पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 6.djvu/८७

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पत्थर २७४६ पत्थरचटा जडवुद्धि अथवा परम कृपण व्यक्ति आदि के संबंध के यह पत्थर पसीजा है। पत्यर पिघलना= दे० 'पत्थर होता है। पमीजना'। पत्थर मारे भी न मरना = मरने का कारण या पर्या-पापाण । ग्रावन् । स्पल। अश्मन् । दृपत् । पादारुक सामान होने पर भी न मरना। वेहयाई से जीना । निहायत काचक । शिला। सस्त जान होना। पत्थर सा खींच या फेंक मारना = बहुत यो०-पत्थरकला । पत्थरचटा । पत्यरफोड़ा । वडी बात कहना या उत्तर देना । ऐसी बात कहना जो सुनने- मुहा० -- पत्थर का कलेजा, दिल या हृदय = अत्यत कठोर हृदय । वाले को असह्य हो। लट्ठमार वात कहना या उत्तर देना। पत्थर से सिर फोड़ना या मारना = असभव वात के लिये वह हृदय जिसमे, दया, करुणा, भादि कोमल वृत्तियो का स्थान न हो। किसी के दुख पर न पसीजनेवाला दिल या हृदय । प्रयत्न करना । व्यर्थ सिर खपाना। अत्यत मूर्ख को समझाने मे श्रम करना। पत्थर का छापा = (१) छपाई का वह प्रकार जिसमें ढले हुए अक्षरो से काम नहीं लिया जाता, बल्कि छापे जानेवाले २ सडक के किनारे गडा हुआ वह पत्यर जिसपर मील के लेख की एक पत्यर पर प्रतिलिपि उतारी जाती है और उसी सख्यासूचक अंक खुदे होते हैं। सडक की नाप सूचित करने- पत्थर के ऊपर कागज रखकर छापते हैं। लीथोग्राफ । वाला पत्थर । मील का पत्थर । जैसे,—तीन घटे से हमलोग लीथो की छपाई । विशेष दे० 'प्रेस'। (२) पत्थर के छापे चल रहे हैं, लेकिन सिर्फ चार पत्थर पाए हैं। में छपा हा विषय या लेख। पत्थर के छापे का काम । ३. भोला । विनौली। इद्रोपल । पत्थर के छापे की छपाई। जैसे,—( किसी पुस्तक की छपाई क्रि०प्र०-गिरना ।-पढ़ना। के विषय मे) यह तो पत्थर का छापा है। पत्थर की छाती = मुहा०-पत्थर पढ़ना = (१) चौपट हो जाना । नष्टभ्रष्ट हो कभी न टूटनेवाली हिम्मत अथवा कभी न हारनेवाला दिल । जाना । जैसे,—तुम्हारी बुद्धि पर पत्थर पड गया है। असफलता या कष्ट से विचलित न होनेवाला हृदय । बलवान (२) कुछ न पाना। मनोरथ भग होने का सामान मिलना। और दृढ हृदय । मजबूत दिल । पक्की तबीयत । जैसे—सच सियापा पड जाना या पहा पाना । जैसे,-भाग्य की बात मुच उस मनुष्य की पत्थर की छाती है, इतना भारी दुख सह है कि जहाँ जहाँ जाता हूँ वही पत्थर पड जाते हैं। पत्थर लिया, प्राह तक नहीं की। पत्थर की लकीर = सदा सर्वदा पड़े = चौपट हो जाय । मारा जाय । ईश्वर का कोप पडे । वनी रहनेवाली ( वस्तु ) । सर्वकालिक । अमिट । पक्की। (अभिशाप और अक्सर तिरस्कार या निंदा के अर्थ में भी स्थायी । जैसे,—पोछो की मित्रता पानी की लकीर और बोलते हैं। जैसे,-पत्थर पडे ऐसी अोछी समझ पर । ) सज्जनों को मित्रता पत्थर की लकीर है। ( कहावत)। पत्थर पानी = महाभूतो की प्रतिकूलता अथवा प्रकोप का पत्थर को जोक लगाना = अनहोनी या असभव बात करना। काल । आँधी पानी आदि का काल । तूफानी समय । वह कार्य करना जो औरो के लिये असाध्य हो। जैसे, अत्यत जैसे,-भला इस पत्थर पानी में कौन जान देने जायगा? कृपण से दान दिलाना, अत्यत निर्दय के हृदय ४ रत्न । जवाहिर । हीरा, लाल, पन्ना प्रादि । ५ पत्थर का कर देना, वज मूर्ख को समझा देना, आदि । पत्थर चटाना = का सा स्वभाव रखनेवाली वस्तु । परथर की तरह कठोर, पत्थर पर घिसकर धार तेज करना । छुरी, कटार, आदि की भारी अथवा हटने गलने आदि के अयोग्य वस्तु । जैसे, अत्या- घार पत्थर पर रगडकर तेज करना। पत्थर तले हाथ चारी का हृदय, जडबुद्धि का मस्तिष्क, बडा ऋण, दुर्जर श्राना= ऐसे सकट में फंस जाना जिससे छूटने का उपाय न भोज्य, आदि। दिखाई पडता हो। बुरी तरह फंस जाना। भारी सकट में कि० प्र०-वनना । वन जाना ।—होना । फैम जाना। पत्थर तले हाथ दवना = दे० 'पत्थर तले हाथ पाना' । पत्थर तले से हाथ निकालना = सकट या मुसीबत ३ कुछ नहीं। बिलकुल नहीं । खाक । (तुच्छता या तिरस्कार के से छूटना । पत्थर निचोड़ना=(१) जो वस्तु जिससे साथ अभाव सूचित करता है)। जैसे,—(क) तुम इस मिलना असभव हो वह वस्तु उससे प्राप्त करना। किसी से किताब को क्या पत्थर समझोगे । ( ख ) वहाँ क्या पत्थर उनके स्वभाव के प्रत्यत विरुद्ध कार्य कराना। (२) अन- रखा है? होनी वात या असभव कार्य करना। ( विशेष—इस मुहावरे पत्थर कला-सज्ञा पुं॰ [ हिं० + पत्थर कल ] पुरानी चाल की वदूक का प्रयोग विशेषत कृपण के मन में दान की इच्छा या निर्दय जिसमे बारूद सुलगाने के लिये चकमक पत्थर लगा रहता था। के हृदय मे दया का भाव उत्पन्न करने के अर्थ में होता है। ) तोडेदार या पलीतेदार बदूक । चाँपदार बदूक । पत्थर पर दूब जमना = अनहोनी वात या असभव काम विशेष-दे० 'बदूक'। होना । ऐसी बात होना जिसके होने की आशा सर्वथा छोड पत्थरपटा-मज्ञा पुं० [हिं० पत्थर + अनु० चट चट या हिं० दी गई हो। जैसे, वध्या समझी जानेवाली के पुत्र होना चाटना] १ एक प्रकार की घास जिसकी टहनियाँ नरम आदि । पत्थर पसीजना = अनहोनी वात होना । अत्यत कठोर और पतली होती हैं। इसकी पत्तो को लडके मुट्ठी के गड्ढे चित्त में नरमी, कृपण के मन मे दानेच्छा, अत्याचारी के मन के मुह पर मारते हैं तो चट चट शब्द होता है। २ एक में दया उत्पन्न होना, यादि । जैसे,-तीन वर्ष की तपस्या से प्रकार का साँप जो पत्थर चाटता है। ३ एक प्रकार की मे दया उत्पन्न