पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/५२३

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प्राभातिक प्रायशः वाला हो।२ मीमासा के आचार्य प्रभाकर से सबद्ध विचार, और जब उस हुडी का नियत समय पूरा हो जाता है, तब मत भादि (को०] । सरकार से उसका रुपया भी मिल सकता है। ऐसी हु डी या प्राभातिक-वि० [सं०] [वि० सी० प्राभातिकी ] प्रभात सवधी । नोट मालिक बीच में ही बेचना चाहे तो दूसरे मादमियों के सबेरे का। हाथ बेच भी सकता है। ऐसो हुडी या नोट का भाव वरावर प्राभासिक-वि० [सं०] प्रभास देश सवधी । प्रभास देश का । घटा बढ़ा करता है। प्राभृत, प्राभृतक-सज्ञा पुं० [सं०] १ उपहार । नजर । २ घूस । प्रामोद-वि० [सं०] मनोज्ञ । मनोहारी। रिश्वत (को०)। प्रामोदक, प्रामोदिक-वि० [स०] २० 'प्रामोद' । प्रामणडा-सञ्ज्ञा पुं॰ [हिं० पाहुना ] दे० 'पाहुना' । उ०-करतब प्राय'-वि० [सं०] १ विशेषकर । बहुधा । मकसर । जैसे,- सावन नह राजी कृपण, राजा रूपैयाह । कडवो दास कुढवियाँ, में प्राय पानी बरसता है। २. लगभग । करीब करीब । प्रामणडो पइयाह । -चाकी० म०, भा॰ २, पृ० ३५ । जैसे, उनके यहाँ मेरे प्रायः ५०० रु० वाकी होंगे। प्रामति- समा पुं० [सं०] पुगणानुसार दसवें मन्यतर में होनेवाले विशेष-इसका प्रयोग शब्द के अत में होता है। एक ऋषि का नाम जो उस समय के सप्तपियो में होंगे । प्राय.२-कि० वि० अक्सर । सामान्यतया [को॰] । प्रामधि-सज्ञा पुं० [सं०] दे० 'प्रामति' । प्राय'-वि० [सं०] १ लगभग । जैसे, प्रायद्वीप । २ समान । तुल्य । प्रामाणिक-वि० [सं०] १ जो प्रत्यक्ष प्रादि प्रमाणों द्वारा सिद्ध जैसे,—मृतप्राय । ३, पूर्ण । हो। २ माननीय । मानने योग्य । ' ठीक । सत्य । ४ शास्त्रसिद्ध । ५ हैतुक । ६ जो प्रमाणों को मानता हो। प्रायः-सज्ञा पुं० १ अनशनादि तप जिससे मनुष्य शक्तिहीन होकर ७ प्रमाण सबधी (को०' | प्रमाणरूप । प्रमाणस्वरूप मृतक के तुल्य हो जाता या मर जाता है । २ मृत्यु । जैसे, (को०) । ६ शास्त्रज्ञ । प्रायगत । ३ अवस्था । उन्न । ४ अधिक्ता । वाहुल्य (को०) । प्रामाणिक-सञ्ज्ञा पुं० [स०] १ व्यापारियो का मुखिया । २ प्रायगत-वि० [सं० ] जिसके मरने में अधिक विलब न हो । जो मर प्रमाण को जानने माननेवाला । न्यायशास्त्र का ज्ञाता । ३ रहा हो । प्रासन्नमृत्यु। एक जातीय उपाधि। प्रायण-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना । प्रामाण्य-मञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ प्रमाणता । प्रमाण का भाव । २ स्थानातर गमन । २ एक शरीर त्यागकर दूसरे शरीर में मान मर्यादा । ३ विश्वास कराने की योग्यता या शक्ति । जाना। शरीरपरिवर्तन । ३ जन्मातर । ४ अनशन व्रत विश्वसनीयता। द्वारा शारीरत्याग । ५ वह पथ्य या पाहार जो मनशन व्रत प्रामाण्यवादी-वि० [सं० प्रामाण्यवादिन ] जो प्रमाण में विश्वास की समाप्ति पर ग्रहण किया जाता है। पारण । ६ प्रवेश । करता हो (को०] । प्रारभ । ७ जीवनपथ। जीवितावस्था। ८ शरण लेना प्रामादिक-वि० [स०] १ प्रमादजनित । २ दोषयुक्त । दूपित । (को०)। ६ एक प्रकार का खाद्य पदार्थ जो दूध में मिलकर जिसमे दोष हो । उ०-जिन्हें प्रामादिक तर्क-प्रमाण-शून्य बनता था। समझकर विद्वान् उपेक्षा के ही साथ सुनते भाए हैं।- प्रायणीय'- सच्चा पुं० [सं०] १ सोमय याग में पहली सुत्या के दिन रस क०, पृ०१३ । का कर्म। २ प्रारभिक कर्म । उदनीय का उल्टा। ३ सोम प्रामाध-सञ्ज्ञा ५० [सं०] १ अह सा । २ श्रुटि । गलती। भूल याग का प्रथम दिवस (को॰) । (को०) । ३ पागलपन । उन्माद । प्रामित्य-सज्ञा पुं० [सं०] १. ऋण । कर्ज । २ मरण । मृत्यु (को॰) । प्रायणीय-वि० प्रारम सबंधी। प्रारभिक । जैसे, प्रायणीय याग, प्रायणीय कर्म, प्रायणीयाति रात्र, प्रायणीयेष्टि इत्यादि । प्रामिसरी नोट-प्रथा पुं० [अ० ] दे० 'प्रामीसरी नोट' । प्रायत्य-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] पवित्रता । पूतता । शुद्धता को०] । प्रामीसरी नोट-सञ्ज्ञा पुं० [अ० ] १ वह लेख या पत्र जिसपर प्रायदर्शन-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] साधारण घटना, जो प्राय देखने में लिखनेवाला अपना हस्ताक्षर करके यह प्रतिज्ञा करे कि मैं माती हो । साधारण सी बात । अमुक पुरुष को, या जिसे वह प्राज्ञा या अधिकार दे, या जिसके पास यह लेख हो, किसी नियत समय पर, या जब प्रायद्वीप-सज्ञा पुं० [सं० प्रायोद्वीप ] स्थल का वह भाग या प्रश वह मांगे या जब वह उसे दिखलावे, तब इतना रुपया दे जो तीन मोर पानी से घिरा हो और केवल एक मोर किसी दूंगा । हुसी। २ वह सरकारी कागज या ऋणपत्र जिसमें बड़े स्थल से मिला हो । प्रायोद्वीप । सरकार पपनी प्रजा से कुछ ऋण लेकर यह प्रतिज्ञा करती है प्रायभव-वि० [सं०] जो साधारण रीति से मथवा प्राय. होता कि मैंने इतना ऋण लिया और इसका सूद इस हिसाब से इस हो। साधारण । लेख के मालिक को दिया करूंगी। प्रायवृत्त-वि० [सं०] जो बिलकुल गोल या वर्तुलाकार न हो पर विशेष-इसकी भवघि निश्चित रहती है। ऐसी हुडी का सर बहुत कुछ गोल हो । पठाकार। कारी खजाने से बरावर समय समय पर सूद मिला करता है। प्रायश:-कि० वि० [सं० प्रायशस् ] प्राय । बहुधा । अकसर ।