पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४१४

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माप भावाभास का त्याग। होना । २. उत्पति और लय वा नाश । ३ जनों के अनुसार भाव कहाँ वह रवि शशि प्रानि संजोग परे ।-सूर (शब्द॰) । का अभाव अथवा वर्तनान का भूत में होनेवाला परिवतंन । विशेष साधारणतः भाग्यवादियो का विश्वास होता है कि कुछ भावाभास-संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का अलंकार'। अनुचित घटना या बातें ऐसी होती हैं जिनका होना पहले से ही किसी स्थान पर भाव की अभिव्यक्ति । भाव का आभास होना । अदृश्य शक्ति के द्वारा निश्चित होता है। ऐसी ही बातों को कृत्रिम या वनावटी भाव । 'भावी' कहते हैं। भावार्थ- संज्ञा पुं० [सं] १. वह प्रर्थ वा टीका जिसमें मुल का केवल ३. भाग्य | प्रारब्ध । तकदीर । ४. सुदर । भव्य । शोभन माव आ जाय, अक्षरशः अनुवाद न हो। २. अभिप्राय । (को०) । ५. अनुरक्त । प्रासक्त (को॰) । तात्पर्य । मतलब। भावुक'-मंज्ञा पुं० [सं०] १. मंगल । प्रानंद । २. बहनोई । भावालंकार-संज्ञा पुं॰ [स० भावालङ्कार ] एक प्रकार का अलंकार । (नाट्योक्ति में )। ३ सज्जन । भला श्रादमी । ४. भावना- भावाव-वि० [सं०] कोमल । नाजुक । दयालु । प्रधान भाषा । अनुराग या रसयुक्त भाषा (को॰) । भावाश्रित-सज्ञा पुं० [सं०] १. संगीत मे वह नृत्य जिसमें अंगों से भावुक-वि० १. भावना करनेवाला। सोचनेवाला । २. जिसके मन में भावों का विशेषतः कोमल भावों का संचार होता हो । भाव बताया जाय । २. संगीत में हस्तक का एक भेद । गाने जिसपर कोमल भावों का जल्दी प्रभाव पड़ता हो । ३. रसज्ञ | के भाव के अनुसार हाथ उठाना, घुमाना मोर चलाना । सहृदय (को०)। ४. भावी । होनेवाला (को०)। ५. उत्तम भाविक'-संज्ञा पुं० [सं०] १. वह पनुमान जो अभी हुआ न हो पर भावना करनेवाला। अच्छी बातें सोचनेवाला । उ०-~भावुक होनेवाला हो । भावी अनुमान । २. वह अलकार जिसमे भूत जन से ही महत्कार्य होते हैं, ज्ञानी संसार प्रसार मान रोते और भावी बातें प्रत्यक्ष वर्तमान की भांति वर्णन की गई हों। हैं।-साकेत, पृ० २४१ । भाविक'-वि०१. भावी होनेवाला । २. स्वाभाविक । वास्तविक । भावैल-पव्य० [हिं० भाना ] चाहे । दे० 'भावइ । उ०-भाव ३. भावुक 1@४, जाननेवाला । मर्मज्ञ । उ०-बरनौ तास चारिहु जुग महि पूरी। भाव मागि बाउ जल धुरी।- सुवन पद पंकज । जो विराग भाविक मनरजक ।-रघुराज जायसी (शब्द०)। (शब्द०)। भावित-वि० [सं०] १. जिसकी भावना की गई हो। सोचा भावोत्सर्ग-संज्ञा पुं॰ [ सं० ] जनों के अनुसार क्रोध प्रादि दुरे भावों हुआ। विचारा हुमा । २. मिलाया हुपा । ३. शुद्ध किया भावोदय-संज्ञा पुं० [ सं० ] एक प्रकार का अलंकार जिसमें किसी हुमा । ४. जिसमे किसी रस आदि की भावना दी गई हो। भाव के उदय होने की अवस्था का वर्णन होता है । जिसमें पुट दिया गया हो। ५. सुगंधित किया हुआ। बासा भावोहीपक-वि० [सं०] भावों को उद्दीपन करनेवाला । भाव को हुप्रा । ६. मिला हुआ। प्राप्त । ७. भेंट किया हुआ। उत्तेजित करनेवाला। समर्पित । ८. वीकृत (को॰) । भावोद्रेक-संज्ञा पुं० [सं० भाव+उद्रेक] भावावेश । भावों का उत्थान । भाविता-संज्ञा स्त्री॰ [स०] भावी का भाव । होनहार । होनी। भावातिरेक । उ०—जिस भावोद्रेक और जिस ब्योरे के साथ भावितात्मा-वि० [भावित् + श्रात्मन् ] १. वह जिसने अपनी नायक या नायिका के रूप का वर्णन किया जाता है उस भावो- आत्मा पवित्र कर ली हो। २. तल्लीन । ३. शुद्ध । पवित्र । द्रेक और उस ब्योरे के साथ उनका नही।-रस०, पृ०७। भावितात्मा-संञ्चा पुं० संत । महात्मा [को०) । भावोन्मत्त-वि० [सं०] भावों के कारण उन्मत्त । भावविह्वल । भावित्र-संञ्चा पुं० [सं०] स्वर्ग, मर्त्य पोर पाताल इन तीनों लोकों भावोन्मेष-सज्ञा पुं॰ [ सं०] भाव का उद्रेक । भाव का उदय । का समूह । त्रैलोक्य। भाव्य-वि० [सं०] १. अवश्य होनेवाला। जिसका होना बिलकुल भावित्व-संज्ञा पुं० [सं०] होनहार ।। निश्चित हो । भावी । २. भावना करने योग्य । ३. सिद्ध भाविनी-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. सौदर्यशील महिला । सुदरी स्त्री। या साबित करने योग्य । २. साध्वी स्त्री । सच्चरित्र महिला । ३. क्रीडाप्रिय या कुलटा भाव्य-सञ्ज्ञा पुं० होनी । भावी (को०] । स्त्री। ४. एक प्रकार की संगीतरचना [को०] । भाव्यता-संञ्चा बी० [सं०] होनी । भावी [को०] । भाविन्या-संश स्त्री० [सं०] १. सीता की एक सखी का नाम । भाष-पंज्ञा क्षी० [सं०/भाप्] भाषा । शब्द । वारणी । उ०- उ.-पुण्या परवीकला नीत्ति प्रहलादिनी क्रांता । भाविन्या अब पायो बैसाख भाष नहिं कत की।-सुंदर पं०, भा० १, शोभना लंबिनी विद्या शांता।-विश्राम (शब्द०)। २. पृ०३६३। होनहार । होनी | भावी । भाषक-संज्ञा पु० [सं०] बोलनेवाला। कहनेवाला। भावी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० भाविन् ] १. भविष्यत् काल । पानेवाला करनेवाला। समय । २. भविष्य मे होनेवाली वह बात या व्यापार भाषज्ञ-संज्ञा पुं० [सं०] भाषा जाननेवाला । भाषा का ज्ञाता। जिसका घटना निश्चित हो । मवश्य होनेवाली बात। भाषण-संञ्चा पुं० [स०] १. कथन । बातचीत । कहना । २. कृपा- गवितव्यता । उ०-भावी काहू सों न टरे । कहे वह राष्ट्र पूर्ण वाक्य । दया भरे शब्द (को०) । ३. व्याख्यान । वक्तृता । . भापण