पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/४८७

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प्रवज्यावसित ३१६६ प्रवर्तना प्रवन्यावसित -सज्ञा पुं० [सं०] दे० 'प्रव्रज्यावसित' । प्रवरकल्याण-[सं०] प्रत्यत सु दर । बहुत खूबसूरत को०] । प्रवट-सज्ञा पुं० [सं०] गोधूम । गेहूँ। प्रवरण-मशा पुं० [सं०] १. देवनाप्रो का प्रावाहन । २ वर्षा ऋतु प्रवण'-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. क्रमश नीची होती हुई भूमि । ढाल । के प्रत मे होनेवाला वौद्घो का एक उत्सव । उतार । २ पहाड का किनारा । ३ चौराहा । ४. सदर । प्रवरललिता-सशा स्पी० [म०प्रवरललित] एफ वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक पेट । ५ क्षण । ६. अाहुति । चरण में यगण, मगरण, नगरण, सगण, रगण और एक प्रवण-वि० १ ढालुवाँ । जो क्रमश नीचा होता गया हो। २ गुरु होता है। जैसे,—यमी नामै रागादिक सकल जजाल झुका हुमा । नत । ३ किसी बात की और ढला हा । भाई । यही ते घेरे ना प्रवरललिता ताहि जाई। प्रहो, मेरे प्रवृत्त । रत । ४ नम्र । विनीत । ५ व्यवहार में खरा । जो कुटिल न हो। सीधा हिसाव रखनेवाला । ६ उदार । दूसरे मीता यदि चहहु ससार जीता। तजी सारे रागा भजहु भव- की बात सुनने और माननेवाला । ७ अनुकूल । मुवाफिक । हा राम सीता। ८ स्निग्ध । ६ लवा। १० निपुण । ११ वक्र । टेढा । प्रवरवाहन-संज्ञा पुं॰ [ म० ] अश्विनीकुमार । तिर्यक् (को०)। १२ सीधा खडा। जिससे गिरने पर कही प्रवरसमिति-सज्ञा म्पी० [ मं० प्रवर = समिति ] किसी विशेष विषय टिकान न मिले । जैसे, पहाड का खडा किनारा (को०)। पर गभीर विचार के वाद सुनिश्चित मत व्यक्त करने के प्रवणता-सज्ञा स्त्री॰ [ म० ] प्रवण होने का भाव । लिये बनाई हुई समिति । प्रवत्स्यत्-वि[सं० ) [वि० स्त्री० प्रवरस्यती, प्रवत्म्यती] जो परदेस प्रवरा-मशा नी० [ म०] १ अगुरु । अगर की लकडी । २ दक्षिण जानेवाला हो । जो यात्रा पर जानेवाला हो [को०] | की एक छोटी नदी जो गोदावरी में मिलती है। इनका नाम प्रवत्स्यत्पतिका-[सं०] वह नायिका जिसका पति विदेश जाने- पयोधग भी मिलता है। वाला हो। प्रवर्ग-सज्ञा पुं० [सं०] १ होमाग्नि । हवन करने की अग्नि । विशेष-मुग्धा, मध्या और स्वकीया, परकीया मादि मेदो से २. विष्णु का एक नाम (को०)। २ सोम याग संबंधी एक इसके भी कई भेद हो जाते हैं। उत्सव (को०)। प्रवत्स्यत्प्रेयसी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] दे० 'प्रवत्स्यत्पतिका'। प्रवर्त-सज्ञा पुं० [सं०] १ कार्यारम । ठानना । उ०-जव रन होत प्रवत्स्यद्भर्तृका-सज्ञा स्त्री० [स०] प्रवत्स्यत्पतिका । प्रवतं रचत परि हृदय गतं नव ।-गोपाल (शब्द०)। प्रवदन-सज्ञा पुं० [ म० ] घोपणा । २ एक प्रकार के मेघ । ३ गोल आकार का एक प्राचीन प्रवप-वि० [म० ] बहुत मोटा । स्थूलकाय (को०] । प्राभूषण (अथर्व०)। प्रवपण-सञ्ज्ञा पुं॰ [ मं०] मुडन सस्कार । मु उन क्रिया [को०] । प्रवर्तक-सञ्ज्ञा पुं० [पुं०] १. किसी काम को चलानेवाला । संचालक । कोई बात ठानने या उठानेवाला। २ प्रारभ करनेवाला । प्रवयण-संज्ञा पुं॰ [सं०] १ बुने हुए कपडे का ऊपरी भाग । २. चलानेवाला । अनुष्ठान या प्रचार करनेवाला। जारी करने- । क्शा । कोडा । चाबुक को०] । वाला । जैसे, मतप्रवर्तक, धर्मप्रवर्तक । उ०-किसी उक्ति प्रवया-वि० [सं० प्रवयम् ] १ वृद्ध । बूढ़ा । २ पुराना [को०] । की तह में उसके प्रवर्तक के रूप में यदि कोई भाव या मामिक प्रवर'-वि० [सं०] १ श्रेष्ठ । बड़ा । मुख्य । प्रधान । जैसे, वीर व तव ति छिपी है तो काव्य की समरसता पाई जायगी।- प्रवर । उ०-देखें ये, हंसते हुए प्रवर, जो रहे देखते सदा रस०, पृ० ३६ । ३ काम मे लगानेवाला । प्रवृत्त करनेवाला। समर ।-अनामिका, पृ० ११६ । २ सर्वप्रधान । सबसे प्रेरित करनेवाला। ४ उभारनेवाला। उकसानेवाला। ५. ज्येष्ठ (को०)। गति देनेवाला। ६ निकालनेवाला । ईजाद करनेवाला । यौ०-प्रवर समिति । ७ नाटक में प्रस्तावना का वह भेद जिसमे सूत्रधार वर्तमान प्रवर-सशा पुं० १ किसी गोत्र के अंतर्गत विशेष प्रवर्तक मुनि । समय का वर्णन करता हो और उसी का सबध लिए पात्र जैसे, जमदग्नि गोत्र के प्रवर्तक ऋषि जमदग्नि, प्रौवं और का प्रवेश हो। ८ न्याय करनेवाला । विचार करनेवाला। वशिष्ठ, गर्ग गोत्र के गार्य, कौस्तुभ भौर मांडव्य इत्यादि । पच । २ सतति । ३ प्रगर की लकही। ४. मावरण । आच्छादन प्रवर्तन-सञ्ज्ञा पु० [म०] [ वि० प्रवर्तित, प्रवर्तनीय, प्रवयं ] १ (को०)। ५ शरीर का ऊपरी वस्त्र । उपरना । दुपट्टा (को॰) । कार्य प्रारभ करना । ठानना । २ कार्य का संचालन । काम ६ अावाहन । पुकार (को०)। ७ यज्ञ के समय भग्नि का को चलाना। ३. प्रचार क-ना । जारी करना । ४ उत्तेजना। पावाहन (को०)। प्रेरणा। उकसाना । उभारना। ५ प्रवृत्ति । उ०-विघ्न प्रवरगिरि-सक्षा पुं० [सं०] मगध देश के एक पवत का प्राचीन और वाघा की दशा में प्रेम काम करता हुपा नहीं दिखाई नाम । इसे प्राजकल 'बराबर पहाड' कहते हैं। देता, एक अोर करुणा और दूसरी भोर क्रोध का प्रवर्तन प्रवरजन-सशा पु० [सं०] गुणी व्यक्ति । अच्छे गुणवाला ही देखा जाता है।-रस०, पृ०७७ । व्यक्ति [को०] । प्रवर्तना-राज्ञा सी० [स०] १. प्रवृत्तिदान । प्रवृत्त करने की निया।