पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/६१

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पटाकार २७७० पटीमा क्रि०प्र०--जमाना ।-देना --लगाना । पटालुका-सशा खी० [म०] जोक । जलौका । पटाका-सञ्ज्ञा स्त्री० युवती अथवा कम अवस्थावाली स्त्री पटाव-सशा पुं० [हिं० पाटना] १ पाटने की क्रिया । २ पाटने का ( वाजारू)। भाव । ३ पटा हुमा स्थान । पाटकर चौरस किया हुषा पटाका-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ म० ] दे० 'पताका' [को॰] । स्थान । ४ दीवारो के आधार पर पाटकर बनाया हुअा मेंचा स्थान । पाटन । ५ लकडी का वह मजबूत तस्ता जिसे पटाक्षेप-सञ्चा पुं० [स०] पर्दा गिरना या गिराना । जवनिका दरवाजे के ऊपरी भाग पर रखकर उसके ऊपर दीवार गिराना । जवनिकापात [को०] । उठाते है । भरेठा। पटाखा-मञ्ज्ञा पुं० [हिं० पट अनुध्व.] दे० 'पटाका' । पटि-सचा सी० [सं० पटी] १ कोई छोटा वस्त्र या वस्तखड । २ पटाकर+-वि० [हिं० पटा+झरना ] मदनावी । मतवाला ( हाथी ) । उ०-वस नहिं होत सुजान पटाझर गज जलकुभी । ३ रगमच का पर्दा (को०) । ४ कनात (को॰) । है जैसे । कमल नाल के ततु बंधे रुकि रहिहै कैसे । -व्रज० पटिया-पशा स्त्री॰ [हिं० ] दे० 'पटिया' । ग्र०, पृ०७०। पटिका-सज्ञा स्त्री॰ [स०] कोई छोटा वस्स या वन्यसड । पटान-सचा त्री० [हिं० पाट ना] पाटने की क्रिया या भाव । पटिक्षेप-सशा पु० [सं०] यवनिकापात । रगमच का पदो गिराना पटाव। (को०] । पटाना-क्रि० स० [हिं० पट ( = समतल) ] १ पाटने का काम पटिया-सरा सी० [० पट्टिका ] १ पत्थर का प्राय चौकोर कराना। गड्ढे आदि को भरकर आसपास की जमीन के और चौरस कटा हुआ टुकडा जिसकी मोटाई लवाई चौडाई वरावर कराना। २ छत को पीटकर बरावर कराना । ३ के हिसाब से बहुत कम हो। चिपटा चौरस शिलासह । पाटन वनवाना छत बनवाना । जैसे, कोठा पटाना। ४ फलक । उ०-जहाँ मरिणजटित पटिया विछी है यही माधवी ऋण चुका देना । अदा कर देना । जैसे,-मैंने उनका सव कुज है। -शकु तला, पृ० ११२ । २ काठ का छोटा तख्ता। पावना पटा दिया । ५ वेचनेवाले को किसी मूल्य पर सौदा ३ खाट या पलग की पट्टी । पाटी। ४ पटरी। फुटपाथ । देने के लिये राजी कर लेना। मूल्य तै कर लेना। जैसे, उ०-एक युवक पुल की लकडी मे पटिया पर खडा पोस्ट सौदा पटाना।६ सीचना । जल से सिंचित करना। जैसे, आफिस की ओर मुख किए इस दृश्य को देख रहा था। खेत पटाना। पिंजरे०, पृ० १६ । ५ मांग । पट्टी। उ०-समुझ की पटिया पटानारे-क्रि० प्र० शात होकर बैठना । चुपचाप बैठना। पारो सजनी पुटिया गुही सम्हार हो ।-कबीर श०, भा० २, पृ० १३४॥ पटापट-क्रि० वि० [अनु० पट ] लगातार वारवार 'पट' ध्वनि के साथ । निरतर पट पट शब्द करते हुए । 'पट पट' की ऐसी क्रि० प्र०-कादना ।—पारना ।-सँवारना । प्रावृत्ति जिसमें दो ध्वनियो के मध्य बहुत ही कम अवकाश ५ हेगा। पाटा । ६ कवल या टाट की एक पट्टी। ७ लिखने हो और एक सम्मिलित ध्वनि सी जान पडे । तेजी से । जैसे, की पट्टी। तख्ती। ८ संकरा और लवा खेत । पटापट मार पडी। उ०-प्रेम की घटा में बुद परे पटा पटिया-सा मी० [ हिं० पाटना + इया (प्रत्य॰)] चिपटे पट-पलटू०, पृ० २७ । तले की वही और ऊपर से पटी हुई नाव जो वदरगाहो मे पटापट-सज्ञा स्त्री० निरंतर पट पट शब्द की मावृत्ति । ऐसी 'पटपट' जहाज से वोझ उतारने और चढाने के काम में आती ध्वनि जिसमे दो ध्वनियो के बीच इतना कम अवकाश हो है ( लश०)। कि अनुभव मे न पा सके । जैसे,—इस पटापट से तो तबीयत पटिया-मजा पु० [ सं० पटि +ऐत ( प्रत्य० ) ] दायाद । पट्टी- परेशान हो गई। दार । उ०-माज अखाडे जाते हुए पहलवान रामसिंह के पटापटी--मक्षा सी० [अनु० ] वह वस्तु जिसमें अनेक रगो के फूल पडोसी पटियत से चार आँखें हुई, शीलवान मनोहर को पत्ते कढ़े हो । वह वस्तु जो कई रगो से रंगी हुई हो। चित्र उन्होने चग पर चढाया, कहा जोर कराने जा रहे हो।- विचित्र वस्तु । उ०-सारी जरतारी भारी उत चटापटी की काले०, पृ० २। लागी जामै गोट तमामी पटापटी की। रत्नाकर, भा० १, पटी'--ज्ञा मी० [सं०] दे० 'पटि' [को०] । पृ०६। पटी-सच्चा स्त्री॰ [ मं० पट ] १ कपडे का पतला लवा टुकडा । मुहा० - पटापटी का पर्दा = वह पर्दा जितमे रग विरग के फूल पट्टी। उ०-मीत विरह की पीर को सके न पलट्टग कांध । पत्ते या समोसे आदि कढे हो। पटापटी की गोट = वह रग रूप कपूर लगाइ के प्रीति पटी सो बांध।-रसनिधि बिरगी गोट जिसमें सिंघाडे आदि कढ़े हों। (शब्द०)। २ पटका। कमरवद । उ०-पोट पटी लपटी पटार--पज्ञा स्त्री॰ [ मं० पिटक ] १ पिटारा। पेटी। मजूषा । २ कटि मे अरु साँवरो सु दर रूप संवारे। -देव (शब्द०)। पिंजडा। ३ रेशम की रस्सी का निवार । ४ कनखजूरा । पटीमा-सचा पुं० [हिं० पट्टी ] छीपियों का वह तख्ता जिसपर वे ( देलखडी)। छापते समय कपडे को बिछा लेते हैं।