पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/१३४

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. बदलाई ३३७३ घद्दल बदलाई -संज्ञा स्त्री० [हिं० बदला + ई या प्राई (प्रत्य॰)] बदलने किसी बात के होने का पक्का । जैसे,- श्राज कुश्ती की की क्रिया । परिवर्तन । उ०-भारतमाता | क्यों हो इतनी घदान है। घबगई। की है उसने केवल कर की वदलाई।-सूत०, बदाबदी-संज्ञा स्त्री० [हिं० बदना] दो पक्षों की एक दूसरे के पृ०३७। विरुद्ध प्रतिज्ञा या हठ । लाग डाट । होड़ा होड़ो। होड़ । बदलाना-त्रि० स० [बदलना का प्रे० रूप ] बदलवाना । उ.-कौन सुनै कासों कही सुरति बिसारी नाह । बदाबदी जिय लेत हैं ये बदरा बदराह ।-बहारी (शब्द॰) । बदली'- संज्ञा स्त्री० [हिं० बादल का अल्पा०] फैलकर छाया हुमा वादल । घनविस्तार । जैसे,—प्राज बदली का दिन है। बदाम-संज्ञा पुं० [फा० बादाम दे० 'बादाम'। वदली-संज्ञा स्त्री० [हिं० बदलना ] १. एक स्थान पर दूसरी वस्तु बदामी'-वि० [ फा० बादामी ] दे० 'बादामी' । की उपस्थिति । बदामी-सज्ञा पुं० कौड़ियाले की जाति का एक पक्षी। एक प्रकार का किलकिला। यौ०-- अदला बदली। बदि-संज्ञा स्त्री॰ [ सं० वर्त ( = पलटा)] बदला । एवज । २. एक स्थान से दूसरे स्थान पर नियुक्ति । तवदीली । तबादला । स्थानापन्न करने या होने का भाव । जैसे,—यहाँ से उसकी बदली दूसरे जिले मे हो गई। ३. एक के स्थान पर दूसरे की तैनाती । जैसे,—अभी पहरे की बदलो बदि-अय्य० १. बदले में । एवज में। पलटे में। उ०—(क) नहीं हुई है। एक कौर लीजै पितु की बदि एक कोर बदि मोरा। एक कौर कैकेयी की, बदि एक सुमित्रा कोरा ।-रघुराज बदलौवल-संशा स्त्री० [हिं० वदलना ] अदल बदल । हेर फेर । (शब्द०)। (ख) बोले कुरुपति वचन सुहाए। हम नरेश परिवर्तन । सबकी बदि पाए ।-रघुराज (शब्द०)। २. लिये । वास्ते । बदशकल-वि० [फा० ] कुरूप । वेडौल । भद्दी सूरत का । खातिर। उ०-इनकी बदि हम सहत यातना। हरिपार्पद बदशगून-वि॰ [फा० ] अशुभ । मनहूस । अब प्रान बात ना ।-रघुराज (शब्द०)। वदशगूनी-संज्ञा स्त्री॰ [फा० ] अमंगल । बदकिस्मती । उ०-न बदिर-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [हिं० ] दे० 'बदी"। 30-बदि भादौ पाठ जाने लोगों को अपनी नाक काटकर औरो की बदशगूनी दिना, अरघ निसा बुधबार ।-नंद ग्रं॰, पृ० ३३६ । करने में क्या मजा आता है। -श्रीनिवास ग्रं०, पृ० १७४ । बदो-सज्ञा स्त्री॰ [फा० बद ( = बुरा, खराव ) ] कृष्ण पक्ष । बदसलूकी-संज्ञा स्त्री० [ फ़ा० बद+प्र० सलूक ] १. बुरा व्यव अंधेरा पाख । सुदी का उलटा । जैसे, सावन बदी तीज । हार । अशिष्ट व्यवहार । २. अपकार । बुराई । बदी-सञ्ज्ञा सी० [ फा०] बुराई । अपकार । अहित । जैसे,—नेकी क्रि० प्र०—करना । —होना । बदी साथ जाती है। बदसूरत-वि० [फा० बद + सूरत ] [ संशा बदसूरती ] कुरूप । क्रि० प्र०-करना ।होना । भद्दी सूरतवाला । वेडौल । बदीत-वि० [ मं० व्यतीत ] व्यतीत । बीता हुआ। बोता । बदस्तूर-क्रि० वि० [ फ़ा० ] मामूली तौर पर । जैसा था या रहता उ.-वर्ष बदीन भए कलिकाल के जैसे चमालीस चार है वैसा ही। जैसे का तैसा। ज्यों का त्यों। बिना फेरफार । हजारा ।-सुदर० प्र० (जी०), भा० १, पृ० १२६ । जैसे,—जो बातें पहले थी अब भी बदस्तूर कायम हैं । बदूख-संज्ञा स्त्री॰ [हिं०] दे॰ 'बदूक' । बदहजमी-स्त्री० [ फ़ा० बदहज़मी ] अपच । प्रजीणं । बो-मध्य [ सं० वर्त (= पलटा)] १. वास्ते । लिये । खातिर । बदहवास-वि० [फा०] [संज्ञा बदहवासी ] १. बेहोश । अचेत । अर्थ । उ०—तुम्हारे बदे तो नरक बना है अग्निकुंड में २. व्याकुल । विकल । उद्विग्न । ३. श्रांत । शिथिल । पस्त । डारी ।-कबीर० श०, भा० ३, पृ० ३४ । २. दलाली बदहाल-वि० [फा०] बुरी हालत का । दुर्दशाग्रस्त । समेत दाम । (दलाल)। बदहाली-सज्ञा स्त्री० [फा०] तंगी। गरीवो। उ०—भूख और बदौलत-क्रि० वि० [ फ़10 ] १. प्रासरे से । द्वारा । अवलंब से। बदहाली ने उनकी आत्मा को कुचल दिया है ।--गोदान, कृपा से । जैसे,—जिसकी बदौलत रोटी खाते हो, उसी के साथ ऐसा। २. कारण से । सबब से। वजह से । जैसे,- बदा-संज्ञा पुं० [हिं० बदना] वह जो कुछ भाग्य में लिखा हो । तुम्हारी बदौलत यह सुनना पड़ता है। नियत । विपाक । जैसे,—वह तो अपना अपना बदा है।' बदर-संज्ञा पुं० [हिं०] दे॰ 'बादल'। उ०-बद्दर की छाही, बदा-वि० [फा० बद+पाहू ( =ऐव, दोष )]। ठग। सो जीवन जग माही ।-(शब्द०)। वटमार । लुटेरा । उ०—साहू थे सो हुए बदाऊँ लूटन लगे - बद्दल@-संशा पुं० [ सं० वारिद, प्रा० बद्दल ] ३० 'बादल'। उ०- घर बारा ।-कबीर०।०, पृ० ५७ । बढ़ि बढि घनं घट सीस जरे। जनु बद्दल बद्दल बीज परे । बदान-संचा रखी० [हिं० बदना ] बदे जाने की क्रिया या भाव । . -पृ० रा०, २४ । १६० । (ख) बद्दल समान मुगलद्दल उडे... प्रतिज्ञापूर्वक पहले से किसी बात का स्पिर किया जाना । फिर।-भूषण (शब्द०)। पृ०३॥