पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४६६

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प्रदेशित ३१७ प्रधानता प्रदेशित-वि० [सं०] दिखलाया हुपा [को॰] । प्रद्राव-मसा पुं० [सं०] १. भागना । दोहना। पलायन करना। प्रदेशिनी-पञ्चा सी० [सं०] 10 'प्रदेश नी' । २ तेजी से दौडना या भागना [को०] । प्रदेशो-वि० [सं०] प्रदेश सबंधी । प्रदेश का । प्रद्राबी-वि० [ सं० प्रदाविन् ] दौडनेवाला । भागनेवाला । पलायन- प्रदेशीय-वि० [स] प्रदेश का । प्रदेश से स ववित । पाील [को०)। प्रदेष्टा-सा पु० [सं० प्रदेप्ट ] प्रदेशविशेष के कर की वसूली का प्रद्वार- पु० [सं०] द्वार के पास पास या पागे का भाग। दरवाजे का अगला भाग। प्रवध करनेवाला और चोर, डाकुप्रो आदि को दड देकर शाति रखनेवाला अधिकारी। प्रद्वेप, प्रद्वेपण-सा पु० [सं०] १. शत्रुता । वैर। दुश्मनी विशेष-इसका कार्य प्राजकल के फलक्टर के कार्य से मिलता २ घणा। जुलना होता था। प्रद्वेपी-मशा ली [ .] महाभारत के अनुसार दीर्घतमा ऋषि की स्त्री का नाम । प्रदेह-सज्ञा पुं॰ [ स०] १ वह औषध या लेप आदि जो फोडे पर, उसे दबाने के लिये लगाया जाय । २ सुश्रुत के अनुसार एक प्रधन- पुं० [स०] १ वह जिसके पास बहुन अधिक धन हो। प्रकार का व्यजन । २. युद्ध । लडाई । ३. दारण। विदारण (को०)। ४ युद्ध प्रदोप-सज्ञा पु० [सं०] १ सध्याकाल । रजनीमुख । सूर्य के प्रस्त मे लूट का धन (को०) ५. विध्वस । विनाश (को॰) । होने का समय । प्रधमन-सञ्चा पुं० [सं०] १. वैद्यक में वह क्रिया जिसमें कोई विशेष-कुछ लोग रात के पहले पहर को भी प्रदोष कहते हैं । पौषध या चूर्ण प्रादि नाक के रास्ते, जोर से सुंघाकर ऊपर २. वह अंधेरा जो सध्या समय होता है। ३. प्रयोदशी का चढाया जाय । २ वैद्यक में एक प्रकार की सुघनी। व्रत जिसमे दिन भर उपवास करके सध्या समय शिव का प्रधर्प-शा पुं० [ स० ] दे० 'प्रर्पण' । पूजन करके तब भोजन करना होता है । यह व्रत प्राय पुत्र प्रधर्षक-वि० [सं०] १. अाक्रमण करनेवाला । कष्ट देनेवाला । को कामना से किया जाता है। ४. अव्यवस्था (को०) । ५ सतानेवाला । २ बलात्कार करनेवाला। सतीत्व नष्ट करने बहा दोष । भारी अपराध । वाला (को०] । प्रदोष-वि० दुष्ट । पाजी। प्रधर्षण-प्रज्ञा पु० [स०] [वि॰ प्रधर्षक ] १ अपमान । अनादर । प्रदोषक-वि० [ स०] प्रदोष काल मे उत्पन्न [को०] । २. जवरदस्ती किसी स्त्री का सतीत्व भग फरना । वलात्कार । ३ याक्रमण। प्रदोहन-स्त्री० पुं० [ स० ] दोहन करना । दुहना [को॰] । प्रद्धटिका-सज्ञा सी० [?] दे० 'पज्झटिका' । प्रधर्षित-वि० [सं०] १ जिसपर माक्रमण किया गया हो। २ जिसका अनादर किया गया हो। ३ (वह स्त्रो) जिसके - प्रद्यु-मज्ञा पुं० [ म० ] पुण्य जिससे उत्तम लोक स्वर्ग की प्राप्ति बलात्कार किया गया हो। ३. उदंड । उद्धत । अनि होती है [फो०] । मानी (को०)। प्रद्यु तित-वि० [स०] घोतित । प्रकाशित । प्रज्वलित को० । प्रधा-सया सी० [सं०] दक्ष प्रजापति पी एक कन्या जो प्रद्युम्न'-पज्ञा पु० [१०] १. कामदेव । कंदर्प । २ श्रीकृष्ण को ब्याही गई थी। के बड़े पुत्र का नाम । ३ नड्वला के गर्भ से उत्पन्न मनु के प्रधान-वि० [स०] १ मुम्प । खास । २. सर्वोच्च । श्रेष्ठ । एक पुत्र का नाम । ४ वैपणवो के अनुसार चतुषूहात्मक प्रधान-ससा पु० ३ नेता। मुखिया। सरदार। २ सचिव विष्णु के एक प्रश का नाम । (शेष तीन घशो के नाम मत्री। वजीर । ससार का उपादान कारण यासुदेव, स कर्षण और अनिरुद्ध है।) प्रवृति। ४ वुद्धि । समझ । ५ ईश्वर। परमात्मा।' प्रद्युम्न-वि० अत्यत बली । वहुत बडा वीर । सेनाध्यक्ष । महापात्र । ७. एक राजपि का नाम । प्रद्युम्नक-सा पुं० [स० ] कामदेव । फंदपं [को०] । प्रकृति (को०)। प्रद्योत-पशा पुं० [ स०] १ किरण | रश्मि । दीप्ति । प्रामा। प्रधानक-उमा पुं० [सं०] सांख्य के अनुसार बुद्धि तत्व । २. चमक । ३ प्रकाशित करना या होना। ४ एक यक्ष प्रधानकर्म-संश पु० [म० प्रघानकम्मन् ] सुश्रुत के अनुसार ते फा नाम । ५. उज्जैनी के प्राचीन नरेश का नाम (को०)। प्रकार के पार्मों में से एक फर्म जो रोग की उत्पत्ति होण प्रद्योतन' सञ्चा पु० [स०] १ सूर्य । २ चमक । दीप्ति । ३ पर किया जाता है। चमकना । थोतित होना। प्रधानत -कि० वि० [सं० प्रधानतस् ] प्रधान रूप से। मुन्य . प्रद्योतन-वि० चमकीला । चमकनेवाला । से । मुख्यतया (को०] । प्रद्रव'-पि० [सं०] तरल | द्रव (को०] । प्रधानता-शा श्री० [म.] प्रधान होने का भाव, घमं, ५६ या पद। प्रदर-सक्षा पुं० दौड़ना। भागना । पलायन (को०] । 44