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पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४६४

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भूटान। भोजपरीक्षक ओप विशेष-इसको लकडी बहुत लचोली होती है और जल्दी खराब भोज्यान्न-वि० [स० ] १. जिसका अन्न खाया ' जा सके । २. जो नहीं होती, इसलिये पहाडो में यह मकान आदि बनाने के खाने के योग्य हो ( अन्न आदि)। काम मे पाती है। इसकी पत्तियां प्राय: चारे के काम में पाती भोट-पशा पु० [सं० भोटाङ्ग] १. भूटान देश । २. तिब्वत । उ०- हैं। इसकी छाल कागज के समान पतली होनी है और कई जो तिब्बत ( भोट ) की सीमा पर सतलज की उपत्यका में परतो में होती है। यह छाल प्राचीन काल मे ग्रंथ और ७० मील लवा और प्रायः उतना ही चौड़ा बसा हुआ है।- लेख प्रादि लिखने में बहुत काम आती थो; और अब किन्नर०, पृ० १। २. एक प्रकार का बडा पत्थर जो प्रायः भी तांत्रिक लोग इसे बहुत पवित्र मानते और इसपर २।। इंच मोटा, ५ फुट लबा पोर १।। फुट चौड़ा होता है । प्रायः यत्र मंत्र श्रादि लिखा करते हैं। इसके अतिरिक्त छाल यौ०-भाटभापा = भूटान निवासियो या भाटियों की भाषा । का उपयोग छाते बनाने और छते छाने में भी होता है। और उ०-हमारी बातचीत भोट भाषा में हो रही थी।-किन्नर ०, कभी कभी यह पहनने के भी काम प्राती है। छाल का रग पृ० ४२। प्रायः लाली लिए खाकी होता है। इसके पचों का क्वाथ भोटांग-सा पु. [ स० भोटाङ्ग वातनाशक माना जाता है । वैद्यक में इसे बलकारक, कफना- भोटिया -संज्ञा पु० [हिं० भोट+इया (प्रत्य० ) ] भोट या भूटान शक, क्टु फपाय और उष्ण माना गया है । देश का निवासी। पर्या-चर्मी । बहुतल्कल । छत्रपत्र । शिव । स्थिरच्छद । भोटिया-संज्ञा स्त्री० भूटान देश की भाषा । मृदुत्व । पत्रपुापक । भुज | यहुपट । बहुत्वक् । भोटिया-वि० भूटान देश संबधी । भूटान देश का । जैसे,-भोटिया भोजपरीक्षक-संज्ञा पु० [सं०] रसोई की परीक्षा करनेवाला । वह जो इस बात की परीक्षा करता हो कि भोजन में विष आदि भोटिया वादाम-संज्ञा पु० [हिं० भोटिया-+फा बादाम] १. वाल तो नही मिला है। वुखा। २. मूगफली। भोजपुरिया'-संज्ञा पुं० [हिं० भोजपुर+ इया ( प्रत्न०)] भोजपुर भोटी-वि० [हिं० भोट + ई (प्रत्य॰)] भूटान देश का । का निवासी । भोजपुर का रहनेवाला। भोटीय-वि० [सं०] भोट देश या भूटान का [को०] । भोजपुरिया-वि० भोजपुर संबंधी । भोजपुर का । भोडरी-संज्ञा पु० [ देश०] १. अभ्रक | अबरक | उ०-पायल पाय लगी रहै लगे अमोलक लाल । भोडर हू की भासि है बेंदी भोजपुरी'- संज्ञा स्त्री० [हिं० भोजपुर+ ई (प्रत्य॰)] भोजपुर प्रदेश भामिनि भाल ।—बिहारी (शब्द०)। २. अभ्रक का चूर की भाषा जो होली आदि मे गुलाल के साथ उड़ाया जाता है । बुक्का । भोजपुरी-संज्ञा पुं० भोजपुर का निवासी । भोजपुरिया । ३. एक प्रकार का मुश्कविलाव । भोजपुरी-वि० भोजपुर का । भोजपुर संबंधी । भोडला-सञ्ज्ञा पुं० [ देश०] १. दे० 'अबरक' । २. तारा या जुगनू भोजराज-सद्धा पु० [सं०] दे० 'भोज' । उ०-ज्ञान प्रकाश भयो किनके डर वे घर वा हि छिपे न भोजल-सज्ञा पुं० [सं० भव+जाल ] संसार सागर । भवजाल । रहेंगे । भोडल माहि दुरै नाहिं दीपक यद्यपि वे मुख मौन भोजविद्या-संज्ञा स्त्री० [सं० भोज-- विद्या ] इंद्रजाल । बाजीगरी। गहेंगे। -सुदर० , भा २, पृ० ६३० । भोजी'- संज्ञा पुं० [स० भोजन] खाने वाला । भोजन करनेवाला :-६ भोडागारी-संज्ञा पु० [सं० भाण्डागार ] भंडार । (डिं० )। भोजी-वि० [ स० भोजिन् ] १. खानेगला । २. उपयोग करने भोण-पञ्चा पुं० [ स० भवन ] गृह । घर । मकान । (डिं० ) । वाला । ३. खिलाने या पोषण करनेवाला [को०] । भोथार-संज्ञा पु० [? ] एक प्रकार का घोड़ा। उ०-मुश्की भोजू पु-सञ्ज्ञा पु० [ स० भोजन ] भोजन । थाहार । ओ हिरमिजी एराकी । तुरकी पदे भाथार बलाकी। भोजेश-सञ्ज्ञा पुं॰ [ स०] १. भोजराज । २. कंस। ३. दे० 'भोज' । -जायसी (शब्द॰) । भोज्य'-संज्ञा पुं० [सं०] १. भोजन के पदार्थ । खाद्य पदार्थ । २ भोना-क्रि० प्र० [हिं० भीनना] १ भीनना । सचरित भोज (को०) । ३ पितरो के निमित्त प्रदत्त भोजन (को०) । ४. होना। उ०--रेख वळू वडू प्रजन की कछु खजन सुस्वादु भोजन (को०)। ५. प्रास्वादन | उपभोग (को॰) । की धरुनाई नही वै ।- रघुनाथ (शब्द०) । (ख) तब लागी ६. लाभ । प्राय (को०) । ७. मर्मभेद । मर्मपीडन (को॰) । गावन विभास बीच ख्याल एक ताल तान सर को बंधान भोज्यवि० खाने योग्य । जो खाया जा सके। बीच भ्वं रही-रघुनाथ (शब्द०)। २. लिप्त होना। ३. पासक्त होना । अनुरक्त होना । भोज्यकाल-संज्ञा पुं० [सं०] भोजन फा समय । भोजन करने का संयो० कि०-जाना ।-पड़ना । काल [को०] । भोज्यसंभव-संज्ञा पुं॰ [सं० भोज सम्भव ] पारीरस्थ रस धातु। भोपा-सा पु. [ स० भूप ] भूप । राजा। उल-जयं जग्य जोयं। शरीरगत रस प्रादि को०। कियं दक्ष भोपं।-० रा०, २०५७० ।