पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 7.djvu/४७१

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'धातुपुत्र युक्ता । TO HO भ्रमात्मक ३७१० भ्रमात्मक-वि० [ स०] जिससे अथवा जिसके संबंध मे भ्रम उत्पन्न ३. उन्मत्त । ४. घुमाया हुमा । चकर खाता हुप्रा । ५. त्रुटि- होता हो । सदिग्ध । भ्रमाना पु+-कि० स० [हिं० भ्रमना का सक० ] १. घुमाना । भ्रांतापह नुति-संज्ञा स्त्री॰ [ सं० भ्रान्तापह नुति ] एक काव्यालंकार फिराना। २. धोखे मे डालना । भटकाना । जिसमे किसी भ्राति को दूर करने के लिये सत्य वस्तु का भ्रमासक्त-संचा पु० [सं०] वह जो अस्त्र शस्त्र आदि साफ करता हो । वर्णन होता है। भ्रमि-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [ भ्रमिन् ] दे० 'भ्रमी"। भ्रांति-सा श्री० [म० भ्रान्ति] १. भ्रम | घोखा । २. संदेह । संशय भ्रमित-वि० [सं०] १. जिसे भ्रम हुआ हो । शंफित । २ धुमता पाक । ३. भ्रमण । ४. पागलपन । ५. भवरी। घुमेर । ६. हुप्रा । ३. चक्कर खाया या घुमाया हुपा । भलघुरू। ७. मोह। प्रमाद । ८.एक प्रकार का काव्यान भ्रमितनेत्र-वि० [ स० ] ऐंचाताना । लकार। इसमे किसी वस्तु को, दूसरी वस्तु के साथ उसकी समानता देखकर, भ्रम से वह दूसरी वस्तु ही समझ भ्रमा'-मज्ञा स्त्री॰ [ स० भ्रमि. ] १. घूमना फिरना । भ्रमण । २. लेना वणित होता है। जैसे,-पटारी पर नायिका को देखकर चक्कर लगाना । फेरी देना । ३. सेना की वह रचना जिसमे कहना-हैं ! यह चद्रमा कहां से निकल पाया ! सैनिक मडल बांधकर खड़े होते है । ४. तेज बहते हुए पानी में का भौंर । नाद । ५. कुम्हार का चाक। ६ मूळ (को०)। भ्रांतिमान् -वि॰ [ सं० भ्रान्तिमत् ] भ्रमयुक्त । चक्कर खाता हुमा । ७. बवंडर (को०)। ८. खराद की मशीन (को०)। ६. भ्रम। भ्रांतिमान्'--संज्ञा पु० भ्रातिमान नामक अलंकार । त्रुटि (को०)। भ्राज-शा पु० [ ] एक प्रकार का साम जो गवामयन सत्र भ्रमी-वि० [सं० भ्रमिन् ] १. जिसे भ्रम हुआ हो। २. चकित । में विपुव नामक प्रधान दिन गाया जाता था । २. सात सूर्यो भौचक 30-किधी वेदविद्या प्रभाई भ्रमी सी |-केशव मे से एक का नाम (को०)। (शब्द०)। ३. चक्कर खाता या घूमता हुपा (को०] । भ्राजक-संवा पु० [ म०] वैद्यक के अनुसार त्वचा में रहनेवाला भ्रशिमा-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं० भ्रशिमन्] चंडता । उप्रता । तीव्रता । [को॰] । पित्त । शरीर मे जो कुछ तेल प्रादि मला जाता उसका भ्रष्ट-वि० [स०] १. नीचे गिरा हुषा । पतित । २ जो खराब हो परिपा इसी पित्त के द्वारा होना माना जाता है। गया हो । जो अच्छी दशा में या काम का न रह गया हो । बहुत बिगड़ा हुआ। ३. जिसमें कोई दोष मा गया हो। भ्राजक-वि० [वि०सी० भ्राजिका दीप्त करनेवाला। चमकानेवाला। शोभाधायक (को०] | दूषित । ४. जिसका आचरण खराब हो गया हो। बुरी चाल चलनेवाला । वदचलन । दुराचारी । ५. च्युत । जैसे, भ्राजथु-शा पु० [सं० ] दीप्ति । प्रभा । चमक । सौंदयं [फो०] । जातिभ्रष्ट । भ्राजन-पञ्चा पु० [स० ] दीपन । चमकाना । दीप्त करना (को०] । यौ०-भ्रष्टक्रिय | भ्रष्टगुद - गुदा का एक रोग । भ्रष्टनिन्द्र निद्रा से भ्राजना-क्रि० म० [ म० भ्राजन (= दीपन)] १. शोमा पाना । वंचित । भ्रष्टमार्ग = मागच्युत । राह भूला हुप्रा । भ्रष्टयोग = शोभायमान होना । उ०—(क) उर पायत भ्राजत विविध स्वधर्म से च्युन । आसना प्रादि से च्युत । भ्रष्टश्री। बाल बिभूपन बीर ।-तुलसी (शब्द॰) । (ख) केकी पच्छ भ्रष्टत्रिय-वि० [सं०] जिसने विहित कर्म छोड़ दिया हो [को०] । मुकुट सिर भ्राजत । गौरी राग मिले सुर गावत ।-सूर भ्रष्टश्री-वि० [स०] भाग्यहीन | (शब्द०) । २. चमकना। भ्रष्टा-सज्ञा स्त्री॰ [स०] पुश्चली । कुलटा । छिनाल । भ्राजमान-वि० [हिं० भ्राजना+मान (प्रत्य॰)] शोभायमान । भ्रष्टाचार-सज्ञा पु० [सं०] १. वह आचरण जो उचित न हो। भ्राजि-संशा सी० [स०] दीप्ति । द्युति । ज्योति । चमक [को०] । २. नोच खसोट, छीना झपटी, बलप्रयोग । उत्कोच आदि भ्राजिर-सञ्ज्ञा पु० [ स०] पुराणनुसार भौत्य मन्वंतर एक दुर्गुणों से भरा हुप्रा प्राचरण । उ०-हमें पुनः सहकारी प्रकार के देवता। कर्मचारियो एवं जनता के मन मे भय पैदा करना होगा क्योकि भय न होने से ही भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। भ्राजिष्णु -- वि० [सं० ] दीप्त होने या चमकनेवाला । भ्रष्टाचार-वि० दूषित पाचरणवाला । वेईमान | भ्राजिष्णु-संज्ञा पुं० १. शिव । २. विष्णु (को०] । भ्रष्टाधिकार-वि० [ स० ] अधिकार या पद से च्युत (को०] । भ्राजी-वि० [स० भ्राजिन् ] प्रकाशित । योतित । चमकनेवाला। दीप्तियुक्त । भ्रांत-सज्ञा पु० [ स० भ्रान्त ] १. तलवार के ३२ हाथो में से एक। तलवार को गोलाकार घुमाना जिसके द्वारा दूसरे के चलाए भ्रात-संज्ञा पु० [स० भ्राता ] दे० 'भ्राता' । उ०-प्रेमपूर्वक हुए शस्त्र को व्यर्थ किया जाता है । २. राजधतूरा । ३. मस्त भेटते थे भ्रात ।-साकेत, पृ० १७० । हाथी । ४. धूमना फिरना । भ्रमण । ५. भून । त्रुठि (को॰) । भ्राता-नचा पु० [ सं० भ्रातृ ] १. सगा भाई । सहोदर । २. सन्नि- भ्रांत-वि० १. जिसे भ्रांति या भ्रम हुप्रा हो। धोखे मे माया हुमा । कट संबंधी (को०) । ३. घनिष्ठ मित्र (को०)। भूला हुआ। २. व्याकुल । घबराया हुप्रा । हक्का बक्का। भ्रातुष्पुत्र-संज्ञा पुं० [सं०] भतीजा । नातृपुत्र [को०] ।