सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भूतप्रकृति ३६८१ भूतहास भूतप्रकृति 1-सज्ञा ली [ स०] संसार की मूल कृति (को०] । भूतविद्या-पंज्ञा स्त्री० [म० ] प्रायुर्वेद का वह विभाग जिसमें भूतप्रतिपेध-संज्ञा पुं॰ [ स०] भूत प्रेतादि दूर करना (को॰] । देवता, असुर, गधवं. यक्ष, पिशाच, नाग, ग्रह, उपग्रह आदि भूतप्रेत- के प्रभाव से उत्पन्न होने वाले मानसिक रोगो का निदान मौर -सज्ञा पुं० [० ] भून और प्रेत आदि । उपाय होता है। यह उपाय बहुधा ग्रहशाति, पूजा, जप, भूतबलि~-सा सा [ स० ] भूतयज्ञ [को॰] । होमदान, रत्न पहनने और धौषध प्रादि के सेवन के रूप में भूतब्रह्मा-शा पु० [ H० भूतब्रह्मन् ] देवल । एक प्रकार का दान होता है। लेनेवाला ब्राह्मण। भूतविनायक-संज्ञा पु० [स०] शिव । भूतभर्ता-संशा पु० [ स० भूतभर्तृ ] शिव । भूतविभु-संश पुं० [स०] राजा [को०] । भूतभव्य --hi पु. [ स०] विष्णु । भूतवृक्ष -सक्षा पु० [म.] श्योनाफ। भूतभावन-शा पु० [म.] १. महादेव । शंकर । २. ब्रह्मा (को०) । भूतवेशी -मशा खी० [स०] निर्गुडी। ३. विष्णु : भूतभावी-20 स० भूतभाविन ] १. जीवों की सृष्टि करने वाला। भूतशुद्धि -सञ्ज्ञा स्त्री॰ [स०] नात्रिको के अनुसार शरीर की वह २. भूत या अतीत पोर भावी । शुद्धि जो पूजन आदि से पहले की जाती है और जिसे बिना किए पूजा का अधिकार नहीं होता । भिन्न भिन्न तत्रो में भुतभाषा-शा स्त्री० [सं०] पैशाची भाप: । चि० द० 'पेशापी'।' इस शुद्धि के भिन्न विधान दिए गए हैं। इसमें कई प्रकार के भूतभृत्-सा पु० [स०] विष्णु । जप ओर अगन्यास पादि करने पड़ते हैं । भूतभैरव-स -सज्ञा पुं० [सं० ] १. भैरव की एक मूर्ति का नाम ! २. भूतसंचार-संज्ञा पु० [ स० भूतसञ्चार ] भूतोन्माद नामक रोग । वैद्यक मे एक प्रकार का रस । विशेष -ग्रह हरताल और गंधक श्रादि से बनाया जाता है। भूतसचारी-प्रज्ञा पुं० [ स० भूतसञ्चारिन् ] वनाग्नि । दावानल । इसके सेवन से ज्नर, दाह, वात प्रकोप और कुष्ट आदि का भूतसंताप-शा पु० ( स० भूतसन्ताप ] पुराणानुसार एक दानव दूर होना माना जाता है। का नाम। भूतमहेश्वर- उज्ञा पु० [ स०] शिव । भूतसंप्लव-संज्ञा पुं॰ [सं० भूतसम्प्लव ] प्रलय । भूतमाता-संज्ञा स्रो० [सं० भूतमातृ ] गौरी। भूतसर्ग--संज्ञा पुं० [स० ] सृष्टि । जगत [को॰] । भूतमातृका -संज्ञा स्त्री॰ [ स०] पृथ्वी । भूतसाक्षी-संज्ञा पुं० [सं० भूतसाक्षिन् ] सब कुछ अपनी आँखों भूतमात्रा-सा बी० [सं०] पावो तन्मात्राएँ । वि० दे० 'तन्मात्र'। देखनेवाला। समस्त प्राणियो को जिसने अपनी प्रोखों से भूतयज्ञ-शा पु० [सं०] गृहस्थ के लिये कर्तव्य पंचयज्ञ में से एक यज्ञ । भूवलि । बलिवैश्व । भूतसिद्ध-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] तांत्रिकों के अनुसार वह जिसने भूत भूतयोनि'--सज्ञा पुं० [ स० परमेश्वर । प्रत प्रादि को सिद्ध पोर वश मे कर लिया हो। भूतयोनि-मज्ञा स्त्री० प्रेतयोनि । भूतसूक्ष्म-संज्ञा पुं॰ [स०] दे० 'तन्मात्र' । भूतराज-संज्ञा पु० [ मं०] शिव )- भूतसज-सज्ञा पुं॰ [ स०] सृष्टिकर्ता ब्रह्मा [को०] । भूतल-सज्ञा पुं० [ ] १. पृथ्वी का ऊपरी तल । धरातल भूतसृष्टि-सशा स्त्री० [सं०] १. महाभूतों की सृष्टि । समग्र महा- संसार । दुनिया । जगत् । ३. पाताल । भूत । २. भूनावेशजन्य भ्राति [को०] । भूतलशायी-० [३० भूतलशायिन् ] दे० 'धराशायी' । भूवस्थान-सचा पु० [स०] १. प्राणियों के रहने का स्थान । भूतलिका-राजा स्त्री० [सं०] असवर्ग । मनुष्यों के रहने का स्थान । २. प्रेतों का निवासस्थान [को०] । भूतवर्ग-राशा पु० [सं०] प्राणियो का समुदाय या परिवार | भूतह त्री-संज्ञा स्त्री० [सं० भूतहन्त्री ] १. नीली दूव । २. वांझ भूतवाद-संशा पुं० [सं०] भूत संबंधी मान्यता। भौतिकवाद । फकोड़ी। भूतवादो-वि• [ स० भूतवादिन] पूर्णतया सत्य या कहनेवाला (को० । भूतहत्या-संशा सी० [सं०] प्राणिवध । जीववध को०] | भूतवास- संज्ञा पृ० [ सं०] १. महादेव । २. विष्णु । ३. विभौतक भूतहन-संज्ञा पु० [ स० ] भोजपत्र का वृक्ष । वृक्ष । बहेड़े का पेड़ (को०)। भूतहर-मंचा पुं० [सं०] गुग्गुल । भूतवाहन-संश पु० [स०] महादेव । भूतहा-सा पुं० [सं० भूतहन् ] भोजपत्र का वृक्ष । भूतविक्रिया-संज्ञा स्त्री॰ [स०] १. अपस्मार रोग । २. भूतग्रस्तता। भूतहारी-संज्ञा पुं० [सं० भूतहारिन् ] १. देवदार । २. लाल फनेर । भूतबाधा । प्रेतवाषा (को०)। भूतहास-संत्रा पुं० [सं०] एक प्रकार का सन्निपात जिसमें इंद्रिया देखा हो। 0 २. तथ्य