पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५१४

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प्राणचय ३२२३ प्राणपति प्राणचय-सहा पुं० [स०] बल या शक्ति की वृद्धि [को०] । माखन देउ मेरे प्राएपनियां। भारि जिन फरी वलि जाउँ प्राणच्छिद्-वि• [ स०] प्राणघाती । प्राण लेनेवाला [को०) । हो निधनी के घनियाँ।-सूर (शब्द॰) । प्राणच्छेद-सञ्चा पुं० [सं०] हत्या । वघ । प्राणधार'-वि० [सं०] प्राणवाला। जिसमें प्राण हो । जीवित । प्राणजीवन'–सशा पुं० [सं०] १ प्राणाधार । २ परम प्रिय व्यक्ति । प्राणधार-सचा पु० प्राणी । प्राणधारी । जीव । मत्यत प्रिय मनुष्य । उ०-रघुनाथ पियारे प्राजु रहो हो । प्राणधारण-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १- जीवन धारण करने का भाव या चारि याम विथाम हमारे छिन छिन मीठे वचन कहो हो। क्रिया । २ प्राण धारण करने का संवल (को०) । ३ शिव । वृथा होइ वर वचन हमारो री कैकेयी जीव कल से रहो हो। प्राणधारो'–वि० [सं० प्राणधारिन् ] १. जीवित । प्राणयुक्त । २ मातुर है अब छाडि कोशलपुर प्राणजीवन कित चलन चहो जो सांस लेता हो। चेतन । हो।—सूर (शब्द०)। प्राणधारी-सञ्ज्ञा पुं० प्राणयुक्त । व्यक्ति । प्राणी । जतु । जीव । प्राणजीवन-सझा पुं० [स०] विष्णु, जो प्राणो की रक्षा करते हैं । प्राणन-सज्ञा पुं० [ स०] १. जीवन । २ चेष्टा करना। हिलना डोलना जिससे जीवित होने का प्रमाण मिले। ३. जल । प्राणत्याग-सञ्ज्ञा पुं० [मं०] १. प्राण छोड देना । प्रात्मघात करना। पानी। ४. गला । गर्दन (को०)। २ मर जाना । मरण । मृत्यु । प्राणथ-सशा पु० [ स०] १. जैन शास्त्रानुसार एक देवता, जो प्राणनाथ-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] [ श्री. प्राणनाथा ] १. प्रिय व्यक्ति । कल्पभव नामक वैमानिक देवताओं के अंतर्गत हैं । २ वायु । प्यारा। प्रियतम । २. पति । स्वामी। ३ यमराज । यम हवा । ३ श्वास वायु । ४ प्रजापति । ५ तीर्थ । पवित्र (को०) । ४. एक संप्रदाय के प्रवर्तक पाचार्य का नाम । स्थान। विशेष-ये जाति के क्षत्रिय थे और औरगजेय के समय मे हुए प्राणथ-वि० बलवान् । हृष्ट पुष्ट । ताकतवाला । ये। हिंदुओं और मुसलमानो के धर्म की एकता पर इनके नथ मिलते हैं। कहते हैं कि पन्ना के राजा छत्रसाल इनके प्राणड-सज्ञा पु० [सं० प्राणदण्ड ] किसी को हत्या अथवा इसी शिष्य थे। कबीर, नानक मादि के समान ये भी आजन्म प्रकार के दूसरे अपराध के बदले मे मार डालना। मौत की साधु होकर हिंदू भौर मुसलमान धर्म की एकता के सबध में सगा। उपदेश देते रहे। इनके सप्रदाय के लोग वु देलखह में बहुत क्रि० प्र.-देना।-पाना ।—होना । हैं। ये लोग मूर्तिपूजा नही करते और प्राणनाथ के ग्रयों की प्राणद-वि० [स०] १ प्राणदाता। जो प्राण दे । २ प्राणो की बड़ी प्रतिष्ठा करते हैं। इस सप्रदाय में प्रवेश करते समय रक्षा करनेवाला। इस सप्रदायवालो के साथ चाहे वे हिंदू हो या मुसलमान एक प्राणद-सझा पुं०१ बल। पानी । २ रक्त । खून। ३. जीवक साथ बैठकर खाना पडता है और सब बातो में हिंदू और नामक वृक्ष । ४. विष्णु। मुसलमान अपने अपने पूर्वजो के माचार व्यवहार मानते हैं। प्राणदायित'-सशा पु० [सं०] पति [को॰] । हिंदू मुसलमान दोनो मत के लोग इस सप्रदाय मे दीक्षा ग्रहण प्राणदायित-वि० प्राणप्रिय [को०] । करते हैं। प्राणदा-सज्ञा स्त्री॰ [स०] १ हरीतकी। हरें ।२ ऋद्धि नामक प्राणनाथी-सज्ञा पुं॰ [स० प्राणनाथ + हि० ई] १ प्राणनाथ के प्रोपधि । सप्रदाय का पुरुप । २. स्वामी प्राणनाथ का चलाया हुपा सप्रदाय। प्राणदावा-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं० प्राणदातृ ] १ किसी को बचाने में प्राण देनेवाला । २. प्राणो की रक्षा करनेवाला। प्राणद । प्राणनाश- सच्चा पु० [सं०] प्राणो का नष्ट हो जाना या कर देना। प्राणदान-सा पुं० [स] १. प्राण देना । २ किसी को मरने या हत्या या मृत्यु । जैसे,--कल एक नाव दूर जाने के कारण मारे जाने से बचाना। कई प्रादमियो का प्राणनाश हुमा । प्राणदायक-वि० [सं० प्रागा + दायक ] प्राण देनेवाला । जीवन- प्राणनाशक-वि० [सं०] प्राण लेनेवाला । मार ढालनेवाला। दायक । उ०—अनेक धार्मिक प्राचार्यों ने जिन प्राणदायक। प्राण निग्रह-सञ्ज्ञा पुं॰ [सं०] प्राणायाम । सत्यों का अपने जीवन में साक्षात्कार किया था। -सपूर्णानद प्राणपण-सज्ञा पुं० [सं० प्राण + पण (= द्यूत या वाशी ] प्राण की मभि० ग्र०, पृ०१६ । बाजी। जीवन का दांव । उ०—फिर भी लड़े थे हम निज पाणदुरोदर-सज्ञा पुं० [स०] दे० 'प्राणद्यत' [को०] । प्राणपण से ।-लहर, पृ० ५६ । प्राणद्यूत-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ जान पर खेलना । अपने को ऐसी प्राणपति-सज्ञा पुं० [सं०] १. प्रात्मा। २ हृदय । ३. पति | स्थिति में डालना । २. जीवन का मोह छोडकर युद्ध करना । स्वामी। ४ प्रिय व्यक्ति । प्यारा | उ०-करि मन नदन दन प्राणद्रोह-सज्ञा पुं० [सं०] किसी के प्राण लेने का प्रयत्न करना [को०] । ध्यान । सेठ चरन सरोज सीतल तजि विषय रस पान । सूर प्राणधन-सज्ञा पुं॰ [स०] वह जो हृदय का सर्वस्व हो। प्रत्यत श्री गोपाल की छवि दृष्टि भरि भरि लेहि। प्राणपति की प्रिय व्यक्ति । प्यारा। उ०—नंदजू के बारे कन्हैया छादि दे निरखि शोभा पलक परन न देहिं ।-सूर (शब्द०)। ५. मपनियां। बार बार कहे मात यशोमति रनियां । नेक रहो चिकित्सक । वैद्य । हकीम (को०) ।