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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/२३०

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बालाचर्य पलिमखीरा To प्रादि। उ०-बाल बरित हरि बहु विधि कीन्हा । प्रति बालपाश्या-मंशा न्यौ० [सं०] सिर के बालो में पहनने का प्राचीन प्रानंद दासन्ह कह दीन्हा । -मानस, १२०३ । काल का एक प्रकार का प्राभूषण । वालचय-सडा पु० [ स०] कातिकेय । वालपुष्पो-संज्ञा त्री० [सं०] जूही । बालचर्या-संशा ग्वी० [सं०] १. बाल नरित । २. बच्चो की देख रेख । बालबच्चे-संज्ञा स्त्री स० बाल + हिं० पचा ] लड़के वाले । वालचुंबाल-संशा पुं० [स. वालचुम्वाल ] मत्स्य । मछली [को०] । संतान । पोलाद । वालछड़-सा स्त्री॰ [ देश० ] जटामासी। वालविधवा- सना ली० [सं०] वह स्त्री जो बाल्यावस्था ही मे बालज-वि० [स०] के शनिर्मित । रोमनिर्मित । रोएँ का बना विधवा हो गई हो। हुप्रा को०] । बालविवाह-सज्ञा पुं० [ स०] वह विवाह जो बाल्यावस्था ही में घालजातीय-वि० [सं०] बचपने का। यच्चों जैसा । साधारण । हा | छोटी अवस्था में होनेवाला विवाह । मूर्खतापूर्ण को०] । बालवुद्धि'- संज्ञा पी० [सं०] १. बालको की सी बुद्धि । छोटी। वालटो-मात्रा० [प्रं. बकेट ] एक प्रकार की डोलची जिसका बुद्धि । थोड़ी पक्ल । उ०-तुम्हारी बालबुद्धि की मुष्टि; पेदा चिपटा और जिसका घेरा नीचे की ओर संकरा और सह रहा था, वह इसे विनोद । -प्रभिशप्त, पृ० ४। २. ऊपर की ओर अधिक चौड़ा होता है। इसमें ऊपर की प्रार अल्पज्ञान या बुद्धि । उठाने के लिये एक दस्ता भी लगा रहता है । बालबुद्धि-वि० जिसकी बुद्धि बच्चो की सी हो । बहुत ही थोड़ी बालटू-भज्ञा पु० [हिं०] दे० 'वाद' । बुद्धिवाला। मंदबुद्धि । बालतंत्र-सज्ञा पु० [सं० बालतन्त्र ] वालकों के लालन पालन प्रादि बालबोध'-सञ्ज्ञा सो. [ स० ] देवनागरी लिपि । की विद्या । कौमारभृत्य । दायागिरी । बालबोध-वि० जो बालकों की समझ में भी पा जाय । बहुत बालतनय-संज्ञा पु० [सं० ] खैर का पेड़ । सहज । वालतण-संज्ञा पुं० [ ] नई नई उगी हुई हरी घास [को॰] । बाल ब्रह्मचारी-सशा पु० [सं० बालग्रमचारिन् ] वह जिसने बालतोड़-संशा सं० [हिं० बाल +तोड़ना ] एक प्रकार का फोड़ा बाल्यावस्था से ही ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया हो। बहुत ही जो शरीर मे का कोई बाल झटके के साथ टूट जाने के कारण छोटी उम्न से ब्रह्मचर्य रखनेवाला। उ०-वालब्रह्मचारी पति उस स्थान पर हो जाता है। इसमें कभी कभी पीड़ा होती है कोही । विश्वविदित छप्रिय कुल द्रोही।-मानस, ११ २७२ । और यह कभी कभी पक भी जाता है । बरटुट । बरतोर । बालभद्रक-संश पुं० [ स०] एक प्रकार का विष जिसे 'शांभव' भी बालदा-सज्ञा पुं० [सं० बलद] बैल । कहते हैं। बालदलक-संशा पुं० [सं०] खैर का पेड़ । वालभाव-मज्ञा पु० [सं०] १. बचपन । नासमझी । २. वाल्या. वस्था । ३. चापल्य [को०] । बालदिल-संज्ञा स्त्री० [हिं० बालद+ई (प्रत्य) ] दे० 'बरदी', 'बलदी' । उ०-छाडि पुरानी जिद्द अजाना बालदि हाकि बालभु-सज्ञा पुं॰ [ सं० वल्लभ ] वल्लभ । प्रिय । पति । उ०--- सबेरिया के।-२० बानी, पृ० २७ । पचिरे मिलत तोहि वालगु पुरत मनोरथ रे |-विद्यापति, पृ० ३५५। वालधन-संज्ञा पु० [स०] वह सपत्ति या धन जो नावालिग का हो । बालभैषज्य-संज्ञा पुं॰ [सं०] रसांजन । वालक की सपत्ति [को०] । बालधि-संज्ञा पुं० [सं०] दुम । पूछ । उ०-फानन दलि होली रचि बालभोग-सज्ञा पु० [सं० १. वह नेवेद्य जो देवतामो, विशेषतः बनाई । हठि तेल वसन वालघि बधाइ । —तुलसी (शब्द०)। बालकृष्ण आदि को मूर्तियो के सामने प्रातःकाल रखा जाता है। उ०-तब वा डोकरी ने नाग जी को बाबभोग को वालधी-सज्ञा स्त्री॰ [सं० बालधि ] पूछ । दुम । उ०-वालधी महाप्रसाद अनसखड़ो तथा दूध की (सामग्री) पागे घरी।- विसाल विकराल ज्वाल बाल मानी लंक लीलिवे को काल दो सौ बावन०, भा० १, पृ०८। २. जलपान । कलेवा । रसना पसारी है-तुलसी न०, पृ० १७० । नाश्ता। पालना-कि० सं० [सं० ज्वलन ] १. जलाना । जैसे, भाग बालना। वालभोज्य-संगा पुं० [स०] चना । २. रोशन करना । प्रज्वलित करना । जैसे, दीशा वालना । बालम-संग सं० पुं० [सं० वत्जभ ] १. पति । स्वामी । २. प्रणयी। बालपत्र-तज्ञा पुं॰ [सं०] १. खैर का पेड़ । २. गवासा। प्रेमी । जार। बालपन-सा पुं० [स० पाल+हिं० पन या पना (प्रत्य॰)] १. वालमखीरा- पुं० [हि. बालम+सीरा] एक प्रकार का बालक होने का भाव । २. बालक होने की अवस्था । बडा सोरा । इसकी तरकारी बनती है और वोज यूनानी लड़कपन । वचपन । उ०-बालपना सब खेल गवाया तरुन दवा के काम में आते हैं। 30-नारंग पारित तुरंज भीरा। भया नारी बस भा रे ।-कबीर० स०, पृ० २६ । पो हिंदवाना चालमखोरा।-जायसी (शब्द०)।