पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४७५

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1 प्रभेद ३१०४ प्रमन पिरोप-पपिरवर पडग्रीहि समास में इसका प्रयोग प्राप्त प्रमथ-सज्ञा पुं० [स०] १ मयन या पीडित करनेवाला। २. होता है। वह जो मथन करे। २ शिव के एक प्रकार के गण या प्रभेद -1 [] १ भेद । विभिन्नता । २ स्फोटन । फोडकर पारिषद जिनकी सख्या ३६ करोड बताई गई है। मिलना। ३. उद्गम म्यान (मो०) । ४ विभाग । विशेष-कालिका पुराण में लिखा है कि प्रमथों मे से कुछ तो यंत (5) भोगविमुख, योगी मोर त्यागी हैं और कुछ कामुक, प्रभेदफ- [१०] १ फाडनेवाला । टुक्हे टुरहै करनेवाला। भोगपरायण मौर शिव की क्रीडा में सहायफ हैं। प्रमश गए २ पृथप मरनेवाला । मनग करनेवाला (फो। बहे मायावी कहे गए हैं। प्रभेदन-वि० [सं०] दे० 'प्रभेदक' [को०] । यौ०-प्रमथनाथ । प्रमयपति । प्रमथाधिप । प्रमथेश्वर । प्रभेदिका-गरा पी० [सं०] वैधने या छेदने का एक अस्म । ३. घोडा । अश्व । ४ घृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम । प्रभेव-० [म०प्र+भेद, प्रा० मेव ] प्रभेद । भेद। भिन्नता । प्रमथन-सज्ञा पुं० [ मं०] १. मथना। २ पीडित करना । दुख प्रश- पुं० [म.] गिरना । पतन । पात [को०] । पहुंचाना । क्लेश देना । यत्रणा देना । ३ नष्ट करना । क्षति प्रभ्रशथुना पुं[सं०] पीनस रोग । पहुंचाना (को०)। ४. वध करना । नाश करना । प्र-शिव-१ - [सं०] फेंका या गिराया हुमा। २ वचित। विना- प्रमथनाथ-सज्ञा पुं० [सं०] महादेव । शिव । Zठ । वियुक्त । ३ अलग किया हुधा । निकाला हुमा [को०] । प्रमथा-संज्ञा स्त्री० [सं०] १ हरीतकी । हह । २. पीडा । प्रभशी-० [५० प्रभ्र शिन् ] गिरनेवाला । मलग होनेवाला [को०]। प्रमथाधिप-सभा पुं० [ स०] शिव । प्रमथनाथ । प्रभ्रष्ट'- [सं०] १ गिरा हुमा । २ टूटा हुमा । प्रमथामय-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] दुःख या यत्रणा का स्थान । नरफ । प्रनष्ट'---दे० प्रनष्टक' को०] । प्रमथित-वि० [सं०] १. खूब मथा हुमा । २. पीडित किया हुमा प्रप्टफ-17पुं० [10] शिखावल विनी माला । सिर से लटकती (को०)। ३. कुचला, रौंदा या नष्ट किया हुआ (को०)। ४ माला। जिसका वध किया गया हो। मारा हुमा (यो०)। प्रमडल-० [सं० ] पहिए का बाहरी हिस्सा या बाहरी हिस्से प्रमथितर-सञ्ज्ञा पुं० मट्ठा, जिसमें ऊपर से पानी न मिला हो। पा पर फो०] । पमंध-सरा ५० [सं० प्रमन्य ] लकही जिससे पग्नि पैदा करते प्रमथी-वि० [ स० प्रमथिन् ] नष्ट करनेवाला [को॰] । प्रमथेश्वर-सशा पुं० [सं०] शिव । है [को प्रमा-10. [ स० परम ] १. येष्ठ । प्रधान | उ०-इल रखवाल प्रमद'-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ मतवालापन । उ०-प्रमद पालस से पगो प्रम घसी। -रा० रू०, पृ० १४ । २, परम । मिला है। -अर्चना, पृ० १०६ । २ धतूरे का फल । ३. प्रत्यत । ३०-मपुर पजोध्या नोखा मंडल । एतो माद हर्ष । मानद । यौ०-प्रमदकानन । प्रमदवन । घाम प्रम उज्वत ।-रा०६०, पृ० ३६३ । प्रमग्न-३० [सं०] द्या हुपा । लीन । निमग्न (फो०] । ४. एक प्रकार का दान । ५ वशिष्ठ के एक पुत्र का नाम । प्रमणा-० [१० प्रगणस् ] ३० 'प्रमना' [फो०) । प्रम-वि० मत्त । मतवाला। प्रमत- [सं०] १ सोचा हुआ। विचारित । २. होशियार । प्रमदक-सज्ञा पु० [ मं०] १. परलोक को माननेवाला। चालार । पतुर (को। नास्तिक । २ वह जो कामी हो । कामुक । भोगी। प्रमति-गा. [४०] १. च्यवन ऋपि के एक पुत्र का नाम । प्रमकानन-सहा पुं० [स० ] वह उपवन या वन जिसमें नरेश २. ह जिसपी नुद्धि उत्गृष्ट हो। प्रकृष्ट मतिवाला [को०] । और रानियाँ मानदोत्सव मनाती हैं । प्रमोदवन (को०] | प्रमत्त-[20] १ उन्मत । गतवाला । मस्त । नशे में चूर । प्रमदन-राशा पुं० [सं०] विषय की कामना। कामेच्छा [को०] । 5०-पीपे पूर्व पपा प्रमत्त जन को है याद आती न ज्यों। प्रमवन-सज्ञा पुं॰ [सं०] प्रमदकानन । श्रीडोद्यान । -०, पृ० २१ । २ पागल । विक्षिप्त । चावला। प्रमदा-सपा सी० [सं०] १ युवती स्त्री । सुदरी स्त्री । २ माल- ३ जिसनी बुद्धि ठिकाने न हो। जो सावधान या सचेत फंगनी । प्रियंगु । ३. एक वृत्त । एक छद (को०)। ४ फन्या न हो। जो सबरदार न हो। अमावधान । ४.त्रुटि राशि (को०)। या भूल परनेवाला (०)। ५. करणीय कार्य को म करने- यो०-प्रमदाकानन, प्रमदावन = कोदोद्यान । प्रमदवन । प्रमा याना (०)। दामन = स्ली। महिला । प्रमदा । पी०-प्रमत्तगीत = प्रमाद या मनवधानता से गाया हुमा गीत । प्रमतचित -प्रमत्त चित्त का प्रमादी। लापरवाह। प्रमद्वर-वि० [सं०] प्रमदयुक्त । वेपरवाह । मसावधान [को०)। ममत्तता-07 मी० [सं०] १. मस्ती।२ पागलपन । ३. पनव- प्रमन-वि० [सं० प्रमनस्, प्रमना ] १ हपंयुक्त । प्रसन्न । 3.-- पानता । लापरवाही (०)। काखाकाकर का राजभवन सोया जल में निश्चित प्रमन ।- न