पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५१६

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. प्राणसार-सहा पुं० [सं०] १ बल । शक्ति । ताकत । २ वह जिसमे प्राणाधिक'-वि० [सं०] [वि० खी० प्राणाधिका]१ प्राणो से प्राणविद्या १२२५ प्राणापहारकता प्राणविद्या-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] उपनिषदों का वह प्रकरण जिसमें प्राणहारक-वि० प्राण लेनेवाला । प्राणनाशक । प्राण का वर्णन है। प्राणहानि-सज्ञा स्त्री॰ [ स०] वह अवस्था जिसमें प्राणों पर सकट प्राणविनाश, प्राणविप्लव, पाणवियोग-सञ्ज्ञा पुं० [ म० ] आत्मा हो। जान जोखिम। का शरीर से वियुक्त होना । मृत्यु (को०] । प्राणहारी- सज्ञ पु० [सं० प्राणहारिन् ] [ सी० प्राणहारिणी] प्राण प्राणवृत्ति-सशा स्त्री॰ [सं०] प्राण, अपान, उदान अादि पचप्राणो लेनेवाला । प्राणनाशक । का कार्य। प्राणात-सज्ञा पु० [ स० प्राणान्त ] मरण । प्राणनाश । मृत्यु । प्राणव्यय-सञ्ज्ञा पु० [म.] प्राणनाश । मृत्यु । प्राणांतक-वि०, सज्ञा पु० [सं० प्राणान्तक] प्राण लेनेवाला। जान प्राणशरोर-सञ्ज्ञा पु० [ स०] १ उपनिषदो के अनुसार एक सूक्ष्म लेनेवाला । घानक । जैसे, प्राणातक कष्ट होना। शरीर जो मनोमय माना गया है। इसी को विज्ञान और प्राणांतिक'-वि० [म० प्राणान्तिक ] १. घातक । प्राण लेनेवाला। क्रिया का हेतु मानते हैं । २ परमेश्वर । जीवन के अंत तक रहनेवाला। जीवन पर्यंत रहनेवाला । प्राणशोषण-सज्ञा पु० [सं०] वाण । ३ खतरनाक (को०)। प्राणांतिक-मज्ञा पु० वध । हत्या [को०] । प्राणसकट-सज्ञा पु० [म० प्राणसङ्कट ] वह यष्ट जो प्राणो पर हो । जान जोखिम । प्राणाग्निहोत्र-सज्ञा पु० [ स०] भोजन के समय पहले पाँच ग्रास निकालकर एक एक ग्रास को 'प्राणाय स्वाहा', 'अपानाय प्राणसंगिनी-सच्चा स्त्री॰ [ प्राणा+सङ्गिनी ) स्त्री। पत्नी । उ०- स्वाहा', व्यानाय स्वाहा', 'उदानाय स्वाहा' और 'समानाय प्रेयसी, प्राणसगिनी नाम, शुभ रत्नावली सरोज दाम । स्वाहा' इस प्रकार एक एक मत्र पढकर खाने की क्रिया । -तुलसी०, पृ० २७ । प्राणाघात -सञ्ज्ञा पु० [सं०] १ पीडा। कष्ट । २ हिंसा । हत्या। प्राणसदेह-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्राणसन्देह ] जीवन की आशका। वह मार डालना। अवस्था जिसमे जान जाने का डर हो । प्राणाचार्य-पञ्चा पु० [सं०] राजचिकित्सक (को॰] । प्राणसंन्यास-संशा पुं० [ स० प्राणसन्यास ] मृत्यु । मौत । प्राणातिपात-सञ्ज्ञा पु० [स०] जीवहिंसा । जान से मार डालना । प्राणसभूत-सञ्ज्ञा पुं० [सं० प्राणसम्भूत ] वायु । हवा । प्राणातिपात विरमण--सञ्ज्ञा पु० [सं०] जैन मतानुसार अहिंसा प्राणसभृत्-सज्ञा पुं॰ [ स० प्रायासम्भृत ] वायु । व्रत । प्राणसयम-सज्ञा पुं० [स] प्राणायाम । विशेष--यह दो प्रकार का होता है-द्रव्य प्राणातिपात विरमण प्रायसवाद-सच्चा पुं० [ स०] उपनिषद् का वह प्रकरण जिसमे और भाव प्राणातिपात विरमण। इस व्रत के पांच प्रतिचार श्रेष्ठता दिखाने के लिये प्राण का ग्यारह इद्रियो के साथ हैं, । बष, वष, छेदविच्छेद अतिभारारोपण और भोगव्यवच्छेद । विवाद कराया गया है मौर प्रत में सबसे प्राण की श्रेष्ठता प्राणात्मा--सञ्ज्ञा पुं० [ स० प्राणात्मन् ] प्राण । लिंगात्मा । जीवात्मा । स्वीकार कराई गई है। प्राणात्यय-सञ्ज्ञा पु० [सं०] १. प्राणनाश । मृत्यु । २ मृत्युकाल । प्राणसंशय-सच्चा पु० [सं०] १ जीवन की प्राशका । प्राणसाट । मरने का समय । ३ प्राण जाने का डर । जान जोखिम (को०) । २ मरणासन्नता। प्राणाद-वि० [सं०] प्राणनाशक । प्राणसहिता-सच्चा स्त्री॰ [स० ) वेदो के पढ़ने का एक क्रम । प्राणाधार'-वि० [स०] पत्यत प्रिय । प्यारा । विशष-इसमे एक सांस मे जहाँतक अधिक हो सके पाठ किया प्राणाधार-सञ्ज्ञा पुं०१ प्रेमपात्र । २. पति । स्वामी । ३ जीवन जाता है। का प्राधार । जीवन का सहारा । उ०-जन्म जन्मो की प्राणसझ-सञ्चा पु० [सं० प्राणसम्मन् ] शरीर । देह (को०] । मेरी साध, मुरा हो मेरी प्राणाधार । जीवन का सहारा । प्राणसभ-सज्ञा पु० [ स०] [ सी० प्राणसमा] १. वह जो प्राण के -मधुज्वाल, पृ०७४ । समान प्रिय हो। २ पति [को०] । अधिक प्रिय । बहुत प्यारा । २ अत्यधिक शक्तियुक्त (को॰) । बहुत वप्त हो । वलिष्ठ । ताकतवर । प्राणाधिक-सञ्ज्ञा पु० पति । स्वामी । प्राणसत्र-सञ्ज्ञा पुं॰ [ म० ] जीवनसूत्र । प्राणाधिनाथ-सञ्ज्ञा पु० [स०] पति । स्वामी । प्राणहंता-वि०, सज्ञा पुं० [सं० प्राणहन्त ] प्राणघातक । घातक प्राणाधिप-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] प्राणो के अधिष्ठाता देवता । प्रात्मन् । प्राण लेनेवाला। प्राणापहारकता-सञ्ज्ञा ली० [ स० प्राण + थपहारक +ता (प्रत्य०)] प्राणहर'-वि० [सं०] १ मारक । नाशक । घातक । प्राण लेनेवाला। किसी के प्राण ले लेने का भाव । उ०-वक्ता के उक्त शब्द - २ चलनाशक । शक्ति नष्ट करनेवाला । प्रयोग द्वारा अनतादेवी की क्रूरता, दुष्टता, निर्ममता एव प्राणहर-सक्षा पुं० विष धादि जिससे प्राण निकल जाते हों। प्राणापहारकता प्रादि का आभास मिलता है ।-शैली, प्राणहारक-सञ्ज्ञा पु० [सं०] वत्सनाभ । पृ० १७५।