पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४७७

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प्रमाण ३१८६ प्रमाथी' प्रमाण-वि०१ सत्य । प्रमाणित । चरितार्थ । ठीक घटता हुमा । प्रमाणाधिक-वि० [सं०] मत्यत मधिक । २ परिमारण से उ०—(क) वरख चारिदस विपिन बसि करि पितु वचन ज्यादा [को०] । प्रमान । प्राइ पाय पुनि देखिहीं मन जनि करसि गलान ।- प्रमाणिक-वि० [स०] दे० 'प्रामाणिक' । तुलसी (शब्द०) । (ख) मिलहिं तुमहि जब सप्त ऋषीसा। प्रमाणिका-सझा स्त्री० [स०] नगस्वरूपिणी वृत्त का दूसरा तब जानेउ प्रमान बागीसा । -तुलसी (शब्द०)। २ मान्य । नाम । इस छद के प्रत्येक चरण में एक जगण, एक रगण, माना जानेवाला । स्वीकार योग्य । ठीक । उ०—(क) कहि एक लघु पौर एक गुरु होते हैं। जैसे-जमामि भक्त वत्सल । न सकत रघुबीर डर लगे बचन जनु चान । नाइ रामपद कृपालु शील कोमल | भजामि ते पदाबुज । प्रकामिना कमल सिर वोले गिरा प्रमान ।- तुलसी (शब्द०)। (ख) स्वधामद । -तुलसी (शब्द०)। कहि भेणें सु नवाब जो सो सब सुनी सुजान । कही, कि कहो नवाव सो हमको सबै प्रमान ।-सूदन (शब्द०)। ३ परि- प्रमाणित-वि० [स० ] प्रमाण द्वारा सिद्ध । सावित । निश्चित । माण मे तुल्य । बड़ाई पादि में बराबर । उ०-पन्नग प्रचड सत्य ठहराया हुआ। पति प्रभु की पनच पीन पर्वतारि पर्वत प्रमान पावई । प्रमाणो-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [सं०] प्रमारिएका या नगस्वरूपिणी छुद केशव (शब्द०)। का नाम । प्रमाण-प्रव्य० प्रवधि या सीमासूचक शब्द । पर्यत । तक । उ०- प्रमाणोक-वि० [सं० प्रामाणिक ] दे० 'प्रामाणिक' । उ०-क्षमावत (क ) कंदुक इव ब्रह्माड उठावौं। सत जोजन प्रमान ले भारी। दयावत ऐसे, प्रमाणीक प्रागे भए सत जैसे। -सुदर० धावौं । -तुलसी ( शन्द०)। (ख) धनु लीन महल फोन प्र०, भा०१, पृ० २५६ । सबको प्राख तेहि छन पि गई। तेहि तानि कान प्रमान प्रमाणीकृत-वि० [स०] प्रमाण रूप से जिसका स्वीकार किया शब्द महान घरनी फैपि गई। -गोपाल (शब्द॰) । गया हो । जो प्रमाण रूप से निश्चित हो । प्रमाणक-वि० [स०] परिमाण, मान या विस्तार का (समासात प्रमातव्य-वि० [नं० ] मारने योग्य । वष्य । में प्रयुक्त)। प्रमाता-सया पुं० [सं० प्रमातृ ] १. वह जो प्रमा ज्ञान को प्राप्त प्रमाणकर-सञ्ज्ञा पुं० दे० 'प्रमाण' (को०] । करे। वह जिसे प्रमा ज्ञान हो । प्रमाणो द्वारा प्रमेय के प्रमाणकुशल-सचा पुं० [सं०] अच्छा तर्क करनेवाला। ज्ञान को प्राप्त करनेवाला। उ०-प्रमाता जीव भी प्रकृत प्रमाण कोटि-सज्ञा स्त्री० [स०] प्रमाण मानी जाने वाली बातों है, क्योंकि वह भी अपरा प्रकृत है ।-काल, पृ० १८ । या वस्तुप्रो का घेरा । जैसे, प्राचारनिर्णय में तत्र प्रमाण २. ज्ञान का कर्ता प्रात्मा या चेतन पुरुष । ३ विषय से कोटि में नहीं है। भिन्न विषयी। द्रष्टा । साक्षी । ४ असैनिक न्यायाधीश । दीवानी मजिस्ट्रेट । व्यवहार या विधि के अनुसार दद देने- प्रमाणज्ञ-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ शिव । २ वह जो प्रमाण मप्रमाण का जानकार हो । प्रमाण को जाननेवाला [को०] । वाला अधिकारी (को०)। प्रमातामह-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] [ सी० प्रमातामही ] परनाना [को०] । प्रमाणत -सञ्ज्ञा पुं॰ [ स० प्रमाणतस् ] प्रमाणपूर्वक । मनुकूल [को०)। प्रमातामही-सज्ञा भी० [ स०] परनानी। प्रमाणदृष्ट-वि० [सं०] प्रमाण के रूप में उपस्थित करने योग्य प्रमातृत्व-सहा पुं० [ स०] चेतनता । शेयता। प्रमाता होने की शास्त्रादि समत । प्रमाण कोटि का [को०] । स्थिति, क्रिया या भाव । उ०-परतु उसके प्रमातृत्व का उपशम नहीं होता।-सपूर्णानंद अभि० ग्र, पृ० १४८ । प्रमाणना-क्रि० स० [स० प्रमाण +हिं० ना (प्रत्य॰)] दे० 'प्रमानना'। प्रमात्र--सा पु० [सं०] निर्दिष्ट राख्या। प्रमाणपत्र-सज्ञा पु० [सं०] वह लिखा हुमा कागज जिसपर का प्रमाथ-सचा पु० [ स०] १. मथन । २ दुःख देना। पीडन । ३ लेख किसी बात का प्रमाण हो । साटिफिकेट । किसी स्त्री से उसकी इच्छा के विरुद्ध सभोग । ४. मर्दन । नाश करना । मारना। ५ प्रतिद्वन्द्वी को भूमि पर पटककर प्रमाणपुरुष-सञ्ज्ञा पु० [सं०] वह जिसके निर्णय को मानने के उसपर चढ बैठना और घस्सा देना । ६ बलपूर्वक हरण । लिये दोनो पक्ष के लोग तैयार हों। छीन सखोट । ७. महाभारत के अनुसार घृतराष्ट्र के एक प्रमाणप्रवीण-वि० [ स० ] तर्फ में कुशल (को०] । पुत्र का नाम । ८. शिव के एक गण का नाम । ६. स्कद के प्रमाणभूत-वि० [स] प्रामाणिक । प्रमाण स्वरूप [को०)। अनुचर का नाम । प्रमाणवचन, प्रमाणवाक्य-सञ्ज्ञा पुं० [म०] प्रामाणिक कथन । प्रमाथिनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] एक पप्सरा का नाम | प्रमाणभूत कषन । [को०] । प्रमाथी'-वि० [सं० प्रमाथिन् ] [वि॰ स्त्री० प्रमाथिनी ] १. मथने- प्रमाणशास्त्र--सज्ञा पुं० [सं० ] तक शास्त्र [को०) । वाला । २. क्षुब्ध करनेवाला। दुखदायी । ३ पीडित करने- प्रमाणसूत्र-संज्ञा पुं० [सं०] माप करने का सूत्र [को०] । वाला । नाश करनेवाला | प्रमाथ करनेवाला। प्रमाण के