पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४६४

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निर्देश [को॰] । ३१७३ प्रदाह प्रद-वि० [स०] देनेवाला । जो दे । दाता । प्रदर्श-संज्ञा पुं० [सं०] १ रूप । प्राकार प्राकृति । २. श्रादेश । विशेष-इश शब्द का प्रयोग सदा यौगिक शब्दों के मत में होता है । जैसे, मोक्षप्रद, पानदप्रद, कामप्रद । प्रदर्शक-सन्ता पुं० [सं०] १ दिखलानेवाला । समझानेवाला । वह प्रदख-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० प्रदक्षिणा ] दे० 'प्रदक्षिण' । उ०- जो कोई चीज दिखलावे । जैसे, पथप्रदर्शक । २. वह जो दे प्रदक्खणां दस्य चढे । उस नगरी सम सोझो पड़े। 'दर्शन करे। दर्शक ।। ३ गुरु । ४ सिद्धात । वाद। मत -प्राण०, पृ०२७४ । (को०)। ५ अनागतदर्शी । भविष्यवक्ता (को॰) । , प्रदक्षिण-सक्षा पु० [सं०] देवपूजन आदि के समय देवमूर्ति आदि प्रदर्शन-सज्ञा पु० [सं०] १ दिखलाने का काम । २. दे० 'प्रदर्शनी'। को दाहिनी ओर कर, भक्तिपूर्वक उसके चारो ओर घूमना । ३ समझाना। व्याख्या करना (को०)। ४ सकेत । इशारा परिक्रमा। उ०-उभय घरी मह दीन्ह मैं सात प्रदक्षिण (को०)। ५ उदाहरण (को०)। ६ भविष्यवाणी (को०) । घाय । -तुलसी (शब्द०)। ७ रूप | प्राकार (को०)। विशेष साधारण बोलचाल में इस शब्द के साथ केवल 'करना' प्रदर्शनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [ स० ] वह स्थान जहाँ तरह तरह की चीजें क्रिया का ही प्रयोग होता है। पर कही कही, भौर विशेषत लोगो को दिखलाने के लिये रखी जाय । नुमाइश । जैसे, कविता मे इसके साथ 'लगना', 'देना' आदि क्रियानो का भी कृषिप्रदर्शनी, शिल्पप्रदर्शनी, कपड़ों की प्रदर्शनी। व्यवहार होता है जैसा ऊपर के उदाहरण से प्रकट है। प्रदर्शित-वि० [स०] १ जो दिखलाया गया हो । दिखलाया हुआ। यौ०-प्रदक्षिणक्रिया = परिक्रमा। प्रदक्षिणा प्रदक्षिणपट्टिका - २ समझाया हुमा । सिखाया हुअा। बताया हुआ (को०)। मांगन । मंगना । प्रदर्शी-सशा पुं० [सं० प्रदर्शिन् ] वह जो देखता हो। दर्शक । २. प्रदक्षिण-वि० १ समर्थ । योग्य । २. दाहिनी ओर स्थित (को०) । दिखानेवाला । प्रदर्शक (को०) । ३ अनुकूल । विनम्र (को०)। ४ शुभ । मगल । सुलक्षण प्रदल-सज्ञा पुं० [सं०] वाण । तीर। (को०)। प्रदक्षिणा-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] दे० 'प्रदक्षिण" | प्रव-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] ताप । दाह । ज्वलन (को॰] । प्रदक्षिणार्चि-वि० [स०] जिसकी लपट या ज्वाला दाहिनी ओर प्रव्य-सद्या पुं० [ स० ] दावाग्नि [को०] । हो ( पग्नि ) । प्रदाता'-वि० [सं० प्रदात ] दाता । देनेवाला । प्रदुग्ध-वि० [सं०] अच्छी तरह दग्ध या जला हुना [को॰] । प्रदाता'-सञ्ज्ञा पुं० १ वह जो खूब दान देता है । वहुत वडा दानी। प्रदच्छिन-सज्ञा ॰ [स० प्रदक्षिण ] परिक्रमा । प्रदक्षिण । २ इद्र । ३ वह जो विवाह में कन्यादान करता है (को०) । ४ उ.-कीन्ह प्रणाम प्रदच्छिन लाई।-तुलसी (शब्द०)। ४ विश्वेदेवा के प्रतर्गत एक देवता का नाम । प्रदत्त'-वि० [ से० ] जो दिया जा चुका हो । दिया हुआ। प्रदान-सञ्चा पु० [सं०] देने की क्रिया | देना। उ०-तुम अन्य । प्रदान करो, न करो ।-अर्चना, पृ० ४४ । २ दान । प्रदत्त-सज्ञा पु. एक गधर्व का नाम । बखशीस । ३ विवाह । शादी। ४ अंकुश । सृणि । ५ प्रदर-सज्ञा ० [सं०] १ स्त्रियो का एक रोग जिसमे उनके वलि । नैवेद्य [को०] । ६ प्रत्याख्यान । खहन (को०)। गर्भाशय से सफेद या लाल रंग का लसदार पानी सा बहता है, जिसमे कभी कभी दुर्गध भी होती है । प्रदानक-पज्ञा पुं॰ [ स०] उपहार । भेंट । दान [को०] । विशेष - इसमें रोगी स्त्री को वेदमा होती है पौर उसका शरीर प्रदानकृपण - वि० [म०] देने मे होला करनेवाला । कजूस [को॰] । दिन पर दिन सूखता जाता है। जिसमे नाव सफेद रंग का प्रदानशूर-सज्ञा पुं० [म.] १ बोधिसत्व का नाम । २ बहुत बहा दानी । दानवीर (को०) । होता है उसे श्वेत मौर जिसमें लाल रंग का होता है उसे रक्त प्रदर कहते हैं। वैद्यक के अनुसार यह रोग मद्यपान, प्रदाय-सक्षा पु० [सं०] भेट । प्रदानक । उपहार [को०] । गर्भपात, अधिक मैथुन, शोक, उपवास आदि के कारण होता प्रदायक-वि०, स्शा पुं० [सं०] [स्त्री० प्रदायिका] देनेवाला। जो दे। है। यह रोग प्राय सतान उत्पन्न होने के उपरात हमा प्रदायी-वि०, सज्ञा पुं० [सं० प्रदायिन] [ी० प्रदायिनी] देनेवाला। करता है। २ वाण । तीर । २. फोडने या तोडने का भाव। ४ छिद्र । प्रदाव-सज्ञा पुं॰ [ स०] दावाग्नि । जगल की प्राग । सघ । दरार (को०)। ५ सेना का इतस्तत. होना। सेना का प्रदाह-सज्ञा पुं० [सं०] १. ज्वर आदि के कारण अथवा और अस्तव्यस्त होना (को॰) । किसी कारण शरीर में होनेवाली जलन । दाह । प्रदर्प-पञ्चा पुं० [सं०] प्रचंड अभिमान । अत्यधिक घमड । उ०- सु दर प्रदपं दर्प 'उन्नत उतग जुग्म कैघो कुच प्राकृत धनग विशेष-प्रदाह कभी सारे शरीर में, कभी किसी प्रग मे जैसे, कर ढारे री।-पजनेस, पु० ३६ । मूत्रंद्रिय, सिर या फेफडे, और कभी किसी अंग के बहुत ही ६-५७ जो दे।