [स०] निवारित [को०] । प्रतिषोत-वि० [ स०] प्राच्छादित । आवृत । ढंका या दवाया हुमा [को०]। प्रविषीर-सञ्ज्ञा पुं० [स०] प्रतिपक्षी योद्घा। विरोधी व्यक्ति (को०] । प्रतिशब्द-सच्चा पुं० [सं०] प्रतिध्वनि । गूज । प्रतिशम-सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ नाश । २ मुक्ति । प्रतिशयन-सक्षा ५० [सं० ] किसी कामना की सिद्धि की इच्छा से देवता के स्थान पर खाना पीना छोडकर पड़ा रहना । धरना देना। प्रतिशयित-वि० [सं०] प्रतिशयन करनेवाला। कामनासिद्धि के लिये धरना देनेवाला [को०] । प्रतिशाखा-संज्ञा स्त्री॰ [सं०] शाखा से निकली हुई शाखा । प्रशाखा [को०] । प्रतिशाप-सज्ञा पुं० [सं०] शाप के बदले में दिया जानेवाला शाप [को०] । प्रतिशासन-सझा पु० [ स०] भृत्यु आदि को भेजना । किसी कार्य से सेवफ या अपने से छोटे को बुलाकर भेजना। २. प्रादेश देना। आज्ञा देना। ३ विरोधी शासन या दूसरे का शासन [फो०] । प्रतिशास्ति-सच्चा सी० [सं०] भृत्यादि द्वारा समाचार भेजना [को०] । प्रतिशिष्ट-वि० [स०] १ प्रसिद्ध । विख्यात । २. अस्वीकृत । प्रत्याख्यात । निराकृत । ३. प्रेषित । भेजा हुआ (दूत आदि)। प्रतिशिष्य-सचा पु० [सं०] शिष्य का शिष्य । प्रतिशोन-वि० [सं०] तरल । पिघला हुमा । चुनेवाला । क्षरण- शील (को॰] । प्रतिशीर्षक-सभा पुं० [स०] निष्क्रय (को०] ।