पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/८८

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त्थरचटारे २७६.७ पा मछली जो सामुद्रिक चट्टानों से चिपटी रहती है । ४ कजूस । अति सुकुमार तन परसत मन न पत्यात ।बिहारी मक्खीचूस। (शब्द०)। थरचटा-वि० जो घर की चारदीवारी से बाहर न निकला पत्यारा-सञ्ज्ञा पु० [स०] दे० 'पतिमारा' । उ०—(क) नैनन ते हो । कूपमडूक । निचुरचो परे नेह रुखाई के बैनन कौन पत्यारो।-देव ( शब्द०)। (ख) पी को उठाय कह्यो हिय लाय के है थरचूर-सज्ञा पु० [हिं० पत्थर + चूर ] एक प्रकार का पौषा । कपटीन को कौन पत्यारो।—देव (शब्द॰) । थरपानी-सञ्ज्ञा पु० [हिं० पत्थर + पानी ] दुभिक्ष । विनाश । पत्यारी-सज्ञा स्त्री० [म० पद क्ति ] पक्ति । कतार । उ०- मटियामेट । ( क ) चूनरी सी छिति मानो बिछी इमि सोहति इद्र- थरफूल-सज्ञा पु० [हिं० पत्थर + फूल ] छरीला । शैलास्य । बवू की पत्यारी। -द्विजदेव (शब्द०)। (ख) अवलो- स्थरफोड़-मा पु० [हिं० पत्थर + फोड़ना] १ छुदहुद पक्षी । कति इद्रबधू की पत्यारी, विलोकति है खिन कारी घटा । २ बहुत छोटी जाति की वनस्पति । -द्विजदेव (शब्द०)। विशेष—यह प्राय वर्षा ऋतु में दीवारो या पत्थर के जोडो पत्योरा-सञ्ज्ञा पु० [हिं० पता +ौरा (प्रत्य॰)] एक पकवान जो के वीच से निकलती है। इसकी पत्तियां बहुत छोटी होती अच्चू के पत्तो को पीठी मे लपेटकर घी या तेल मे तलने से हैं जो प्राय फोडो को पकाने के लिये उनपर बांधी जाती तैयार होता है। एक प्रकार का रिकवच । हैं । इसमे सफेद रंग के बहुत छोटे छोटे फूल भी लगते हैं । पत्रंग-सञ्ज्ञा पु० [ स० पत्रग ] पत ग नाम की लकडी या पेड । बक्कम । त्यरफोडा-सञ्ज्ञा पु० [हिं० पत्थर + फोड़ना ] पत्थर तोडने का पत्र-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १. किसी वृक्ष का पत्ता । पत्ती । दल । पर्ण । पेशा करनेवाला । संगतराश । यौ०-पत्रपुष्प । त्थरबाज-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० पत्थर + फा० बाज़ (= खेलनेवाला) ] १ पत्थर फेंककर किसी को मारनेवाला। २ वह जो प्राय २. वह वस्तु जिसपर कुछ लिखा हो। लेखाधार । लिखा हुआ कागज । पत्थर या ढेला फेंका करे। ३ वह जिसे पत्थर फेंकने का विशेष-कागज का आविष्कार होने के पहले बहुत दिनो तक अभ्यास हो। ढेलवाह। भारतवर्ष मे ताड के पत्तो पर लेख, पुस्तकें प्रादि लिखी त्थरबाजी-नज्ञा स्त्री० [हिं० पत्थरबाज ] पत्थर फेंकने की क्रिया । जाती थी । इसी अभ्यासवश लेखयुक्त कागज, ताम्रपट आदि पत्थर फेंकाई । ढेलवाही। को भी लोग पत्र कहने लगे। त्थला-रक्षा पु० [ स० प्रस्तर ] दे० 'पत्थर' । ३ वह कागज या ताम्रपट आदि जिसपर किसी विशेष व्यवहार त्निी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ स०] विधिपूर्वक विवाहिता स्त्री। वह स्त्री के प्रमाणस्वरूप कुछ लिखा गया हो। वह कागज जिसपर जिसके साथ किसी पुरुष का शास्त्रानुसारी रीति से विवाह किसी खास मामले की सनद या सबून के लिये कुछ लिखा हुमा हो। हो । जैसे, दानपत्र, प्रतिज्ञापत्र आदि । पर्या०- जाया । भार्या । दयिता । कलन । वधू । सहधर्मिणी । क्रि० प्र०-लिखना। दारा। दार । गृहिणी । पाणिगृहीता। क्षेत्र । जनि । लेख जो किसी व्यवहार या घटना के प्रमाण या सनद के लिये लिखा गया हो । कोई वसीका, पट्टा या दस्तावेज । पत्नीमत्र-सञ्ज्ञा पु० [ स० पत्नीमन्त्र ] एक वैदिक मत्र । क्रि० प्र०-लिखना। पत्नीयूप-शा पु० [ स०] यज्ञ मे देवपत्नियो के लिये निश्चित ५ चिट्ठी । पत्री । खत । क्रि० प्र०-लिखना। स्थान। पत्नीव्रत-सञ्ज्ञा पुं० [स०] अपनी विवाहिता स्त्री के अतिरिक्त ६. समाचारपत्र । खवर का कागज या अखवार । और किसी स्त्री से गमन न करने का सकल्प या नियम । क्रि० प्र०-चलाना। -निकालना। पत्नीशाला-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] यज्ञ मे वह गृह जो पत्नी के लिये यौ०-पत्रसपादक। बनाया जाता है। यह यज्ञशाला के पश्चिम पोर होता है। ७ पुस्तक या लेख का एक पन्ना । पृष्ठ । सफा । पन्ना।८ धातु की चद्दर । पत्तर । वरक । जैसे, स्वर्णपत्र। तीर या पत्नीसयाज, पत्नीसयाजन-मज्ञा पुं० [ मं० ] विवाह के पश्चात् पक्षी के पख । पक्ष । १०. तेजपात । ११ चिडिया। पखेरू। होनेवाला एक वैदिक कर्म । १२ कोई वाहन या सवारी। जैसे, रथ, बहल, घोडा, ऊँट पत्न्याट -सञ्ज्ञा पुं० [ स० ] अत पुर । पत्नी का वासगृह (को०] । आदि । १३ कस्तूरी, केशर, चदन प्रादि द्रव्यो से कपोल या पत्य-सञ्ज्ञा पु० [ स०] पति होने का भाव । जैसे, सैनापत्य । स्तनो की सजावट (को०)। १५ शस्त्र की धार । असि या पत्याना-क्रि० स० [हिं० ] दे० 'पतिप्राना'। उ०- दरसत कुठार आदि का फल (को०) । १५. कटार । छुरा (को०)। 1 सहचरी । गृह ।